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पितृ विसर्जन: विदाई का सही तरीका, पितृ पक्ष का महत्व और पूजा विधि


पितृ पक्ष के दिन अपने पूर्वजों के निमित्त गंगा स्नान करें, जल तिल मिश्रित पिंड दान करें, कौए, गाय, चीटी, कुत्ता, ब्राह्मण को भोजन कराएं।


पितृ विसर्जन: पितृ विसर्जन देशभर में कल 2 अक्तूबर यानी की बुधवार को अमावस्या के दिन मनाया जाएगा। पितृ पक्ष अमावस्या के दिन धरती पर पितरों को याद करके उनकी विदाई की जाती है। इस दिन सभी को अपने परिवार के लिए अपने पूर्वजों का आशीर्वाद लेना चाहिए। इसके लिए पितृ पक्ष के दिन अपने पूर्वजों के निमित्त गंगा स्नान करें, जल तिल मिश्रित पिंड दान करें,  कौए, गाय, चीटी, कुत्ता, ब्राह्मण को भोजन कराएं।

इसके बाद अपने पूर्वज की बिदाई देकर उनका आशीर्वाद ले। इसके लिए अमावस्या के दिन पितरो को याद करके दान करने और गरीबों को भोजन कराने से पितरों को शांति मिलती है। क्योंकि मान्यता है यह दिन पितृ पक्ष का आखिरी दिन होता है इसलिए इस दिन सभी पितर अपने परिजनों के घर के द्वार पर बैठे रहते हैं।

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जाने पितृ विसर्जन का महत्व

भारतीय और हिन्दू संस्कृति की मान्यता के अनुसार पितृ विसर्जन का हमारे संस्कृति में बहुत ही महत्व है। पितृ विसर्जन, जिसे पितृ पक्ष के दौरान मनाया जाता है, हिंदू संस्कृति में अपने पूर्वजों को सम्मान देने और उनकी आत्मा की शांति के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व होता है।

तो आइये जानें पितृ विसर्जन क्यों है जरूरी

आध्यात्मिक कर्तव्य: पितृ विसर्जन के दौरान हम अपने पूर्वजों के प्रति आध्यात्मिक रूप से जुड़ते है और अपने परिवार के लिए उनसे आशीष लेते हैं। जिसका माध्यम पितृ पक्ष के दौरान बनता है।

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मोक्ष की प्राप्ति: पितृ पक्ष को लेकर मान्यता है कि पितृ विसर्जन के दौरान जिन पूर्वजों की आत्मा भटक रही होती हैं, उनकी आत्मा की शान्ति के लिए पूजा, दान, तर्पण करने से पितरो को मोक्ष मिलता हैं।

परिवार में सुख-समृद्धि: पितृ पक्ष में पितरो का शान्ति पूजन, तर्पण, दान करने से परिवार में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती हैं।

आध्यात्मिक शुद्धता: पितृ पक्ष के दिन अमावस्या के समय पूजा और दान करने से आत्मा की शुद्धि होती है और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। पितृ विसर्जन से आगे आने वाली पीढ़ियों को भी प्रभावित करता है।

पितृ विसर्जन की पूजन विधि

पूजन सामग्री:

पंचामृत: दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से बनाएं। फल, फूल, तेल या घी का दीपक जलाएं, कच्चा चावल पूजा में अर्पित करें, तिल और जौ का प्रसाद, पितृ तर्पण के लिए गंगा जल, चढाएं।

पूजा विधि:

पितृ विसर्जन की पूजा के लिए एक स्वच्छ स्थान चुनें, जहां आप पूजा कर सकें। इसके लिए पूजा करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें अगर खुद पूजन विधि नहीं आती हैं तो पंडित जी को बुलाएं और पूजा के लिए आसन बिछाये। इसके साथ पूजा स्थल पर पूर्वजों की तस्वीरे या मूर्तियाँ स्थापित करें।

मूर्ति या तसवीर पर पंचामृत अर्पित करें और स्नान कराएं। इसके बाद जल में तिल डालकर पितरों के लिए तर्पण करें। यह जल पूर्वजों को अर्पित करें। इसके बाद नैवेद्य, फल, मिठाई और भोजन का भोग अर्पित करें दीपक जलाये और पूर्वजों की आरती उतारें और प्रसाद बांटे। सबसे ध्यान देने की बात यह है कि पितृ विसर्जन की पूजा शांति और श्रद्धा से करें और किसी भी तरह का नकारात्मकता से दूर रहें और पितरो के निमित्त दान करें।

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जानें दान के प्रकार

अन्न दान:

पितृ विसर्जन की पूजा के बाद अन्न, फल दान करें, इसके लिए ब्राह्मणों या जरूरतमंद को भोजन कराएं।

धन दान:

पितरो के निमित्त जरूरतमंद को आर्थिक सहायता का दान दें।

वस्त्र दान:

पितरो के निमित्त जरूरत की सभी चीजें दान करें और कपड़े का दान करें।

जल दान:

पितरो के निमित्त जल का दान दें क्योंकि जल को जीवन का प्रतीक माना जाता हैं। 

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