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संघ के कार्यकर्ता से उपराष्ट्रपति पद तक का सी.पी. राधाकृष्णन का सफर

CP Radha Krishnan: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवार सी पी राधाकृष्णन देश के नए उप राष्ट्रपति चुने गये हैं। उपराष्ट्रपति चुनाव में मंगलवार को निर्वाचित घोषित हुए। चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन तमिलनाडु की राजनीति में एक सम्मानित नाम हैं और दक्षिण में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का ध्वज लहराने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

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उप राष्ट्रपति के चुनाव में हुई राधाकृष्ण की जीत

सी पी राधाकृष्णन के सार्वजनिक जीवन में पांच दशक से अधिक का लम्बा अनुभव है। वहीं राधाकृष्ण ने उप राष्ट्रपति के पद के चुनाव के लिए मंगलवार को संसद भवन में हुए मतदान में इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार पूर्व न्यायाधीश बी सुदर्शन रेड्डी को प्रथम वरीयता के 152 मतों से हराया। जिसके बाद निर्वाचन अधिकारी पी सी मोदी ने मतगणना के बाद श्री राधाकृष्णन को उप राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित घोषित किया।

जानें मत के और गणना के दौरान बरती गई सावधानियां

इस दौरान उन्होंने बताया कि कुल 781 मतों में से 767 मत पड़े जिनमें से राधाकृष्णन को प्रथम वरियता के आधार पर 452 मत मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी सुदर्शन रेड्डी को प्रथम वरियता के 300 मत मिले। उन्होंने कहा कि 15 मत अवैध घोषित किये गये। इसके साथ ही निर्वाचन अधिकारी पी सी मोदी ने बताया कि चुनाव में 98.2 प्रतिशत मतदान हुआ। जोकि सुबह दस बजे शुरू हुआ था और पांच बजे संपन्न हुआ। वहीं दोनों उम्मीदवारों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में मतगणना छह बजे शुरू हुई। इसके पहले मतों की वैधता की जांच की गयी जिसमें 15 मत अवैध पाये गये इनमें एक सांसद द्वारा डाक से भेजा गया एक मत भी शामिल है।

जानें मतदान कौन कर सकता

आपको बताते चले कि उप राष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचक मंडल में लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य होते हैं। इस चुनाव में निर्वाचक मंडल के सदस्यों की कुल संख्या 781 थी जिनमें लोकसभा के 442 और राज्यसभा के 239 सदस्य हैं। जीत के लिए प्रथम वरीयता के 377 मतों की जरूरत थी। राधाकृणन को प्रथम वरीयता के 452 मत मिले जो दोनों सदनों में राजग सदस्यों की कुल संख्या से अधिक हैं। बीजू जनता दल, भारत राष्ट्र समिति तथा शिरोमणि अकाली दल ने पहले ही मतदान में शामिल नहीं होने की घोषणा कर दी थी।

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जानें सी. पी. राधाकृष्णन का सफर

सी. पी. राधाकृष्णन का जन्म 4 मई, 1957 को तमिलनाडु के तिरुप्पुर में हुआ उन्होंने बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातक किया हैं। उन्होंने सार्वजनिक जीवन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के स्वयंसेवक के रूप में शुरु किया और सन 1974 में भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य बने। राधाकृष्णन अपने कॉलेज के दिनों में टेबल टेनिस में कॉलेज चैंपियन और लंबी दूरी के धावक थे। उन्हें क्रिकेट और वॉलीबॉल का भी शौक था। राधाकृष्णन ने अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, सहित कई देशों की यात्रा की है। उन्होंन को 1996 में तमिलनाडु में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का सचिव नियुक्त किया गया। वे 1998 में कोयंबटूर से पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए। 1999 में वे पुनः लोकसभा के लिए चुने गए।

संघ के कार्यकर्ता से उपराष्ट्रपति पद तक का सी.पी. राधाकृष्णन का सफर

वहीं सांसद के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कपड़ा संबंधी संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वह सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) संबंधी संसदीय समिति और वित्त संबंधी परामर्शदात्री समिति के भी सदस्य रहे। वह स्टॉक एक्सचेंज घोटाले की जाँच करने वाली संसदीय विशेष समिति के सदस्य भी थे। राधाकृष्णन ने 2004 में, संसदीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया। वह भारत से ताइवान गए पहले संसदीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य भी थे।

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पद पर संभाले कई बड़े कार्यभार

राधाकृष्णन 2004 से 2007 के बीच, तमिलनाडु में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे। इस पद पर रहते हुए, उन्होंने 93 दिनों तक चली 19,000 किलोमीटर की ‘रथ यात्रा’ की। यह यात्रा सभी भारतीय नदियों को जोड़ने, आतंकवाद के उन्मूलन, समान नागरिक संहिता लागू करने, अस्पृश्यता निवारण और मादक पदार्थों की समस्या से निपटने की उनकी मांगों को उजागर करने के लिए आयोजित की गई थी। उन्होंने विभिन्न उद्देश्यों के लिए दो और पदयात्राओं का भी नेतृत्व किया।

संघ के कार्यकर्ता से उपराष्ट्रपति पद तक का सी.पी. राधाकृष्णन का सफर

सी. पी. राधाकृष्णन को 2016 में, कोच्चि के कॉयर बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, इस पद पर वह चार वर्षों तक रहे। उनके नेतृत्व में भारत से कॉयर निर्यात 2532 करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया। वह 2020 से 2022 तक, भाजपा की केरल इकाई के प्रभारी रहे।

बताते चले कि सी. पी. राधाकृष्णन को प्रशासनिक क्षेत्र का भी अच्छा अनुभव है। उन्हें 18 फ़रवरी, 2023 को, झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया। अपने पहले चार महीनों के दौरान, उन्होंने झारखंड के सभी 24 ज़िलों की यात्रा की और नागरिकों और ज़िला अधिकारियों से बातचीत की। इसके साथ ही उन्होंने 31 जुलाई 2024 को महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में शपथ ली। झारखंड के राज्यपाल के रूप में उन्होंने करीब लगभग डेढ़ वर्ष तक कार्य किया। उन्होंने तेलंगाना के राज्यपाल और पुडुचेरी के उपराज्यपाल का कार्यभार भी संभाला ।

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