प्रयागराज ट्रिपल IIT बनाएगा आतंकी धमकी पकड़ने वाला AI सिस्टम
प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज का ट्रिपल IIT संस्थान एक ऐसा सिस्टम तैयार करने जा रहा है, जो आतंकी धमकी देने वालों की तह तक जाएगा। इसके लिए यहां के एक्सपर्ट एआई बेस्ड साफ्टवेयर बनाने जा रहे हैं। इसके लिए केंद्र सरकार की तरफ से करीब 4.73 करोड़ का बजट भी स्वीकृत कर दिया गया है। इस तरह का यह देश का पहला सिस्टम होगा।
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Cyber Terrorism का अब होगा खुलासा
इससे पलक झपकते ही Cyber Terrorism को आसानी से नाकाम किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि दुनिया के किसी भी कोने से बैठ कर कोई भी यदि भारत पर बुरी नजर रखता है तो वह बच नहीं पाएगा। धमकी देने वाला व्यक्ति कहां पर छिपा बैठा हुआ है। उसकी जानकारी तत्काल यह सिस्टम आसानी से पता लगा सकेगा, कि यह धमकी कहां से आई है।

बम धमाके से पहले हो जाएगा खुलासा
ट्रिपल आईटी के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के प्रो. बृजेंद्र सिंह की देखरेख में इस पर काम शुरू कर दिया गया है। प्रो. वृजेंद्र सिंह ने बताया कि मिनिस्ट्री आफ इलेक्ट्रानिक एंड टेक्नोलॉजी एंड इंफार्मेशन की तरफ से यह प्रोजेक्ट संस्थान को दिया गया है। देखा जा रहा है कि आजकल साइबर सिस्टम का दुरुपयोग बहुत किया जाता है। बहुत सारी असामाजिक गतिविधियां होती रहती हैं। कहीं बम से उड़ाने की धमकी दी जाती है तो कहीं अन्य तरह की धमकियां मिलती रहती है।
इसका पता लगाने के लिए सरकार को तमाम एजेंसियों को लगाना पड़ता है। समय के साथ काफी पैसे भी खर्च होते हैं। बाद में यह पता चलता है कि फेक काल्स थी या फर्जी सूचनाएं हैं। इससे लोगों में डर का माहौल भी पैदा हो जाता है। प्रो. सिंह ने बताया कि जो एजेंटिक एआई बेस्ड सिस्टम तैयार किया जा रहा है। इसमें तत्काल आसानी से धमकी देने वालों को लोकेट किया जा सकता है। इतना ही नहीं लोकेट करने के बाद सुरक्षा एजेंसियों को रियल टाइम में अलर्ट भेजा जाएगा।

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2 करोड़ में बना जीपीयू लैब
उन्होने बताया कि इसमें हम वीपीएन-एलएलएम (लार्ज लैंग्वेज मॉडल) टाइप का सिस्टम डेवलप कर रहे हैं। यह पूरी कुंडली बता देगा आपराधिक व आतंकी गतिविधियों की। इसमें हम नार्मल ट्रैफिक के साथ साथ डार्कवेब की भी मानिटरिंग करेंगे।दरअसल, इस हाइटेक साफ्टवेयर को तैयार करने में करीब तीन साल का समय दिया गया है।
इसके लिए ट्रिपल आईटी प्रयागराज में अलग से हाइटेक लैब भी बनाया जा रहा है। बता दे करीब 2 करोड़ की लागत से जीपीयू लैब बनाया जाएगा। इसके लिए 5 एक्सपर्ट भी तैनात किए जाएंगे जो साइबर के स्पेशलिस्ट होंगे। इसके लिए बीएचयू से भी सपोर्ट लिया जाएगा, क्योंकि ट्रिपल आईटी की टीम कुछ टेस्टिंग वहां पर भी करेंगी।
