उत्तराखंड के दो धार्मिक स्थलों के नाम परिवर्तन को मिली मंजूरी, सीएम धामी ने जताया आभार
बताते चले कि नाम परिवर्तन को लेकर राज्य सरकार ने पिछले साल ही प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था।
Uttarakhand: उत्तराखंड वासी और नीम करौली बाबा के भक्तों के लिए बड़ी खबर सामने आ रही है। बतादें कि बुधवार (12 जून) को केंद्र सरकार ने नाम परिवर्तन का प्रस्ताव पास कर दिया है, जिसके बाद से जोशीमठ को ज्योतिर्मठ और कोश्याकुटोली का नाम बदलकर कैंची धाम कर दिया गया है। इसका प्रस्ताव को भी केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है।
नाम परिवर्तन की उठी थी मांग
बताते चले कि नाम परिवर्तन को लेकर राज्य सरकार ने पिछले साल ही प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था। इसके साथ ही नाम परिवर्तन की मांग भी स्थानीय लोग लंबे समय कर रहे ही थे कि जोशीमठ को बदलकर ज्योतिर्मठ करा दें। वहीं नाम परिवर्तन को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसके लिए केंद्र सरकार का आभार भी जताया है।
बाबा नीम करौली के भक्त हुए खुश
केंद्र सरकार ने उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित जोशीमठ का नाम बदलकर उसके प्राचीन नाम ज्योतिर्मठ करने के साथ ही सरकार ने नैनीताल जिले की तहसील कोश्याकुटोली का नाम बदलकर परगना श्री कैंची धाम करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। जिसके बाद से स्थानीय जनता और बाबा नीम करौली महाराज के भक्तों ने सरकार के इस फैसले पर खुब आभार भी व्यक्त किया है इसके साथ ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी सरकार को आभार व्यक्त किया है। बता दें कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिछले वर्ष चमोली के घाट में एक कार्यक्रम में नाम परिवर्तन को लेकर घोषणा भी की थी। जिसके बाद नाम परिवर्तन के बाद यहां के स्थानीय लोगों ने सीएम पुष्कर सिंह धामी का धन्यवाद किया है।
जानें ज्योतिर्मठ का महत्व
बतादें कि हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार यह स्थल आदि गुरु शंकराचार्य की तपोस्थली रही है। जो जोशीमठ के नाम से जाना जाता था जिसे अब बदल कर ज्योतिर्मठ के नाम से जाना जाएगा। वहीं पौराणिक मान्यताओं की मानें तो आदि गुरु शंकराचार्य यहां 8वीं सदी में आए और उन्होंने अमर कल्पवृक्ष के नीचे तपस्या की थी। जिसके बाद उन्हें दिव्य ज्ञान ज्योति की प्राप्ति हुई थी। ज्योतेश्वर महादेव और दिव्य ज्ञान ज्योति की वजह से ही इस जगह को ज्योर्तिमठ का नाम दिया गया था। बताते चले ज्योतिर्मठ बद्रीनाथ, हेमकुंड साहिब और केदारनाथ जैसी प्रसिद्ध तीर्थस्थलों का प्रवेश द्वार भी है।
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