उपसभापति ने धनखड़ के खिलाफ विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव नोटिस किया खारिज
उपसभापति ने कहा- यह अविश्वास प्रस्ताव मौजूदा उपराष्ट्रपति को बदनाम करने के लिए लाया गया है, उन्होंने आगे कहा - एक नैरेटिव बनाने के उद्देश्य से ऐसा किया गया
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Parliament Winter Session: संसद का मानसून सत्र चल रहा है। इसी बीच राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस उप सभापति ने खारिज कर दिया। बताते चले कि मानसून सत्र के दौरान ऊपरी सदन राज्यसभा में कांग्रेस ने सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था, जिसके खारिज होने के बाद उपसभापति ने कहा- यह अविश्वास प्रस्ताव मौजूदा उपराष्ट्रपति को बदनाम करने के लिए लाया गया है, उन्होंने आगे कहा - एक नैरेटिव बनाने के उद्देश्य से ऐसा किया गया।

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अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस रिजेक्ट
बता दें कि देश के उपराष्ट्रपति ही राज्यसभा के सभापति होते हैं, वहीं विपक्ष की ओर से उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को हटाने की मांग को लेकर दिए गए अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस को ही रिजेक्ट कर दिया गया है। इस तरह अब इसे सदन में पेश नहीं किया जा सकेगा, बता दें कि सभापति के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर सदन में बहस होता है, लेकिन नोटिस के खारिज होने के बाद अब ऐसा नहीं हो सकेगा। बताते चले कि अनुच्छेद 67(बी) का इस्तेमाल करते हुए उपराष्ट्रपति को हटाने पर विचार करने वाले किसी भी प्रस्ताव के लिए अनिवार्य रूप से कम से कम 14 दिन पूर्व नोटिस देना अनिवार्य होता है, जिसका पालन नहीं किया गया। इस वजह से तकनीकी आधार पर विपक्ष के प्रस्ताव को खारिज किया गया।
सूत्रों ने बताया कि राज्यसभा महासचिव पीसी मोदी की ओर से सदन में पेश किए गए अपने फैसले में उपसभापति ने कहा कि महाभियोग नोटिस देश की संवैधानिक संस्थाओं को बदनाम करने और मौजूदा उपराष्ट्रपति को बदनाम करने की साजिश का हिस्सा है। कम से कम 60 विपक्षी सदस्यों ने 10 दिसंबर को उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को उनके पद से हटाने के नोटिस पर हस्ताक्षर किए थे। इसमें आरोप लगाया गया था कि उन्हें उनपर भरोसा नहीं है और वह पक्षपातपूर्ण हैं।

क्या बोले उपसभापति?
उपसभापति ने सभापति के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर फैसला सुनाते हुए कहा - इस व्यक्तिगत रूप से लक्षित (Personally Targeted) नोटिस की गंभीरता तथ्यों से रहित है और इसका उद्देश्य प्रचार हासिल करना है। उन्होंने यह भी माना कि यह नोटिस सबसे बड़े लोकतंत्र के उपराष्ट्रपति के उच्च संवैधानिक पद को जानबूझकर अपमानित करने का एक दुस्साहस था, सभापति धनखड़ की ओर से खुद को इससे अलग करने के बाद उपसभापति को नोटिस से निपटने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
उपसभापति ने कहा- “संसद और उसके सदस्यों की प्रतिष्ठा के लिए चिंताजनक बात ये है कि यह नोटिस मौजूदा उपराष्ट्रपति को बदनाम करने के दावों से भरा हुआ है, जिसमें अगस्त 2022 में उनके पदभार ग्रहण करने के समय की घटनाओं का जिक्र किया गया है, नोटिस में प्रामाणिकता की कमी और बाद में सामने आई घटनाओं से पता चला कि यह राजनीतिक प्रचार को चमकाने का एक प्रयास था।”
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