हर हफ्ते के ज्योतिष ज्ञान: ज्योतिष और शरीर का संबंध
आज का विषय है ज्योतिष को समझे क्या है...कहा जाता है "याद ब्रह्मांड तड पिण्ड" जो कुछ ब्रह्मांड में है वही पिण्ड अर्थात शरीर में है,
ज्योतिष ज्ञान: राम राम जी जैसा कि आप सभी जानते है कि हम हर हफ्ते के ज्योतिष ज्ञान आप सभी के लिए ज्योतिष से जूड़े विशेष ज्ञान कुछ ना कुछ लाते हैं ठीक हर हफ्ते रविवार की तरह आज का ज्योतिष ज्ञान में समझे ज्योतिष क्या हैं।
ज्योतिष क्या है?
आज का विषय है ज्योतिष को समझे क्या है...कहा जाता है "याद ब्रह्मांड तड पिण्ड" जो कुछ ब्रह्मांड में है वही पिण्ड अर्थात शरीर में है, जैसे समुद्र और जल एक है, मैं और मेरा शरीर दोनों अलग-अलग है। क्योंकि मैं कौन हूं आत्मा और आत्मा ही परमात्मा का अंश है। ईश्वर का अंश जीव अविनाशी होता है क्योंकि जीव जब शरीर के बाहर आ जाता तो शरीर को पांच तत्वों में मिला दिया जाता हैं। वहीं जीव जब शरीर को आत्मा द्वारा चलाता है तो वैसा कर्म करता हैं जिस कर्म से मोक्ष मिलता हैं। जीव जब शरीर को मन द्वारा चलता तो बंधन में बंध जाता हैं।
इसलिए कहा जाता है कि "मन एवं मनुष्यानां कारण बंध मोक्षयो"
अर्थात बंधन में बांधा जाता हैं।
पांच तत्व और ज्योतिष
मगर ऐसे यह ज्योतिष सिखाती है हमको क्या करना है, शरीर पांच तत्वों से बना है उसका एक तत्व आकाश है और आकाश की गड़ना ही ज्योतिष है। शरीर के पांच प्रकार की भूख होती है। देखना, सुनना, स्पर्श करना, चखना, सूंघना अर्थात आंख, नाक, कान, मुंह, त्वचा, जीभ मनुष्य केवल यही भूख को शांत करता और अधोगति में जाता हैं। इसके अलावा और क्या है उसको जानना ही ज्योतिष सिखाती उसका नाम अध्यात्म है।
ज्योतिष और शरीर का बंधन
अब विषय है ज्योतिष का बेसिक शिक्षा बंधन में बंधे या उससे निकले। तो बतादें कि शरीर के दो भाग होते है एक सिर, एक धड़। हम शरीर को खुराक देते हैं। जिसका आउटपुट केवल 5 % मिलता हैं। अगर धड़ को खुराक देते तो उसका आउटपुट 95 % मिलता है। ऐसे में हम क्या करते है मनुष्य का शरीर पाकर क्या करना है उसका ज्ञान ज्योतिष सिखाता है। यह ज्ञान गुरु कृपा से होता है नहीं तो दरवाजा बंद करने के बाद रोशनी नहीं मिलती हैं। सूर्य उग कर भी भला क्या हित करेगा आंख पर पट्टी अगर हम बाधा रखे।
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