शंख बजाने के चमत्कारी फायदे: धार्मिक, वैज्ञानिक और स्वास्थ्य लाभ, सही विधि और रहस्य
Benefits Of Shankhnaad: शंख को लेकर हमारे शास्त्रों में कहा गया है इस की प्राप्ति हमें समुद्र मंथन से हुई हैं। वहीं बात करें भारत की प्राचीन परंपराओं और संस्कृति में शंख का स्थान अद्वितीय और पवित्र है। समुद्र मंथन से निकले 14 रत्नों में शंख को विशेष स्थान दिया गया है। इसे देवी लक्ष्मी का भाई और भगवान विष्णु का प्रिय आयुध माना जाता है।

आज भी किसी भी शुभ कार्य, पूजा-पाठ, यज्ञ, विवाह, विजय-उत्सव या धार्मिक अनुष्ठान की शुरुआत शंखनाद से होती है। शंख की गूंज न केवल वातावरण को शुद्ध करती है, बल्कि शरीर और मन पर भी अद्भुत असर डालती है।आइए विस्तार से जानते हैं शंख के धार्मिक, वैज्ञानिक, स्वास्थ्य और वास्तु महत्व के बारे में।
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शंख का धार्मिक महत्व-
हिंदू धर्म में शंख को अत्यंत शुभ और दिव्य माना गया है।
भगवान विष्णु का प्रिय आयुध: विष्णुजी के चार मुख्य आयुधों में शंख (पांचजन्य) का विशेष स्थान है। शंख की ध्वनि से ही “ॐ” की अनुगूंज निकलती है, जिसे सृष्टि का मूल स्वर कहा गया है।
लक्ष्मी का भाई: मान्यता है कि शंख समुद्र मंथन से उत्पन्न हुआ था और इसे माता लक्ष्मी का भाई माना जाता है। इसलिए जिस घर में शंख होता है, वहां सुख-समृद्धि और धन का वास होता है।

नकारात्मक शक्तियों का नाश: धार्मिक ग्रंथों में शंख की ध्वनि को नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करने वाला बताया गया है। यह वातावरण को शुद्ध और पवित्र बनाती है।
पूजा-पाठ में अनिवार्य: शंखनाद के बिना कोई भी धार्मिक आयोजन पूर्ण नहीं माना जाता। चाहे आरती हो, यज्ञ हो या विवाह—शंख बजाना अनिवार्य है।
शंख का वैज्ञानिक महत्व-
प्राचीन परंपराएं केवल आस्था तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि इनके पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं।
ध्वनि तरंगों का प्रभाव: शंख की ध्वनि लगभग 110 डेसिबल तक जाती है। यह ध्वनि तरंग वातावरण में शक्तिशाली कंपन पैदा करती है।
जीवाणुओं का नाश: शोध बताते हैं कि शंख की ध्वनि से वातावरण में मौजूद कई बैक्टीरिया और वायरस निष्क्रिय हो जाते हैं।

सकारात्मक ऊर्जा: शंख बजाने से वातावरण में पॉज़िटिव वाइब्रेशन फैलती है। यह ध्वनि तरंग शरीर के ऊर्जा केंद्रों (चक्रों) को सक्रिय करती है।
प्राकृतिक थेरैपी: शंख की गूंज से मन शांत होता है और दिमाग की नसों को सुकून मिलता है।
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शंख बजाने के स्वास्थ्य लाभ
(A) फेफड़ों की क्षमता में सुधार
शंख बजाने के लिए लंबी सांस लेनी होती है और फिर नियंत्रित रूप से बाहर निकालनी पड़ती है। यह प्राणायाम के समान है और फेफड़ों की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। अस्थमा और सांस संबंधी रोगों में लाभकारी है।
(B) दिल की सेहत
शंख बजाने से हृदय की मांसपेशियां सक्रिय रहती हैं और ब्लड प्रेशर नियंत्रित होता है। हार्ट अटैक की संभावना कम होती है।
(C) पाचन तंत्र में सुधार
शंख बजाने से पेट और डायफ्राम की मांसपेशियों का व्यायाम होता है। इससे गैस, कब्ज और अपच जैसी समस्याओं में राहत मिलती है।

(D) चेहरे की मांसपेशियों का व्यायाम
शंख बजाने से होंठ और चेहरे की मांसपेशियों की कसरत होती है। इससे चेहरे की झुर्रियां कम होती हैं और प्राकृतिक निखार आता है।
(E) नर्वस सिस्टम को मजबूती
शंख की गूंज नर्वस सिस्टम पर सकारात्मक असर डालती है। तनाव और चिंता दूर होती है और मन शांत रहता है।
(F) इम्युनिटी बढ़ाना
नियमित शंखनाद से रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) मजबूत होती है। इससे सर्दी-जुकाम, फ्लू और अन्य संक्रामक बीमारियों से बचाव होता है।
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शंख जल के फायदे
- शंख में रातभर पानी भरकर रखने से उसमें कैल्शियम, फॉस्फोरस और गंधक जैसे खनिज घुल जाते हैं।
- त्वचा रोगों में लाभकारी: इस जल से त्वचा धोने पर खुजली, एलर्जी और सफेद दाग जैसी समस्याएं कम होती हैं।
- हड्डियां और दांत मजबूत: कैल्शियम से भरपूर यह जल हड्डियों और दांतों के लिए फायदेमंद है।
- आंखों के लिए अच्छा: शंख जल से आंखें धोने पर इंफेक्शन दूर होता है और दृष्टि तेज होती है।

शंख के प्रकार और उनका महत्व
- दक्षिणावर्ती शंख – यह दाईं ओर घूमता है और इसे लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। घर में रखने से धन-समृद्धि आती है।
- वामावर्ती शंख – यह बाईं ओर घूमता है। इसका उपयोग जलाभिषेक और पूजन में होता है।
- गणेश शंख – गणेश जी के स्वरूप वाला शंख, जिसे विघ्न-बाधा दूर करने के लिए पूजा जाता है।
शंख बजाने का सही तरीका

- शंख को दोनों हाथों से मजबूती से पकड़ें।
- होंठों को शंख के छेद पर पूरी तरह टिकाएं।
- नाक से गहरी सांस लें और नियंत्रित रूप से छोड़ें।
- हवा गालों से न निकालें, बल्कि सीधे फेफड़ों से शंख में जाए।
- ध्वनि लगातार और समान होनी चाहिए।
घर में शंख रखने के नियम और वास्तु महत्व
- पूजा का शंख कभी न बजाएं।
- घर में दो शंख रखें—एक पूजा के लिए, दूसरा बजाने के लिए।
- शंख को लाल कपड़े में लपेटकर साफ जगह पर रखें।
- शंख जल का छिड़काव करने से वास्तु दोष दूर होते हैं।

शंख से जुड़े रोचक तथ्य
- महाभारत में भीम का शंख पौण्ड्र, अर्जुन का देवदत्त, और युधिष्ठिर का अनंतविजय कहलाता था।
- शंख की ध्वनि “ॐ” के स्वर से जुड़ी मानी जाती है।
- मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर आज भी शंखनाद से वातावरण पवित्र किया जाता है।