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सरकार का दूसरा तोहफा, MPC मीटिंग में ब्याज दर कटौती का लिया फैसला


7 द‍िन में दूसरा तोहफा सरकार ने आम जनता को दिया है जिसमें Income Tax के बाद ब्‍याज दर में कटौती होगी। ऐसे में अगर आ भी होम लोन की EMI देते है


RBI MPC Meeting: सरकार ने पहले 1 फरवरी को 12 लाख तक की आमदनी को टैक्स फ्री क‍िया था। वहीं अब आरबीआई ने रेपो रेट को कम करने का फैसला करके दूसरा तोहफा द‍िया है। ये 7 द‍िन में दूसरा तोहफा सरकार ने आम जनता को दिया है जिसमें Income Tax के बाद ब्‍याज दर में कटौती होगी। ऐसे में अगर आ भी होम लोन की EMI देते है तो बतादें कि अब होम लोन की EMI कम होगी।

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MPC मीटिंग में ब्याज दर कटौती का फैसला

आपको बतादें कि RBI के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अपने कार्यकाल की पहली एमपीसी मीट‍िंग में ब्‍याज दर कटौती का फैसला करके लोगों को खुश कर द‍िया है। पांच साल में यह पहला मौका है जब र‍िजर्व बैंक की तरफ से रेपो रेट में कटौती की गई है। बताते चले कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तरफ से शुक्रवार को ब्याज दर में 25 बेस‍िस प्‍वाइंट कटौती की घोषणा की गई। इसके साथ ही रेपो रेट घटकर 6.25% पर आ गया।

बताते चले कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की। मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने रेपो रेट में 0.25% की कटौती करने का फैसला लिया है। इसके साथ ही रेपो रेट 6.5% से घटकर 6.25% हो गया है। इस तरह मिडिल क्लास को इनकम टैक्स में कटौती के बाद एक और बड़ी राहत मिली है। रेपो रेट में कटौती से सभी तरह के लोन की किस्त में कमी आएगी।

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कटौती का दौर हुआ शुरू

गवर्नर ने कहा कि यह फैसला सर्वसम्मति से लिया गया। RBI ने इससे पहले आखिरी बार मई 2020 में रेपो रेट में कटौती की थी। तब कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए रेपो रेट को 40 आधार अंक 0.40% घटाकर 4% कर दिया गया था। मई 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते RBI ने रेपो रेट बढ़ाना शुरू किया था। इसे मई 2023 में रोक दिया गया था। इस दौरान इसमें 2.5 फीसदी का इजाफा किया गया था। इससे लोगों के लिए लोन महंगा हो गया था। अब एक बार फिर इसमें कटौती का दौर शुरू हो गया है।

ब्‍याज दर में कटौती के फैसला से खुश हुए लोग

वहीं आरबीआई के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अपने कार्यकाल की पहली एमपीसी मीट‍िंग में ब्‍याज दर कटौती का फैसला करके लोगों को खुश कर द‍िया है। पांच साल में यह पहला मौका है जब र‍िजर्व बैंक की तरफ से रेपो रेट में कटौती की गई है। 5 फरवरी को शुरू हुई तीन द‍िवसीय द्विमासिक समीक्षा के बाद केंद्रीय बैंक ने शुक्रवार को करोड़ों लोगों को राहत देते हुए रेपो रेट में कमी करने का फैसला क‍िया रेपो रेट में कटौती होने के बाद उम्‍मीद है क‍ि बैंक होम लोन समेत अलग-अलग तरह के लोन पर ब्‍याज दर में कटौती करेंगे।

ईएमआई में कमी का सीधा फायदा म‍िलेगा!

रेपो रेट में कटौती का असर यह होगा क‍ि बैंक ग्राहकों को ब्‍याज दर और ईएमआई में कमी का सीधा फायदा मिलेगा। बताते चल कि संजय मल्होत्रा ने दिसंबर में र‍िजर्व बैंक के गवर्नर का पद संभाला था। उनसे पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास के मुकाबले नरम रुख अपनाने की संभावना जताई जा रही है। शक्तिकांत दास ने प‍िछले दो साल तक ब्याज दर में क‍िसी तरह का बदलाव नहीं किया था। ब्लूमबर्ग के सर्वे में भी अध‍िकतर इकोनॉम‍िस्‍ट ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की उम्‍मीद जताई थी। हालांक‍ि कुछ जानकार 50 बेसिस प्वाइंट तक की कटौती की भी उम्‍मीद कर रहे थे।

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क्यों की रेपो रेट में कटौती

देश की इकॉनमी में पिछले कुछ समय से सुस्ती दिख रही थी जिसके कारण रेपो रेट में कटौती की मांग की जा रही थी। सरकार के कई मंत्री भी रेपो रेट में कटौती की मांग कर रहे थे। लेकिन पिछले गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में एमपीसी ने लगातार 11 मीटिंग में इसमें कोई बदलाव नहीं किया। आखिर नए गवर्नर के आते ही मामला बदल गया और एमपीसी ने सर्वसम्मति से रेपो रेट में कटौती करने फैसला किया।

जानें क्या होता है रेपो रेट?

रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI बैंकों को कर्ज देता है। रेपो रेट कम होने से बैंकों को सस्ता कर्ज मिलता है। इसका असर आम जनता पर भी पड़ता है। रेपो रेट बढ़ने का मतलब है क‍ि बैंकों को आरबीआई से महंगे रेट पर लोन मिलेगा। इससे होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन आद‍ि की ब्‍याज दर बढ़ जाएगी, ज‍िसका आपकी ईएमआई पर सीधा असर पड़ेगा।

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वहीं बैंकों को सस्ता कर्ज मिलने पर वे आम लोगों को भी कम ब्याज दर पर लोन देते हैं। घर, गाड़ी या पर्सनल लोन लेना आसान हो जाता है। इससे बाजार में पैसा बढ़ता है और अर्थव्यवस्था को गति मिलती है। बताते चले कि रेपो रेट का इस्‍तेमाल आरबीआई महंगाई को नियंत्रित करने के लिए भी करता है। जब इकोनॉमी तेजी से बढ़ रही होती है और महंगाई बढ़ती है तो केंद्रीय बैंक रेपो रेट बढ़ाकर खर्च को नियंत्रित करता है। इसके विपरीत, जब इकोनॉमी मंदी की ओर बढ़ रही होती है तो आरबीआई रेपो रेट कम करके खर्च और निवेश को प्रोत्साहित करता है।

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