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राष्ट्रपति मुर्मू ने संविधान के 75वें वर्ष पर ₹75 का सिक्का और डाक टिकट जारी किया


संसद में 75 रुपये का एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी किया। यह डाक टिकट संविधान की उन मूल भावनाओं का प्रतीक है जो भारत को एकजुट करती है


नई दिल्ली: देश के संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने खास मनाते हुए संसद में 75 रुपये का एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी किया। यह डाक टिकट संविधान की उन मूल भावनाओं का प्रतीक है जो भारत को एकजुट करती है और हमें आगे बढ़ने का मार्ग दिखाती है। बताते चले यह आयोजन 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा द्वारा संविधान को अपनाए जाने की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में किया गया था। संविधान औपचारिक रूप से 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ था।

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https://www.presidentofindia.gov.in/press_releases/president-india-graces-commemoration-75-years-adoption-constitution

संविधान दिवस मना खास

संविधान हमारे देश का सबसे पवित्र ग्रंथ हैं। वहीं राष्ट्रपति ने मंगलवार 26 नवंबर को ‘संविधान दिवस' के अवसर पर संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा- आज हम सब इस ऐतिहासिक अवसर के भागीदार बने हैं और साक्षी भी बने हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि 75 वर्ष पहले संविधान सदन के इसी केंद्रीय कक्ष में आज ही के दिन संविधान सभा ने नव स्वाधीन देश के लिए संविधान निर्माण का बहुत बड़ा कार्य संपन्न किया था। राष्ट्रपति ने कहा- उस दिन संविधान सभा के माध्यम से हम भारत के लोगों ने अपने इस संविधान को अपनाया था। हमारा संविधान हमारे व्यक्तिगत और सामूहिक स्वाभिमान को सुनिश्चित करता है।

वहीं नई दिल्ली में संविधान सदन के सेंट्रल हॉल में हुए समारोह के दौरान यह ऐतिहासिक सिक्का जारी किया गया। संविधान दिवस पर संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए मुर्मू ने कहा- संविधान एक जीवंत और प्रगतिशील दस्तावेज है। राष्ट्रपति ने संविधान की पहली संस्कृत प्रति और उसके मैथिली संस्करण का संविधान सदन के केंद्रीय कक्ष में विमोचन किया।

भारतीयों से की मुर्मू ने अपील

नई दिल्ली में संविधान सदन समारोह के दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा- देश के आधारभूत पाठ को आकार देने में संविधान सभा की 15 महिला सदस्यों के योगदान पर भी जोर दिया। राष्ट्रपति ने सभी भारतीयों से संवैधानिक आदर्शों को अपने आचरण में आत्मसात करने और अपने मौलिक कर्तव्यों का पालन करने और साल 2047 तक विकसित भारत के राष्ट्रीय लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में काम करने का आग्रह किया।

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि संविधान की भावना के मुताबिक, कार्यपालिका, विधायिका, और न्यायपालिका का यह दायित्व है कि वे सामान्य लोगों के जीवन को सुगम बनाने के लिए मिलजुल कर काम करें। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान, सरकार ने समाज के सभी वर्गों, विशेषकर कमजोर वर्गों के लोगों के विकास के लिए अनेक कदम उठाए हैं। ऐसे निर्णयों से लोगों का जीवन बेहतर हुआ है तथा उन्हें प्रगति के नए अवसर मिल रहे हैं।

संविधान हमारे देश का सबसे पवित्र ग्रंथ

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि संविधान दिवस के पावन अवसर पर आप सभी के बीच आकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। संविधान हमारे देश का सबसे पवित्र ग्रंथ है। हमारा संविधान, हमारे लोकतांत्रिक गणतंत्र की सुदृढ़ आधारशिला है। हमारा संविधान, हमारे सामूहिक और व्यक्तिगत स्वाभिमान को सुनिश्चित करता है। हमारी संविधान-सभा में हमारे देश की विविधता को अभिव्यक्ति मिली थी। संविधान-सभा में सभी प्रान्तों और क्षेत्रों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति से, अखिल भारतीय चेतना को स्वर मिला था।

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