ज्योतिष ज्ञान में सीखें ज्योतिष: जानें कुंडली में मंगल दोष क्या है और उपाय
ज्योतिष ज्ञान: राम राम जी जैसा कि आप सभी जानते है कि हम हर हफ्ते के ज्योतिष ज्ञान आप सभी के लिए ज्योतिष से जूड़े विशेष ज्ञान कुछ ना कुछ लाते हैं ठीक हर हफ्ते रविवार की तरह ज्योतिष ज्ञान में वृद्धि के लिए आज ज्योतिष ज्ञान का विषय है? कुंडली में मंगल दोष क्या है, जिसे मंगली कहा जाता है, उसका परिहार (उपाय) क्या होता है।

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कुंडली में मंगल दोष क्या है?
मंगल दोष के लिए दक्षिणी भारत और उत्तरी भारत के विद्वानों में मतभेद है। क्योंकि दक्षिणी भारत में मंगली को शुभ माना जाता है, वहीं उत्तरी भारत में मंगली नाम से लोग घबराते है।
वहीं परासर ऋषि ने मंगल को भगवान विष्णु का अंश बताया हैं। कहा जाता है कि बारह अवतार में जब भगवान पृथ्वी को धारण किया उनके अंश से मंगल का जन्म हुआ जो पृथ्वी पुत्र के नाम से जाना जाता है। उसको सेनापति तेजस्वी नेतृत्व क्षमता विकसित करने वाला भूमि पुत्रों, महा बाहों, बलवान शत्रु को पराजित करने वाला कहा जाता है।
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मंगली किसे कहा जाता है?
मंगल मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी होता है चौथी सातवीं आठवीं दृष्टि होती है। काल पुरुष के कुंडली में मेष राशि का स्वामी होकर अगर मेष राशि में बैठा है तो उसकी पहली दृष्टि चतुर्थ भाव पर पड़ती हो जो सुख का घर होता है। तो भूमि वाहन संबंधी लाभ मिलेगा, सातवीं दृष्टि सप्तमी भाव में वृद्धि होगी, व्यापार से लाभ होगा, आठवीं दृष्टि स्वगृही अपने घर में रिसर्च करेगा मृत्यु और अमरत्व का उसपर विजय हासिल करेगा। हनुमान जी उसके देवता है जो साहस उत्साह वीरता के प्रतीक है वह मंगल अशुभ कैसे हो सकता है।
प्रथम भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव, द्वादश भाव में अगर मंगल है, तो उसको मंगली कहा जाता है, जो तेजस्विता साहस वीरता का प्रतीक होता है। उसके साथ या दृष्ट में सामान्य क्षमता वाला ग्रह टिक नहीं पाता वीर के साथ वीर ही शोभा देता सामान्य ग्रह दबा हुआ रहेगा। इसलिए मंगल को अशुभ कहा जाता जब की है नहीं वह तो शुभ है उसी के समकक्ष रहने वाला सौभाग्य पाता है।
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जिसके कुंडली में मंगल ग्रह पीड़ित हैं किसी क्रूर ग्रह के साथ उसके विपरीत होता है जैसे कि चोट चपेट देता है। जिसके कुंडली में मंगल ग्रह शुभ दायक है वह सेना में ब्रिगेडियर पुलिस अधिकारी या खेल में खिलाड़ी होता हैं। व्यापार में भूमि संबंधी लाभ मिलेगा, हनुमान जी का पूजन दर्शन से लाभ मिलेगा, सूर्य आराधना से हनुमान जी की प्रसन्नता होती है।