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RBI ने बढ़ती गर्मी के साथ महंगाई की भी दी चेतावनी, देंखे क्या हो रहा मंहगा

RBI : देश में बढ़ती मंहगाई को लेकर रिजर्व बैंक RBI  के गर्वनर शक्तिकांत दास ने कहा- इस साल मौसम में गर्मी ज्‍यादा होने की वजह से सब्जियों की पैदावार कम होने की आशंका है। इससे महंगाई बढ़ सकती है। इसके साथ ही उन्होंने कहा- केंद्रीय बैंक सब्जियों की कीमतों पर नजर बनाए रखेगा जो बढ़ती गर्मी से प्रभावित हो सकती हैं। वहीं भारत के मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने देश के कई हिस्सों में इस साल गर्मी के मौसम (अप्रैल से जून) में लू चलने का पूर्वानुमान लगाया है।

बतादे कि वित्त वर्ष 2024-25 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद मीडिया के साथ बातचीत के दौरान रिजर्व बैंक के गर्वनर दास ने कहा- हमें यह देखना होगा कि इसका खाद्य फसलों पर क्या असर पड़ता है। मैंने प्रमुख सब्जियों का उल्लेख किया है। साथ ही दास ने कहा कि आरबीआई का मुख्य उद्देश्य मुद्रास्फीति दर को टिकाऊ आधार पर सरकार द्वारा निर्धारित 4 प्रतिशत के लक्ष्य तक लाना है। वहीं मौसम विभाग के पूर्वानुमान के बाद सवाल पर दास ने कहा- हमें यह देखना होगा कि इसका (उच्च तापमान) विशेष रूप से खाद्य फसलों पर क्या असर पड़ता है। मैंने कुछ प्रमुख सब्जियों का उल्लेख भी किया है।

खाने की चीजों पर बना है दबाव


डिप्‍टी गवर्नर पात्रा ने कहा – अंडा, मांस, मछली और चावल जैसी वस्तुओं की वजह से भी मुद्रास्फीति पर दबाव बना है। इसके अलावा हाल के दिनों में अनाज, सब्जियों के कारण भी खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि हुई है। गवर्नर ने कहा कि मुद्रास्फीति पर आरबीआई का लक्ष्य अब सामने है और उन्होंने सभी से मूल्य वृद्धि को लेकर सतर्कता कम नहीं करने को कहा है।

अनाज रहेगा मंहगाई के संकट दूर

वहीं सब्जियों को लेकर चिंता जताने वाले गवर्नर ने बताया अनाज पर कोई संकट नहीं है,इसके साथ ही उन्होंने कहा कि गेहूं को लेकर कोई समस्या नहीं होगी इसका भरोसा भी जताया गया है, क्योंकि अधिकतर कटाई पूरी हो चुकी है। लेकिन हां सब्जियों की कीमतों पर नजर रखनी होगी और लू के कई अन्य प्रभाव हो सकते हैं।

हाथी जंगल में जा रहा

वहीं मीडिया से बातचीत के दौरान गर्वनर ने कहा- “हाथी बाहर टहलने गया है और लगता है कि जंगल में लौट जाएगा।” हाथी से उनका आशय खुदरा महंगाई से था। आरबीआई गवर्नर यह कहना चाहते थे कि महंगाई नियंत्रण में है और जल्दी ही वह निर्धारित सीमा में आ जाएगी। शक्तिकांत दास वित्त वर्ष 2024-25 में मौद्रिक समीक्षा समिति की पहली बैठक के बाद मीडिया से मुखातिब थे। आरबीआई ने लगातार सातवीं समीक्षा में रेपो रेट को 6.5% पर बरकरार रखा है। आरबीआई जिस ब्याज पर बैंकों को कर्ज देता है उसे रेपो रेट कहते हैं।


इकोनॉमी के तमाम सेक्टर इस उम्मीद में हैं कि महंगाई कम हो तो रिजर्व बैंक रेपो रेट घटाएगा। इससे आम लोगों और इंडस्ट्री के लिए कर्ज भी सस्ता होगा। लांग टर्म में खुदरा महंगाई के लिए केंद्रीय बैंक का लक्ष्य 4% का है, समय-समय पर यह 2% कम या ज्यादा हो सकता है। लेकिन 2020 में कोरोना महामारी आने के पहले से यह 4% से ऊपर बनी हुई है। हम चाहते हैं कि हाथी जंगल में लौट आए और हमेशा वहीं रहे। आरबीआई के आखिरी अध्ययन के बाद से संभावित वृद्धि दर में बढ़ोतरी हुई। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22, 2022-23 और 2023-24 के लिए औसत वृद्धि 8 फीसदी है।

वे कहते हैं, “महंगाई को लेकर आरबीआई की चिंता खाद्य महंगाई पर टिकी है। लेकिन उसके बयान से लागत बढ़ने की चिंता भी झलकती है। खास कर कच्चे तेल और कमोडिटी के दाम में। भू-राजनीतिक कारणों से तेल और दूसरी कमोडिटी के दाम बढ़े हैं।”
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