स्वामी विवेकानंद की आज पुण्यतिथि, पढ़ें उनके विचार जो बदल देगा आपका जीवन
ऐसे में हम बात करें स्वामी जी के जीवनी की तो उनका जन्म 4 जुलाई 1902 को कलकत्ता में हुआ था, और मृत्यु 4 जुलाई, 1902 में स्वामी जी ने मात्र 39 साल की उम्र
Swami Vivekananda: भारत में एक हिंदू आध्यात्मिक नेता और सुधारक स्वामी विवेकानंद की आज पुण्यतिथि है। जिन्होंने भारतीय आध्यात्मिकता को पश्चिमी भौतिक प्रगति के साथ जोड़ने का प्रयास किया था। उनका मानना था कि दोनों एक दूसरे के पूरक और पूरक हैं। उनका परम तत्व व्यक्ति का मानवता के लाभ के लिए काम करना सबसे महान प्रयास था।
ऐसे में हम बात करें स्वामी जी के जीवनी की तो उनका जन्म 4 जुलाई 1902 को कलकत्ता में हुआ था, और मृत्यु 4 जुलाई, 1902 में स्वामी जी ने मात्र 39 साल की उम्र में अपने देह को त्याग दिया था। मगर इतनी कम आयु में भी उन्होंने देश के लिए बहुत योगदान दिया। इसलिए आज हम सभी आधुनिक युग प्रवर्तक स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर करें उन्हें नमन करते हैं। जो इतनी कम आयु में भी युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत और प्रखर राष्ट्रवादी बने थे। वो एक ऐसे तेजस्वी व्यक्तित्व थे जिन्होंने विश्व को वेदांत और योग से परिचित कराया था।
स्वामी जी के विचार जो बदल देंगे जीवन
- उठो! …
- जैसा तुम सोचते हो, वैसे ही बन जाओगे। खुद को निर्बल मानोगे तो निर्बल और सबल मानोगे तो सबल ही बन जाओगे।
- किसी दिन जब आपके सामने कोई समस्या न आए, तो आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं।
- न तो खोजो और न ही टालो, जो आता है उसे ले लो।
- जो कुछ भी तुम्हें कमजोर बनाता है- शारीरिक, बौद्धिक या मानसिक, उसे जहर की तरह त्याग दो।
- आपको अंदर से बाहर तक बढ़ना होगा।
- जब तक जीना, तब तक सीखना। अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है।
- यह कभी मत कहो कि 'मैं नहीं कर सकता', क्योंकि आप अनंत हैं।
- जितना बड़ा संघर्ष होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी।
- उठो, जागो और तबतक न रुको, जब तक तुम अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर लेते।
- दिल और दिमाग के बीच संघर्ष में, अपने दिल की सुनें।
- एक समय में एक काम करो, ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमें डाल दो और बाकि सबकुछ भूल जाओ।
- संगति आप को ऊंचा उठा भी सकती है और यह आपको ऊंचाई से गिरा भी सकती है, इसलिए संगति अच्छे लोगों से करें।
- लोग तुम्हारी स्तुति करें या निंदा, लक्ष्य तुम्हारे ऊपर कृपालु हो या न हो, तुम्हारा देहांच आज हो या युग में, तुम न्यायपथ से कभी भ्रष्ट न हो।
- तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता। तुमको सब कुछ खुद अंदर से सीखना है। आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नहीं है।
- सब कुछ खोने से ज्यादा बुरा उस उम्मीद को खो देना जिसके भरोसे हम सब कुछ वापस पा सकते हैं।
- केवल वे ही जीवित रहते हैं, जो दूसरों के लिए जीते हैं।
- पहले हर अच्छी बात का मजाक बनता है। फिर विरोध होता है। अंत में उसे स्वीकार कर लिया जाता है।
- जिस प्रकार केवल एक ही बीज पूरे जंगल को पुनर्जीवित करने के लिए पर्याप्त है। उसी प्रकार एक ही मनुष्य विश्व में बदलाव लाने के लिए पर्याप्त है। ये मनुष्य आप हो सकते हैं।
- बहुत सी कमियों के बाद भी हम खुद से प्रेम करते हैं, तो दूसरों में एक कमी से कैसे घृणा कर सकते हैं।
- अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करें, तो इसका कुछ मूल्य है। अन्यथा ये सिर्फ बुराई का ढेर है। इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाए, उतना बेहतर है।
- जमीन अच्छी है, खाद अच्छा है, परंतु पानी अगर खारा है, तो फूल खिलते नहीं हैं। भाव अच्छे हैं, कर्म भी अच्छे हैं, मगर वाणी खराब है, तो संबंध कभी टिकते नहीं हैं।
- युवा वही होता है, जिसके हाथों में शक्ति, पैरों में गति, हृदय में ऊर्जा और आंखों में सपने होते हैं।
- जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते।