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ज्योतिष ज्ञान में सीखें ज्योतिष: जानें मंगली दोष क्या है? मंगली कुंडली का विचार

ज्योतिष ज्ञान: राम राम जी जैसा कि आप सभी जानते है कि हम हर हफ्ते के ज्योतिष ज्ञान आप सभी के लिए ज्योतिष से जूड़े विशेष ज्ञान कुछ ना कुछ लाते हैं ठीक हर हफ्ते रविवार की तरह ज्योतिष ज्ञान में वृद्धि के लिए आज ज्योतिष ज्ञान का विषय है मंगली कुंडली का विचार, जानें मंगली दोष क्या है?

ज्योतिष ज्ञान में सीखें ज्योतिष: जानें मंगली दोष क्या है?, मंगली कुंडली का विचार

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जानें मंगली दोष क्या है?

मंगली शब्द में लोग भ्रमित होते रहते है, इसमें अल्पज्ञ लोग बहुत परेशान होते है इस बात में दक्षिणी भारत और उत्तरी भारत के विद्वानों में मतभेद हैं। क्योंकि दक्षिणी भारत में इसको शुभ माना जाता है और शुभ होता भी है, वहीं उत्तरी भारत में इसको जानकर परेशान लोग होते रहते है जबकि ऐसा नहीं है।

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जाने मंगली क्या है?

पाराशर ऋषि ने फल दीपिका नामक ग्रन्थ में लिखा है, बच्चे के जन्म के समय आकाशीय गाड़ना में लग्न भाव अर्थात प्रथम भाव शरीर का भाव, चतुर्थ भाव अर्थात सुख भाव, सप्तम भाव अर्थात पत्नी का भाव वृद्धि का भाव, अष्टम भाव अर्थात मृत्यु का भाव रिसर्च करना अमृत्व की, बारहवां भाव खर्च का भाव व्यय का वैराग्य का जहां बोकर काटना जब तक बोआ नहीं जाएगा दिया नहीं जाएगा तब तक लग्न शरीर मिलेगा कैसे। मंगल ग्रह साहस उत्साह वीरता का प्रतीक सेनापति है।

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जब यह काल पुरुष के प्रथम भाव में अर्थात लग्न में होकर अपने घर में बैठता है इसकी दृष्टि चौथी सातवीं और आठवीं होती है, प्रथम दृष्टि चौथी सुख भाव में जो काल पुरुष का चंद्रमा का घर होता हैं।

मंगल की चंद्रमा के घर में प्रथम दृष्टि जबकि मंगल उत्साह वीरता से भरा हुआ चंद्रमा मन का होता हैं। मन में शांति चौथा भाव माता का मकान वाहन संबंधी सुख सम्पन्नता मिलेगी। सोचा हुआ काम बनेगा माता या महिला सहयोगी से सफलता मिलेगी, सोचा हुआ काम बनेगा।

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मंगल की दूसरी दृष्टि सप्तम भाव पर जहां काल पुरुष का सातवां भाव शुक्र का भोग का घर होता है, भोग और उत्साह मिलकर सुख सम्पन्नता से भर जाता है।

मंगल की दृष्टि आठवें स्थान अर्थात मृत्यु का भाव जहां काल पुरुष का अपना घर मंगल का घर और मंगल देखता है अपना घर जहां बल देता है उत्साह से भरा हुआ सर्च करता अमृत्व कि ओर डाक्टर वर्ग ऑपरेशन करके रोगी की रक्षा करते हैं सैनिक वर्ग जान जोखिम में डाल कर लड़ाई जीतते हैं ब्रिगेडियर पुलिस अधिकारी या खिलाड़ी होता है। यह मंगल की देन होती है।

बारहवां भाव खर्च का भाव जन्म स्थान से दूर रहकर कर्म करते विदेश में भी रहते हुए राजयोग बनता है। काल पुरुष का बारहवां भाव गुरु का घर होता है धर्म मार्ग में खर्चा होता हैं। भोग की प्राप्ति से पूर्ण होना, फिर त्याग करना, तपस्या वैराग्य होना, मंगल का मंगल तब होता है।

जब दोनों कुंडलियां में मंगल की युति हो अर्थात काट हो इसमें भ्रमित मत रहे किसी योग्य ज्योतिषी से परामर्श कर विवाह करें और लाइफ में सुख सम्पन्नता प्राप्त करें।

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NOTE:-

यह जानकारी गुरु कृपा से मिलती है जिन लोगों को ज्योतिष में रुचि हो वह संपर्क करें धर्म परायण होकर साधना करें, आत्म चिंतन स्वाध्याय से प्रगति होगी। मिलने के लिए नोएडा, कानपुर, लखनऊ में अतिरिक्त जानकारी के लिए 9415126330, 6386254344 पर संपर्क करें। आप का साथी ज्योतिषाचार्य राम नजर मिश्र रत्न रुद्राक्ष विशेषज्ञ…

यह ज्ञान बहुत ही खूब सूरत है इसमें जितना घुसा जाए उतना मजा आता है जीवन का जीव का आत्म का ब्रह्मांड का प्रकृति का ज्ञान भरा पड़ा है। हमारा प्रयास है समाज में जो विद्या लुप्त होती जा रही है, उसको भ्रमित किया जा रहा है अल्प ज्ञानी उसका दुरुपयोग कर रहे है। उन तक ज्ञान का विस्तार पहुंचे, ज्योतिष संबंधी जानकारी जो हर हफ्ते दिया जाता है उसे सीखना चाहते है तो राम नजर मिश्र ज्योतिषाचार्य रत्न रुद्राक्ष विशेषज्ञ से संपर्क करें, बाकी ज्योतिष से जुड़ी विशेष जानकारी के लिए भी संपर्क करें।

https://en.wikipedia.org/wiki/Hindu_astrology

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