PM Modi की अपील: संसद को हार-जीत का अखाड़ा न बनने दें
संसद का शीतकालीन सत्र: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी राजनीतिक दलों से आग्रह किया है कि उन्हें चुनावी हार-जीत के परिणामों से बाहर निकलकर इसकी निराशा या अहंकार का अखाड़ा संसद को नहीं बनाना चाहिए और जनता की आकांक्षाओं तथा लोकतंत्र की मर्यादाओं के अनुरूप संसद की कार्यवाही में हिस्सा लेना चाहिए।
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प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि संसद का महत्वपूर्ण शीतकालीन सत्र शांतिपूर्ण ढंग से चलेगा और सभी सदस्य देश की प्रगति के लिए तथा चुने हुए प्रतिनिधियों को अपनी अभिव्यक्ति का अवसर देने के लिए सदन को चलाने में अपना सहयोग करेंगे।
शीतकालीन सत्र शुरू
आपको बतादें कि पीएम मोदी ने आज सोमवार को संसद के शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले संसद भवन परिसर में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा – राष्ट्र तेज गति से आगे बढ़ रहा है और इसे और आगे बढ़ने की ऊर्जा देने का काम शीतकालीन सत्र करेगा, ऐसा उन्हें विश्वास है। चुनावी हार जीत लोकतंत्र का हिस्सा है लेकिन संसदीय लोकतंत्र की मजबूती का दायित्व हम सबकी जिम्मेदारी है।
Speaking at the start of the Winter Session of Parliament. May the session witness productive discussions. https://t.co/7e6UuclIoz
— Narendra Modi (@narendramodi) December 1, 2025
निजी एजेंडे में संसद की कार्यवाही बाधित न हो
उन्होंने कहा कि निजी एजेंडे के लिए संसद की कार्यवाही बाधित नहीं होनी चाहिए। नए सांसदों को अपनी बात रखने का अवसर मिलना चाहिए और सदन के कार्यवाही बाधित कर उनके अवसर को छीना नहीं जाना चाहिए। इस नए सांसदों को अभिव्यक्ति का अवसर दीजिए अपनी निराशा और अपनी पराजय में सांसदों को बली मत बनने दीजिये।
#wintersession2025
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आदरणीय सभापति जी, शीतकालीन सत्र का प्रारंभ हो रहा है और यह हम सभी माननीय सदस्यों के लिए गर्व का विषय है कि आज हमें आपका स्वागत करने तथा आपके मार्गदर्शन में कार्य करने का अवसर प्राप्त हो रहा है। सदन के माध्यम से देश को प्रगति के पथ पर आगे ले जाने हेतु… pic.twitter.com/TK62ALR8Fp
प्रधानमंत्री ने कहा- लोकतंत्र के प्रति विश्वास मजबूत होता रहता है और ऐसा समय-समय पर कुछ न कुछ देखने को मिलता है। उन्होंने बिहार विधानसभा में हुए भारी मतदान का जिक्र करते हुए कहा- बिहार विधानसभा के चुनाव में मतदान जिस रिकॉर्ड के साथ हुआ वह लोकतंत्र में नया विश्वास पैदा करता है। बड़ी बात यह है कि चुनाव में माता बहने ज्यादा हिस्सा ले रही हैं।
आज का यह शीतकालीन सत्र एक और कारण से भी महत्वपूर्ण है—हमारे नए सभापति जी आज से हमारे उच्च सदन का मार्गदर्शन करेंगे : PM @narendramodi #WinterSession20255 @VPIndia #LokSabha #RajyaSabha @LokSabhaSectt pic.twitter.com/951t120e7e
— SansadTV (@sansad_tv) December 1, 2025
संसद को अखाड़ा ना बनाएं
पीएम मोदी ने कहा- इस सत्र में यह पता चलना है कि संसद और संसद सदस्य देश के लिए क्या सोचते हैं। वे देश के लिए क्या करने वाले हैं और क्या कर रहे हैं। विपक्ष भी अपना दायित्व निभाए और मजबूत मुद्दे उठाकर लोकतंत्र को मजबूत बनाए। उसे पराजय की निराशा से बाहर आकर लोकतंत्र की मजबूती के लिए काम करना है लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि एकाध दल तो निराशा से बाहर ही नहीं आ पा रहे हैं, उनके बयानों से यही लगता है। पराजय से निराश होकर संसद को उसका अखाड़ा नहीं बनाना है और नहीं विजय के अहंकार में डूब कर अपने दायित्व को भूलना है।
Speaking in the Rajya Sabha. https://t.co/HIrliYGhyB
— Narendra Modi (@narendramodi) December 1, 2025
संसद में नारे नहीं नीति पर ध्यान दे
उन्होंने कहा कि देश के लिए सबको मिलकर बेहतर काम करना चाहिए और सदन में इसका परिचय देना चाहिए। संसद में जब हंगामा होता है तो सदस्यों को अपनी बात कहने का मौका नहीं मिलता है। नए सांसदों को मौका देना चाहिए और उनके अनुभव और नई पीढ़ी का जो जोश है उसका लाभ देश को मिलना चाहिए। संसद में ड्रामा नहीं डिलीवरी होनी चाहिए। नारे लगाने हैं तो पूरा देश खाली पड़ा है वहां नारे लगाए लेकिन संसद में नारे नहीं नीति पर बल देना चाहिए। नकारात्मकता भले ही किसी के काम कभी आ जाये है लेकिन देश के लिए सकारात्मक रूप से सोचना होगा और मर्यादा में रहकर काम करना होगा।
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पीएम मोदी ने आगे कहा- राज्यसभा के नए सभापति सीपी राधाकृष्णन पहली बार सदन की कार्यवाही का संचालन करेंगे उनके अनुभव का लाभ सबको मिलेगा ऐसा उनको विश्वास है।
#wintersession2025
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हमारे सभापति जी एक सामान्य परिवार से आते हैं। किसान परिवार से निकलकर उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज सेवा के लिए समर्पित किया है। समाज सेवा ही उनकी निरंतरता रही है। राजनीतिक क्षेत्र उनका सिर्फ एक पहलू रहा है, लेकिन मुख्य धारा समाज सेवा की ही रही है।
समाज के… pic.twitter.com/ggO6KBdfVW
पीएम ने सांसदों से की अपील
उन्होंने ने कहा – पिछले कुछ समय से सदन को पराजय की बौखलाहट के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है। सत्ता में रहने की बौखलाहट संसद में दिख रही है। जनता को अपनी बात नहीं बता पा रहे हैं और सारा गुस्सा सदन में उतार रहे हैं। यह नई परंपरा शुरू की जा रही है और यह ठीक नहीं है। पिछले 10 सालों से जो खेल चल रहा है वह देश को स्वीकार नहीं है इसलिए रणनीति बदलने की उन्हें जरूरत है। प्रधानमंत्री ने सभी सांसदों से शांतिपूर्ण तरीके से सदन को चलाने में सहयोग करने की अपील की और उन्हें उम्मीद है कि सभी सांसदों को सदन में अभिव्यक्ति का अवसर देंगे और अपनी पराजय की निराशा को सदन नारे लगाकर व्यक्त नहीं करेंगे।
