राष्ट्रपति मुर्मु का संविधान दिवस संदेश- 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर
दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने बुधवार को संविधान सदन के सेंट्रल हॉल में संविधान दिवस 2025 के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय समारोह की अध्यक्षता की साथ ही संविधान को राष्ट्रीय अस्मिता और पहचान का ग्रंथ बताते हुए कहा- बीते दशक में हमारी संसद ने इसके मूल्यों पर चलते हुए जन आकांक्षाओं को अभिव्यक्त करने के अनेक कार्य किए हैं।
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President Droupadi Murmu graced the Constitution Day Celebration at the Central Hall of Samvidhan Sadan in New Delhi. The President said that by moving forward in accordance with the constitutional system, our country's executive, legislature, and judiciary have strengthened… pic.twitter.com/tFvqw6FnhY
— President of India (@rashtrapatibhvn) November 26, 2025
25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर
राष्ट्रपति मुर्मु ने संविधान दिवस के अवसर पर संविधान सदन के केन्द्रीय कक्ष में अपने अभिभाषण में कहा- संविधान सभा ने संसदीय प्रणाली को अपनाने के पक्ष में जो ठोस तर्क दिये गए थे वे आज भी प्रासंगिक हैं। विश्व के विशालतम लोकतन्त्र में जन-आकांक्षाओं को अभिव्यक्त करने वाली भारतीय संसद, विश्व के अनेक लोकतंत्रों के लिए आज एक उदाहरण के रूप में प्रतिष्ठित है। उन्होंने कहा -” हमारे संविधान निर्माता चाहते थे कि संविधान के माध्यम से हमारा सामूहिक और व्यक्तिगत स्वाभिमान सुनिश्चित रहे। मुझे यह कहते हुए बहुत प्रसन्नता होती है कि बीते दशक में हमारी संसद ने जन-आकांक्षाओं को अभिव्यक्त करने के अत्यंत प्रभावी उदाहरण प्रस्तुत किए हैं। “
LIVE: President Droupadi Murmu graces Samvidhan Divas – 2025 at Central Hall of Samvidhan Sadan, New Delhi https://t.co/iUUDbeu1NF
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इस दौरान अपने संबोधन के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा- “भारत में हाल के वर्षों में लगभग 25 करोड़ लोगों का गरीबी रेखा से बाहर आना आर्थिक न्याय के क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी सफलताओं में से एक है, हमारे संविधान में सामाजिक न्याय को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है, और इसी आदर्श के अनुरूप समावेशी एवं संतुलित विकास के व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं”।
संविधान पर राष्ट्रपति का संदेश
आज के दिन, पूरा देश, भारतीय लोकतन्त्र के आधार, हमारे संविधान के प्रति तथा उसके निर्माताओं के प्रति आदर व्यक्त करता है। ‘हम भारत के लोग’, अपने संविधान के प्रति व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर आस्था व्यक्त करते हैं। pic.twitter.com/ogrPqOWTO0
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राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा- संविधान निर्माताओं की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए वह सभी सांसदों को बधाई देती हैं और कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से संविधान सभा के परम सम्माननीय सदस्यों की स्मृति में सादर नमन करती हैं। उन्होंने कहा कि संविधान की अंतरात्मा सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता जैसे आदर्शों में अभिव्यक्त होती है।
राष्ट्रपति ने कहा- आज के दिन, पूरा देश, भारतीय लोकतन्त्र के आधार, हमारे संविधान के प्रति तथा उसके निर्माताओं के प्रति आदर व्यक्त करता है। ‘हम भारत के लोग’, अपने संविधान के प्रति व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर आस्था व्यक्त करते हैं।
हमारे संविधान निर्माता चाहते थे कि संविधान के माध्यम से हमारा सामूहिक और व्यक्तिगत स्वाभिमान सुनिश्चित रहे। मुझे यह कहते हुए बहुत प्रसन्नता होती है कि बीते दशक में हमारी संसद ने जन-आकांक्षाओं को अभिव्यक्त करने के अत्यंत प्रभावी उदाहरण प्रस्तुत किए हैं। pic.twitter.com/Qy1ugiyYUJ
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हमारे संविधान निर्माता चाहते थे कि संविधान के माध्यम से हमारा सामूहिक और व्यक्तिगत स्वाभिमान सुनिश्चित रहे। मुझे यह कहते हुए बहुत प्रसन्नता होती है कि बीते दशक में हमारी संसद ने जन-आकांक्षाओं को अभिव्यक्त करने के अत्यंत प्रभावी उदाहरण प्रस्तुत किए हैं।
