नए आपराधिक कानून: रेप करने वाले को होगी अब फांसी, अब इन अपराधों पर होगी यह सजा
देश में आय दिन जुर्म के मामले बढ़ते जा रहे हैं। जिस पर रोक लगाने के लिए लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने आपराधिक कानूनों को खत्म करने के लिए बिल पेश करते हुए कहा कि - नए कानूनें में मॉब लिंचिंग और नाबालिगों से रेप जैसे अपराधों के लिए मौत की सजा शामिल होगी।
नई दिल्ली: देश में आय दिन जुर्म के मामले बढ़ते जा रहे हैं। जिस पर रोक लगाने के लिए लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने आपराधिक कानूनों को खत्म करने के लिए बिल पेश करते हुए कहा कि - नए कानूनें में मॉब लिंचिंग और नाबालिगों से रेप जैसे अपराधों के लिए मौत की सजा शामिल होगी। आपको बतादें कि भारतीय दंड संहिता को भारतीय न्याय संहिता (The Indian Penal Code) से बदला जाएगा, क्योंकि सरकार औपनिवेशिक युग के आपराधिक कानूनों को खत्म करना चाहती है।
आपको बताते चले आपाराधिक कानूनों को खत्म करने के लिए लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तीन नए आपराधिक कानून विधेयक के प्रावधानों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा - नए विधेयकों में मॉब लिंचिंग एवं नाबालिग से रेप के दोषियों को अब फांसी की सजा दी जा सकेगी। इसके अलावा नए कानून के तहत हिट एंड रन मामले में 10 साल की सजा होगी। साथ ही गृह मंत्री ने कहा - मॉब लिंचिंग एक घृणित अपराध है। हम कानून में मॉब लिंचिंग यानि की (जब कोई भीड़ किसी को मारती- पिटती हैं) ऐसे अपराध के लिए फांसी की सजा का प्रावधान कर रहे हैं।
जानें लोकसभा में उठे नए आपराधिक कानून विधेयक
आपको बतादे कि भारतीय न्याय संहिता में बीस नए अपराध शामिल किए गए हैं, जैसे कि संगठित अपराध, आतंकवादी कृत्य, हिट-एंड-रन, मॉब लिंचिंग, धोखे से किसी महिला का यौन शोषण करना, छीनना, भारत के बाहर उकसाना, भारत की संप्रभुता, अखंडता और एकता को खतरे में डालने वाले कार्य इसके साथ ही गलत या फिर फर्जी न्यूज दिखाना जैसे अपराध शामिल तो आइये जानते है इन मामले से जुड़ी अहम जानकारी...
भारतीय अपराध संहिता (IPC) के बारे में गृह मंत्री ने कहा- यह 1860 में बना था, उसका उद्देश्य न्याय देना नहीं बल्कि दंड देना था। इसकी जगह भारतीय न्याय संहिता-2023 इस सदन की मान्यता के बाद पूरे देश में अमल में आएगी। सदन के अनुमोदन के बाद सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य विधेयक-2023 अमल में आएगा।
इस मामले में सजा होगी तय
1- नए बिल महिलाओं और बच्चों की रक्षा करने वाले कानूनों को प्राथमिकता देते है, हत्यारों को दंडित करते हैं और राज्य को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों को रोकते हैं।
2- मॉब लिंचिंग में अपराध की गंभीरता के आधार पर मौत की सज़ा हो सकती है।
3- नाबालिग से रेप के लिए मृत्युदंड को भी अधिकतम सजा के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
4- पहली बार, सरकार ने 5,000 रुपये से कम की चोरी और पांच अन्य छोटे अपराधों के लिए सजा के रूप में 'सामुदायिक सेवा' को शामिल किया है।
5- आत्महत्या की कोशिश करना अब आपराधिक अपराध नहीं माना जाएगा।
6- देशद्रोह कानून खत्म कर दिया गया है। प्रस्तावित कानून से "देशद्रोह" शब्द हटा दिया गया है और इसकी जगह एक ऐसी धारा जोड़ी गई है जो भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों को अपराध मानती है।
7- ट्रांसजेंडर को 'लिंग की परिभाषा' में शामिल किया गया है। नए विधेयक में व्यभिचार और समलैंगिक यौन संबंध को अपराध के रूप में सूचीबद्ध नहीं किया गया है।
8- राजद्रोह पर मौजूदा कानून में तीन साल तक की जेल या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है। नए प्रावधान में अधिकतम सजा को बढ़ाकर सात साल कर दिया गया है।
9- आतंकवादी गतिविधि के दायरे को व्यापक करते हुए, नए विधेयक में अब भारत की रक्षा के लिए विदेशों में नुकसान या विनाश शामिल है। पहले, यह भारत के भीतर सरकारी, सार्वजनिक या निजी सुविधाओं को नुकसान पहुंचाने तक सीमित था।
10- आतंकी प्रावधान में अब सरकार को किसी भी गतिविधि को करने या करने से रोकने के लिए किसी व्यक्ति को हिरासत में लेना, अपहरण करना भी शामिल होगा।
FIR दर्ज की समय सीमा हो गई तय
लोकसभा में पेश नए विधेयक को लेकर गृह मंत्री ने आगे कहा- "नए कानून में FIR दर्ज करने की समयसीमा तय कर दी गई है। जांच रिपोर्ट जिला मजिस्ट्रेट को सौंपने के बाद 24 घंटे के अंदर कोर्ट से सामने पेश करना होगा। इसके साथ ही मेडिकल रिपोर्ट 7 दिन के अंदर थाने/कोर्ट में सीधे भेजने का प्रावधान है। चार्जशीट अब 180 दिन के बाद पेंडिंग नहीं रखा जा सकता। अब शिकायत करने पर 3 दिन या अधिकतम 14 दिनों के अंदर FIR दर्ज करनी होगी। 3 से 7 साल तक की सजा के मामलों में 14 दिनों के अंदर प्रारंभिक जांच पूरी करनी होगी। यानि अधिकतम 14 दिन या छोटी सजा के मामलों में 3 दिन में एफआईआर दर्ज करनी होगी।"
CRPC में जोड़ी गईं 9 नई धाराएं
लोकसभा में बिल पेश करते हुए गृह मंत्री ने आगे कहा- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (CRPC) में पहले 484 धाराएं थीं, अब 531 होंगी, 177 धाराओं में बदलाव हुआ है। 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं, 39 नए सब सेक्शन जोड़े गए हैं, 44 नए प्रोविजन और स्पष्टीकरण जोड़े गए हैं, 35 सेक्शन में टाइम लाइन जोड़ी हैं और 14 धाराओं को हटा दिया गया है। राजद्रोह धारा पूर्ण रूप से समाप्त कर दी गई है। इस देश के खिलाफ कोई बोल नहीं सकता। बोलने वाला निश्चित रूप से जेल में जाना चाहिए। इसलिए राजद्रोह की जगह राष्ट्र द्रोह लेकर आये हैं।
राजद्रोह की धारा, 124 (क) को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है। आतंकवाद की व्याख्या अब तक किसी भी कानून में नहीं थी। पहली बार अब मोदी सरकार आतंकवाद को व्याख्यायित करने जा रही है। जिससे इसकी कमी का कोई फायदा न उठा पाए। इसके साथ-साथ राजद्रोह को देशद्रोह में बदलने का काम किया जा रहा है।