ज्योतिष-धर्म

ज्योतिष ज्ञान में सीखे ज्योतिष: कुंडली में नवा भाव क्या है जानें…

ज्योतिष  ज्ञान: राम राम जी जैसा कि आप सभी जानते है कि हम हर हफ्ते के ज्योतिष ज्ञान आप सभी के लिए ज्योतिष से जूड़े विशेष ज्ञान कुछ ना कुछ लाते हैं ठीक हर हफ्ते रविवार की तरह आज ज्ञान में वृद्धि के ज्योतिष ज्ञान में आज का विषय है नवा भाव क्या है।

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The Voice Of Hind- ज्योतिष ज्ञान में सीखे ज्योतिष: कुंडली में नवा भाव क्या है जानें...

ज्योतिष ज्ञान में वृद्धि आज का विषय है नवा भाव क्या हैं। पिछले सप्ताह में सिखा आठवां भाव क्या है। आज सीखे नवा भाव धर्म का पिता का गुरु का होता है, इसका कारक ग्रह गुरु होता है।

नवा भाव क्या है..

  • नवा भाव का भावेश अगर प्रथम भाव में होता है तो वह लग्न होता है। उसका मालिक भी गुरु होता है स्वयं का होता है, धर्म अगर स्वयं में आ जाए तो मनुष्य धार्मिक स्वभाव का होता है, दूसरे के सुख को देखकर प्रसन्न होता है उसमें सहयोग करता है लोक विख्यात प्रतिष्ठा पाता हैं।
  • नवमेश अगर द्वितीय भाव में होता है तो द्वितीय भाव धन का होता हैं। वह धर्म से धन कमाता है जैसे किसी मठ का पुजारी होना, कथा वाचन करना, मित्र के साथ या मित्र के घर में हो तो अपार धन सम्मान यश कीर्ति पाता है। अगर शत्रु के साथ में हो तो धर्म के मार्ग में जेल भी जाता है।
  • नवमेश अगर तृतीय स्थान में है तो तीसरा भाव परिवार का छोटे भाई का होता है। परिवार में खुशियां मनाई जाती है, धर्म से जुड़ी  विशेषताओं को पाकर खुशी जाहिर होती है।
  • नवमेश अगर चतुर्थ भाव में होता है तो चौथा स्थान माता का सुख का होता है। जो भी सुख साधन मिला है वह धर्म में गुरु कृपा से मिलती है।
  • नवमेश अगर पंचमं भाव में होता है तो यह घर पुत्र का, बुद्धि का, शिक्षा का होता है। यहां धर्म का आना जीवन धन्य होता है, संतान भी धार्मिक स्वभाव वाला होता है।
  • नवमेश अगर छठे स्थान में होता है तो यह घर शत्रु का रोग का होता है यहां अगर मित्र का घर होता है। तब तो हर काम में विजय होती सफलता मिलती है, अगर शत्रु का साथ या शत्रु का घर है तो मुकदमा आदि में जेल जाना कर्ज में रहना होता है।
  • नवमेश अगर सप्तम् भाव में होता है तो यह घर पत्नी का व्यापार का होता है। यह अगर मित्र का घर होता हैं तो पत्नी के द्वारा सफलता मिलती है उसका भाग्योदय होता हैं।
  • नवमेश अगर अष्टम भाव में होता है तो यह घर मृत्यु का मोक्ष का होता है। साधक अपने पुरुषार्थ से कर्म करते हुए मोक्ष को पाता है, ईश्वर के सानिध्य में जीवन जीता है।
  • नवमेश अगर दशमं भाव में होता है तो यह घर कर्म का पिता का होता है उसका कारक ग्रह गुरु होता हैं मित्र या देव ग्रह का साथ पाकर उच्च पद पर रहते हुए शासन प्रशासन का सुख प्राप्त करता है।
  • नवमेश अगर एकादश भाव में होता है तो यह घर आय का होता है, बड़े भाई का सहयोग मिलता हैं जिससे आमदनी बढ़ती है।
  • नवमेश अगर द्वादश भाव में होता है तो यह घर तीर्थ स्थान में जाना वहां पर धार्मिक काम करना भंडारा आदि में धन का खर्चा करना समाज में यश कीर्ति वैभव को प्राप्त करता हैं।
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NOTE:-

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