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नवरात्रि के नवम दिन देवी सिद्धिदात्री की करें आराधना, सिद्धियाँ होगी प्राप्त


देवी सिद्धिदात्री की पूजा नवरात्रि के अंतिम दिन सिद्धि प्राप्ति के लिए की जाती हैं।


देवी सिद्धिदात्री: हिंदू धर्म में नवरात्रि के नवम दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है माता दुर्गा के रूपों में से एक स्वरूप देवी सिद्धिदात्री का है। देवी के इस स्वरूप को सिद्धि प्रदान करने वाला माना जाता हैं, क्योंकि वो ज्ञान, शक्ति और सिद्धियों की प्रतीक हैं। देवी सिद्धिदात्री की पूजा नवरात्रि के अंतिम दिन सिद्धि प्राप्ति के लिए की जाती हैं। देवी का सिद्धिदात्री रूप अत्यंत दिव्य, सौम्भ और भव्य हैं।

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देवी सिद्धिदात्री के रूप का वर्णन

पुराणों में देवी सिद्धिदात्री के रूप का वर्णन अत्यंत दिव्य, सौम्भ और भव्य हैं, देवी की चार भुजाएं है जिनमें से एक भुजा में त्रिशूल, एक भुजा में कमल, एक भुजा शक्ति और एक भुजा में श्रीफल या पुस्तक सुसजित हैं। इसलिए देवी सिद्धिदात्री की पूजा से भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं। क्योंकि देवी भक्ति और ज्ञान का प्रतीक मानी जाती हैं जिससे मानसिक शांति और आध्यात्मिक विकास होता हैं।

देवी के अंगों में लाल और सुनहरे रंग का वस्त्र सुसजित है और सुंदर आभूषण धारण की हुई है जो उनके रूप की दिव्यता को बढ़ाता हैं। देवी सिंह की सवारी करती है जो शक्ति और साहस का प्रतीक हैं।

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देवी सिद्धिदात्री  की महिमा

देवी सिद्धिदात्री की महिमा अत्यधिक महान और अद्भुत है।

1. सिद्धियों की दात्री देवी

2. ज्ञान और बुद्धि की देवी

3. शक्ति का स्रोत

4. आध्यात्मिक उन्नति देवी

5. सुरक्षा और संरक्षण की देवी

6. प्रेम और करुणा की देवी

देवी सिद्धिदात्री की  कथा

देवी सिद्धिदात्री की कथा को लेकर हिंदू पौराणिक में बताया गया है कि देवी सिद्धिदात्री का यह स्वरूप शक्ति और भक्तों का प्रतीक हैं। कथा को लेकर कहा जाता है कि देवी सिद्धिदात्री का अवतार त्रिलोक में ज्ञान और शक्ति का संचार करने के लिए हुआ था। देवी पार्वती ने सती रूप में शिव की आराधना की और बाद में उन्होंने देवी सिद्धिदात्री का रूप धारण किया। जब देवी सिद्धिदात्री ने ध्यान और तपस्या की, तो उन्हें सभी सिद्धियाँ प्राप्त हुईं। वे ज्ञान, स्वास्थ्य, समृद्धि और भक्ति की देवी बन गईं। इसलिए उन्हें भक्त सिद्धियों की प्राप्ति देवी कहते है।

कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव ने सिद्धिदात्री की आराधना की और उन्हें सभी देवताओं से सर्वोच्च स्थान प्रदान किया। उन्होंने कहा कि जो भक्त सच्चे मन से सिद्धिदात्री की पूजा करेगा, उसे सभी इच्छाएँ पूरी होंगी और भक्त को सिद्धियों की प्राप्ति होगी। देवी सिद्धिदात्री की पूजा करने से आत्मिक शांति और मानसिक स्थिरता की प्राप्ति होती है।

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देवी सिद्धिदात्री की पूजा विधि

देवी सिद्धिदात्री की पूजा विधि सरल और प्रभावशाली है। पूजा के दौरान स्वच्छ और शांति पूर्ण स्थान पर एक चौकी या आसन रखें। "जय माता दी" का जयकारा लगाएँ और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करें।

जाप मंत्र:

"ॐ सिद्धिदात्री नमः" या "ॐ देवी सिद्धिदात्री नमः" का जाप करें।

नवरात्रि के पहले दिन घर की सफाई करें पूजा स्थल की सफाई करें और देवी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इसके साथ उपवास रखने की परंपरा है। इसे लोग अपनी सामर्थ्य अनुसार रखते हैं। वहीं कुछ लोग अपने सामर्थ के अनुसार व्रत के साथ कलश की स्थापना भी करते हैं और पूजन में फूल, फल, कुमकुम, दीपक, नैवेद्य आदि का प्रयोग करें इसके साथ ही माता को वस्त्र अर्पित करें और श्रृंगार चढ़ाएं। इसके बाद दुर्गा स्तुति और लौंग कपूर से आरती करें।

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