भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी, गोल्ड रिजर्व भी बढ़ा
India Forex Reserve: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 28 मार्च को खत्म हुए हफ्ते के दौरान 6.596 अरब डॉलर बढ़कर 665.396 अरब डॉलर हो गया है। यह लगातार चौथा हफ्ता है जब देश के विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी हुई है। यह विदेशी मुद्रा भंडार के मोर्चे पर हमारे देश के लिए बेहद ही अच्छी खबर है।
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भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में उछाल
वहीं रिजर्व बैंक के आंकड़े को बताते हैं कि 28 मार्च को समाप्त सप्ताह के दौरान भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी हुई है। वहीं, देश का स्वर्ण भंडार भी पहले से ज्यादा भर गया है। इसके साथ ही भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में उछाल आया है। इसी तरह, स्वर्ण भंडार या गोल्ड रिजर्व भी बढ़कर 77.793 अरब डॉलर हो गया है।

भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा- पिछले हफ्ते विदेशी मुद्रा भंडार में 4.53 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई थी। यह लगातार चौथा हफ्ता है, जब देश का विदेशी बढ़ा मुद्रा भंडार है। हाल ही में रुपये में अस्थिरता को कम करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप के साथ-साथ पुनर्मूल्यांकन के कारण इसमें गिरावट का रुख था। चलिए समझते हैं कि इस बढ़ोतरी के क्या मायने हैं और इस भंडार का भरे रहना देश के लिए क्यों जरूरी है।
देश का गोल्ड रिजर्व भी बढ़ा
भारत का गोल्ड रिजर्व लगातार बढ़ रहा है। फरवरी, 2025 में India’s Gold Reserve 840.76 टन था। वहीं साल 2024 की चौथी तिमाही तक ये बढ़कर 876.20 टन तक पहुंच गया था। अगर गोल्ड रिजर्व के मामले में टॉप देशों की लिस्ट को देखें, तो इस मामले में अमेरिका (8,133.46 टन) के साथ सबसे ऊपर है।
बता दें कि इस दौरान गोल्ड रिजर्व भंडार भी बढ़ा। आरबीआई ने कहा – समीक्षाधीन हफ्ते में स्वर्ण भंडार भी 519 मिलियन डॉलर बढ़कर 77.79 बिलियन डॉलर हो गया। विशेष आहरण अधिकार (SDR) 65 मिलियन डॉलर घटकर 18.18 बिलियन डॉलर रह गए। आंकड़ों की मानें तो इस दौरान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पास देश का रिजर्व आरक्षित भंडार 1.6 करोड़ डॉलर घटकर 4.41 अरब डॉलर रह गया। बता दें कि इस दौरान भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान के भी विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि हुई है।

विदेशी मुद्रा आस्तियां भी बढ़ीं
सितंबर 2024 के अंत तक देश का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 704.88 बिलियन डॉलर के ऑल-टाइम हाई लेवल पर चला गया. शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, 28 मार्च को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा विदेशी मुद्रा आस्तियां भी 6.16 अरब डॉलर बढ़कर 565.01 अरब डॉलर हो गया। डॉलर के संदर्भ में उल्लेखित विदेशी मुद्रा आस्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं की घट-बढ़ का प्रभाव शामिल होता है।
खाली होने के नुकसान?
विदेशी मुद्रा भंडार के लगातार कम होने से कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। जैसे कि इससे देश की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ता है, देश के लिए आयात बिल का भुगतान करना मुश्किल हो सकता है। जबकि इस भंडार के भरे रहने से सरकार और आरबीआई किसी भी वित्तीय संकट से निपटने में सक्षम हो जाते हैं। RBI विदेशी मुद्रा भंडार के कस्टोडियन या मैनेजर के रूप में काम करता है और उसे सरकार से साथ मिलकर तैयार किए गए पॉलिसी फ्रेमवर्क के अनुसार करना होता है।

क्या है गोल्ड रिजर्व?
सरकार या सरकारी बैंक के पास जमा गया सोना ‘गोल्ड रिजर्व’ कहलाता है। चीन सहित दुनिया के कई केंद्रीय बैंकों की तरह RBI ने भी अपने स्वर्ण भंडार में इजाफा किया है। दरअसल, सोने की खरीद से सेंट्रल बैंक को करेंसी की अस्थिरता को संतुलित करने के साथ-साथ रिजर्व के रीवैल्यूएशन से खुद को बचाने में मदद मिलती है। डॉलर की मजबूती के दौरान रीवैल्यूएशन लॉस का रिस्क बढ़ जाता है। इसलिए केंद्रीय बैंक गोल्ड खरीदते हैं। इसे विदेशी मुद्रा भंडार के असेट्स में विविधता लाने की कोशिश के तौर पर भी देखा जाता है। अक्सर केंद्रीय बैंक भू-राजनीतिक तनावों से उत्पन्न अनिश्चितता के समय में मुद्रास्फीति के खिलाफ बचाव और विदेशी मुद्रा जोखिमों को कम करने के उद्देश्य से अपना स्वर्ण भंडार बढ़ाते हैं। 2018 से 2022 तक भारत का गोल्ड रिजर्व 36.8 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा है।