हमारा संविधान, हमारी राष्ट्रीय अस्मिता का ग्रंथ है। यह हमारी राष्ट्रीय पहचान का ग्रंथ है। यह colonial mindset का परित्याग करके nationalist mindset के साथ देश को आगे बढ़ाने का मार्गदर्शक ग्रंथ है। pic.twitter.com/MLdwqgmypP
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हमारा संविधान, हमारी राष्ट्रीय अस्मिता का ग्रंथ है। यह हमारी राष्ट्रीय पहचान का ग्रंथ है। यह colonial mindset का परित्याग करके nationalist mindset के साथ देश को आगे बढ़ाने का मार्गदर्शक ग्रंथ है।
संवैधानिक आदर्शों में निहित सर्व-समावेशी दृष्टि हमारी शासन-व्यवस्था को दिशा प्रदान करती है। हमारे संविधान में निहित नीति-निर्देशक तत्व हमारी शासन-व्यवस्था के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
संवैधानिक आदर्शों में निहित सर्व-समावेशी दृष्टि हमारी शासन-व्यवस्था को दिशा प्रदान करती है। हमारे संविधान में निहित नीति-निर्देशक तत्व हमारी शासन-व्यवस्था के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। pic.twitter.com/e76y74x3Bb
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संसद के दोनों सदनों के सदस्यों ने हमारे देश को आगे बढ़ाने के साथ-साथ गहन राजनीतिक चिंतन की स्वस्थ परंपरा विकसित की है। आने वाले काल-खंडों में जब विभिन्न लोकतंत्रों और संविधानों का तुलनात्मक अध्ययन किया जाएगा तब भारतीय लोकतन्त्र और संविधान का विवरण स्वर्णाक्षरों में किया जाएगा।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू नई दिल्ली में संविधान सदन के सेंट्रल हॉल में संविधान दिवस समारोह में शामिल हुईं। राष्ट्रपति ने कहा कि संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार आगे बढ़ते हुए हमारे देश की कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका ने देश के विकास को मजबूत किया है और नागरिकों के जीवन को स्थिरता और सहारा दिया है।
उन्होंने कहा कि संसद के सदस्य हमारे संविधान और लोकतंत्र की शानदार परंपरा के वाहक, निर्माता और गवाह हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि संसद के मार्गदर्शन में भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प निश्चित रूप से पूरा होगा।
संसद के दोनों सदनों के सदस्यों ने हमारे देश को आगे बढ़ाने के साथ-साथ गहन राजनीतिक चिंतन की स्वस्थ परंपरा विकसित की है। आने वाले काल-खंडों में जब विभिन्न लोकतंत्रों और संविधानों का तुलनात्मक अध्ययन किया जाएगा तब भारतीय लोकतन्त्र और संविधान का विवरण स्वर्णाक्षरों में किया जाएगा। pic.twitter.com/mkGhVm4HzW
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नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ लागू
राष्ट्रपति ने कहा- संविधान में सामाजिक न्याय के आदर्श के अनुरूप देश में समावेशी विकास के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ लागू होने से महिलाओं के नेतृत्व में विकास के एक नए युग का आरंभ होगा। उन्होंने कहा कि इस वर्ष सात नवंबर से राष्ट्र-गीत ‘वन्दे मातरम्’ की रचना के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में देशव्यापी स्मरणोत्सव मनाए जा रहे हैं। यह स्मरणोत्सव भारत माता को समृद्ध, सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के संकल्प का अवसर है। उन्होंने कहा ,” मुझे विश्वास है कि इस राष्ट्रीय संकल्प की सिद्धि के लिए आप सभी सदस्यगण देशवासियों को दिशा और प्रेरणा प्रदान करेंगे। “

उन्होंने कहा कि देश का संविधान, हमारी राष्ट्रीय अस्मिता का ग्रंथ है। यह हमारी राष्ट्रीय पहचान का ग्रंथ है। यह औपनिवेशक मानसिकता का परित्याग करके राष्ट्रवादी विचारधारा के साथ देश को आगे बढ़ाने का मार्गदर्शक ग्रंथ है। उन्होंने कहा कि इसी भावना के अनुरूप, सामाजिक और तकनीकी बदलावों को ध्यान में रखते हुए, आपराधिक न्याय प्रणाली से जुड़े महत्वपूर्ण अधिनियम लागू किए गए हैं।
इस खास अवसर सभी सांसद मौजूद

राष्ट्रपति ने संविधान संशोधन के प्रावधानों के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा- संविधान में ही ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जिसके बल पर भावी पीढ़ियां आवश्यकतानुसार समयानुकूल संशोधन कर सकें। इस प्रकार संविधान निर्माताओं ने हमारे संविधान को गतिशीलता और जीवंतता प्रदान की। इस अवसर पर उप राष्ट्रपति सी पी राधाकृष्णन,प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू , राज्यसभा में सदन के नेता जगत प्रकाश नड्डा, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और सभी सांसद मौजूद थे।
