गायत्री मंत्र का वैज्ञानिक आधार, इसके जप से वैज्ञानिक भी हुए हैरान
गायत्री मंत्र एक ऐसा अद्भुत मंत्र है जिसकी महिमा अपने में ही सरल और गोपनीय है। गायत्री मंत्र का जप गायत्री माता की आराधना के साथ सूर्य के तेज समान शक्तिवान की प्राप्ति होती हैं। गायत्री मंत्र के जप के प्रभाव को अगर वैज्ञानिक आधार पर देखें तो गायत्री मंत्र जपने से प्रति सेकंड एक लाख दस हजार ध्वनि तरंगें निकलती है
गायत्री मंत्र : गायत्री मंत्र एक ऐसा अद्भुत मंत्र है जिसकी महिमा अपने में ही सरल और गोपनीय है। गायत्री मंत्र का जप गायत्री माता की आराधना के साथ सूर्य के तेज समान शक्तिवान की प्राप्ति होती हैं। गायत्री मंत्र के जप के प्रभाव को अगर वैज्ञानिक आधार पर देखें तो गायत्री मंत्र जपने से प्रति सेकंड एक लाख दस हजार ध्वनि तरंगें निकलती है जो ब्रह्माण्ड में 34 अरब कंपन पैदा करता है।
गायत्री मंत्र में वैज्ञानिक शोध
आपको जानकर हैरानी होगी मगर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा गया है कि गायत्री मंत्र जपते समय ध्यान लगाने से मानव के मस्तिष्क में, पोस्टिव रेडियसन (Positive Radiation) उत्पन्न होता है तथा मानव मस्तिष्क से एल्फा बीटा, गामा डेल्टा रेस (Alpha Beta:Gama Delta rays) निकलता रहता है। जप के समय शान्त अवस्था में एल्फा रेस (Alpha Rays) पृथ्वी के चारों ओर एक चुम्बकीय आवृत्ति बनाती है। इसलिए गायत्री मंत्र जपते समय दो तरह के वृत बनते हैं। पहला पृथ्वी को छेद कर सूर्य की ओर चला जाता है और दूसरा हर जगह अलग-अलग Frequency पर सातों लोक में एक जगह रहता है।
मानव शरीर में तीन ग्रंथियां होती है, ब्रह्म ग्रंथी, रुद्र ग्रंथी और विष्णु ग्रंथी। गायत्री मंत्र मानव शरीर के भीतर के इतर तत्व को Vibrate करता है। साथ ही मानव के मस्तिष्क में एक सौ अरब तक Nurons होते हैं। एक Nuron में एक-एक सौ वर्ष की बात याद रहती है। प्रत्येक Nurons एक हजार जगहों से जुड़ा हुआ है। इसलिए गायत्री मंत्र जपने से Cosmic energy solar energy मिलने से मानव में भी दैविक शक्ति का विकास होता है। वैज्ञानिको का मानना है कि सभी लोगों को गायत्री मंत्र जपना चाहिए। इससे बौद्धित्व का विकास होता है और इसांन पॉजिटिव रहता हैं।
गायत्री मंत्र का अर्थ
गायत्री मंत्र का अर्थ है, हम ईश्वर की महिमा का ध्यान करते हैं, जिसने इस संसार को उत्पन्न किया है, यानि की हम सूर्य देव की आराधना करते है जिसे उत्तरायण भी कहते है, जो पूजनीय है, जो ज्ञान का भंडार है, जो पापों तथा अज्ञान की दूर करने वाला हैं और वह हमें प्रकाश दिखाता जिससे की हम सत्य के पथ पर चल सके।
वहीं शास्त्रों में भी गायत्री मंत्र को भी बेहद शक्तिशाली बताया गया है, इसे महामंत्र कहा जाता है। ॐ का उच्चारण करने से मंत्र के जप का गुजंन ब्रह्माण्ड में गुंजता है और बुद्धि को तेजस्वान बनाता है। गायत्री मंत्र यजुर्वेद के मंत्र और ऋग्वेद के छन्द के मेल से बना है। इसके जाप से व्यक्ति के शरीर में बेहद सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है जो ईश्वरीय शक्ति का अहसास कराता है। शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के लिए ये मंत्र सर्वश्रेष्ठ है। गायत्री मंत्र 24 अक्षरों से मिलकर बना है। कहा जाता है कि इन 24 अक्षरों में चौबीस अवतार, चौबीस ऋषि, चौबीस शक्तियां, चौबीस सिद्धियां और चौबीस शक्ति बीज भी शामिल हैं। इसके शुद्ध तरीके और नियमानुसार जाप करने से जीवन की हर परेशानी दूर हो सकती है।
गायत्री मंत्र – ‘ॐ भूर्भव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्’ इसका अर्थ है कि उस प्राणस्वरूप, दुखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशनाशक, देवस्वरूप परमात्मा का हम ध्यान करें। वो परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करें।
गायत्री मंत्र का जप का सही तरीका
वेदो, पुराणों की माने तो गायत्री मंत्र के जाप के तीन समय सबसे अच्छे बताए गए हैं। पहला सूर्योदय से पूर्व से लेकर सूर्योदय होने तक का समय सर्वश्रेष्ठ है। दूसरा समय दोपहर और तीसरा समय शाम को सूर्यास्त से पहले इसका जाप शुरू करें और सूर्यास्त होने तक करें। इन तीनों समय में आप गायत्री मंत्र को सही उच्चारण के साथ बोलकर जाप कर सकते हैं। इसके जाप के दौरान कुश के आसन पर बैठें और पूर्व या पश्चिम की ओर मुख करें और तुलसी या चंदन की माला से इसका जाप करें। मंत्र जप की संख्या कम से कम 108 होनी चाहिए। ध्यान रखें कि घर के मंदिर में या किसी पवित्र स्थान पर गायत्री माता का ध्यान करते हुए मंत्र का जप करना चाहिए।
गायत्री मंत्र में 24 अक्षरों में 24 शक्तियां
सफलता शक्ति, पराक्रम शक्ति, पालन शक्ति, कल्याण शक्ति, योग शक्ति, प्रेम शक्ति, धन शक्ति, तेज शक्ति, रक्षा शक्ति, बुद्धि शक्ति, दमन शक्ति, निष्ठा शक्ति, धारण शक्ति, प्राण शक्ति, मर्यादा शक्ति, तप शक्ति, शांति शक्ति, कॉल शक्ति, उत्पादक शक्ति, रस शक्ति, आदर्श शक्ति, साहस शक्ति, विवेक शक्ति और सेवा शक्ति।