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योगिनी एकादशी करने से बरसती है मां लक्ष्मी की कृपा, जानें शुभ मुहूर्त और कथा


आषाढ़ मास, कृष्ण पक्ष, की योगिनी एकादशी का व्रत हर सुख, समृद्धि और मोक्ष प्रदान करता है। इस दिन बन रहे संयोग विष्णु जी और लक्ष्मी जी दिलाएंगे।


Yogini Ekadashi 2024: योगिनी एकादशी 2 जुलाई 2024 दिन मंगलवार को है, आषाढ़ मास, कृष्ण पक्ष, की योगिनी एकादशी का व्रत हर सुख, समृद्धि और मोक्ष प्रदान करता है। इस दिन बन रहे संयोग विष्णु जी और लक्ष्मी जी दिलाएंगे। एकादशी 8 बजकर 27 मिनट तक उदया तिथि एकादशी व्रत रखना सर्व उत्तम फल प्रदान करती है, इस व्रत से नारायण प्रभु की कृपा प्राप्त होती है।

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जानें जुलाई माह की विशेष एकादशी

आपको बतादें कि एकादशी व्रत पूरा हो जाने के बाद व्रती को द्वादशी में पारन करना चाहिए। जैसा कि हम सभी जानते है कि सनातन धर्म में एकादशी तिथि को बेहद शुभ माना गया है, वहीं हर महीने में पड़ रही 2 बार एकादशी का व्रत किया जाता है। जिसमें एक एकादशी का व्रत कृष्ण पक्ष और दूसरा एकादशी शुक्ल पक्ष में पड़ेगा। वहीं एकादशी व्रत को लेकर धार्मिक मान्यता है कि एकादशी तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा करने से जातक को धन के साथ सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है, और व्रती की सभी मनोकामना पूरी होती हैं। वहीं इस जुलाई माह में योगिनी एकादशी और देवशयनी एकादशी पड़ेगी जो धार्मिक नजरिये से बेहद ही खास मानी जाती हैं।

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वहीं योगिनी एकादशी को लेकर धार्मिक मान्यता के अनुसार जो जातक इस व्रत को सच्चे मन से करता है उसे जीवन में कभी भी धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है, इसलिए कहा जाता है कि लोगों को यह व्रत जरूर रखना चाहिए, जिससे व्रती की सभी कामना पूरी होती हैं।

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योगिनी एकादशी व्रत के नियम

आपको बतादें कि जो लोग  एकादशी का व्रत पहली बार शुरु कर रहे है तो बताते चले कि उन जातक को योगिनी एकादशी व्रत करने के लिए अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। एकादशी का व्रत नहीं रखने वाले सभी लोगों को भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन बाल, नाखून, और दाढ़ी कटवाने की भूल न करें। साथ ही योगिनी एकादशी के दिन ब्राह्मणों को कुछ दान अवश्य करना चाहिए। एकादशी व्रत के पारण करने के बाद अन्न का दान करना शुभ माना गया है।

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योगिनी एकादशी की व्रत कथा

व्रत कथा : योगिनी एकादशी की व्रत कथा जरूर पढ़नी चाहिए- एक बार युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से आषाढ़ कृष्ण एकादशी व्रत की महिमा और विधि के बारे में बताने का अनुरोध किया। इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि आषाढ़ कृष्ण एकादशी के व्रत को योगिनी एकादशी के नाम से जानते हैं। यह व्रत तीनों लोकों में मुक्ति और सभी प्रकार के भोग प्रदान करने के लिए प्रसिद्ध है। इस व्रत को करने से सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं। स्वर्ग की प्राप्ति होती है। यह व्रत 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के समान ही फल देता है। तुम्हें इसकी कथा सुनाता हूं।

स्वर्ग के अल्कापुरी नगर में कुबेर का राज्य था। वह नित्य ही शिव जी की पूजा करता था। उसके यहां हेमा नामक माली था, जो शिव पूजा के लिए फूल देता था। उसकी पत्नी का नाम विशालाक्षी था, जो बहुत सुंदर थी। एक दिन हेम मनसरोवर से फूल लेकर आया, लेकिन घर पर पत्नी के साथ हास्य-विनोद करने लगा।

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दूसरी ओर राजा कुबेर उसके फूल लेकर आने की प्रतीक्षा करता रहा। काफी समय व्यतीत होने के बाद भी जब हेम फूल लेकर नहीं आया तो राजा ने अपने सेवकों को उसके घर भेजा, ताकि वे पता लगा सकें कि माली शिव पूजा के लिए फूल क्यों नहीं लाया। सेवक उसके घर गए, वहां से लौटकर राजा को बताया कि वह पापी और कामी है, पत्नी के साथ हास्य-विनोद कर रहा है।

यह सुनकर राजा क्रोधित हो गया। उसने गुस्से में चिल्लाकर कहा कि माली को दरबार में हाजिर किया जाए। आदेश पर माली हेम डरता कांपता हुआ राजा के समक्ष आया। उसे देखकर कुबेर और क्रोधित हो गया। उसने कहा कि तूने शिव पूजा के लिए फूल नहीं लाया, तूने शिवजी का अपमान किया है। राजा ने उसे श्राप दिया कि वह अपनी पत्नी से अलगाव का दुख सहेगा और पृथ्वी लोक पर कोढ़ी होगा।

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श्राप के प्रभाव से हेम स्वर्ग से पृथ्वी पर गिर पड़ा। उसे कोढ़ हो गया और उसकी पत्नी पता नहीं कहां गायब हो गई। पृथ्वी पर हेम अनेक कष्ट सहन करने लगा। जंगलों में अन्न और जल के लिए भटकता रहा। शिव कृपा से उसे पहले की बातें याद थीं। एक दिन वह भटकते हुए मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में पहुंचा। उनको प्रणाम करके वह उनके चरणों में गिर पड़ा। मार्कण्डेय ऋषि ने उससे कष्ट और इस दशा का कारण पूछा तो उसने सब कुछ सच-सच बता दिया। उसने मार्कण्डेय ऋषि से मुक्ति का मार्ग बताने का अनुरोध किया।

इस पर मार्कण्डेय ऋषि ने उससे कहा कि तुम आषाढ़ माह में योगिनी एकादशी का व्रत विधि विधान से करो। तुम्हारे सभी पाप मिट जाएंगे और तुमको इस कष्ट से मुक्ति मिल सकेगी। मार्कण्डेय ऋषि ने जैसा बताया था, समय आने पर हेम माली ने योगिनी एकादशी का व्रत उस तरह से ही किया। भगवान विष्णु की कृपा से उसके पाप मिट गए। उसका स्वरूप पहले जैसा ही हो गया। उसकी पत्नी भी उसके पास आ गई। वे दोनों स्वर्गलोक में सुखपूर्वक रहने लगे।

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