ट्रंप का नया H-1B मॉडल: विदेशी एक्सपर्ट्स “ट्रेन द यूएस वर्कर्स, देन गो होम।”
वॉशिंगटन: अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप सरकार ने एक बार फिर अपने H-1B वीजा पॉलिसी में बड़ा बदलाव किया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई वीजा पॉलिसी ने भारतीय IT सेक्टर को चिंतित कर दिया है क्योंकि अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने हाल ही में कहा- ट्रंप प्रशासन का नया H-1B वीजा प्लान विदेशी एक्सपर्ट्स को अस्थायी तौर पर बुलाकर अमेरिकी वर्कर्स को ट्रेन करने के लिए बनाया गया है।
Read More: गुरुवार का ज्ञान: गुरु शिक्षा में रत्नों से बढ़ाएं ग्रहों की शक्ति
असल में ट्रंप प्रशासन की ओर से इस फैसले पर कहा गया था कि ये वीजा अमेरिकियों की नौकरी छीन रहा है। वहीं ट्रंप का बदला रुख खासतौर से भारतीयों के लिए राहत लेकर आया है क्योंकि सबसे ज्यादा H-1B वीजा के लाभार्थी भारतीय रहे हैं। पत्रकार ने जब कहा- अमेरिका में काफी प्रतिभाशाली लोग हैं तो ट्रंप ने स्पष्ट कहा- हमारे पास कुछ खास प्रतिभाएं नहीं हैं।

अमेरिकी वर्कर्स को ट्रेन करना- नया मॉडल
बतादें कि अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट (Scott Bessent) ने मीडिया से बातचीत में कहा- राष्ट्रपति ट्रंप का नया वीजा प्लान नॉलेज ट्रांसफर स्ट्रेटेजी पर आधारित है। इसका मकसद अमेरिकी वर्कर्स को ट्रेन करना और लंबे समय से ठप पड़े मैन्युफैक्चरिंग, शिपबिल्डिंग और सेमीकंडक्टर जैसे सेक्टर को फिर से खड़ा करना है।
इसका मतलब विदेशी एक्सपर्ट्स को बुलाना, अमेरिकी वर्कर्स को ट्रेन करना और फिर वापस भेज देना। यह नया मॉडल अमेरिकी उद्योगों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है, लेकिन इसका सीधा असर भारतीय IT प्रोफेशनल्स पर पड़ सकता है, जो अब तक अमेरिका के टेक सेक्टर की रीढ़ माने जाते रहे हैं।

ट्रेन द US वर्कर्स
जी हां मीडिया से बात चीत में वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने साफ कहा- “ट्रेन द यूएस वर्कर्स, देन गो होम।” यानी विदेशी एक्सपर्ट्स सिर्फ अस्थायी रूप से अमेरिका आएंगे, स्थानीय कर्मचारियों को स्किल सिखाएंगे और फिर अपने देश लौट जाएंगे। उन्होंने यह भी जोड़ा कि एक अमेरिकी उस नौकरी को अभी नहीं कर सकता, लेकिन ट्रेनिंग के बाद करेगा।”
Read More: दिल्ली कार विस्फोट: NIA की स्पेशल टीम ने खोला राज
ट्रंप प्रशासन का दावा
यह बयान ऐसे समय आया है जब ट्रंप की विदेशी मजदूर नीति को लेकर अमेरिका में ही काफी बहस हो रही है। कुछ लोगों का मानना है कि इससे विदेशी कर्मचारियों, खासकर भारत जैसे देशों से आने वाले इंजीनियरों और टेक एक्सपर्ट्स के अवसर सीमित हो जाएंगे। वहीं, ट्रंप प्रशासन का दावा है कि यह अमेरिका फर्स्ट पॉलिसी को मजबूत करेगा और घरेलू रोजगार सृजन में मदद करेगा।

राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में कहा था कि अमेरिका के पास कुछ सेक्टर्स में टैलेंट की कमी है और विदेशी एक्सपर्ट अस्थायी तौर पर आकर इस कमी को पूरा कर सकते हैं। ट्रंप ने कहा- आप बेरोजगार लोगों को सीधे मिसाइल बनाने नहीं कह सकते। इसके साथ ही बेसेंट ने यह भी खुलासा किया कि ट्रंप प्रशासन USD 2000 टैक्स रिबेट देने की योजना पर विचार कर रहा है, जो 1 लाख डॉलर से कम कमाने वाले परिवारों के लिए होगा। वहीं इस मामले को लेकर एक्सपर्ट का कहना है कि नया H-1B वीजा मॉडल अमेरिकी उद्योगों को तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बना सकता है, लेकिन भारत जैसे देशों के लिए यह ब्रेन ड्रेन रिवर्सल जैसा झटका साबित हो सकता है।
