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हर हफ्ते देखे ज्योतिष ज्ञान, आज सीखेंगे कुंडली के द्वादश भाव और उसके विचार


कुंडली में 12 भाव होते है और हर भाव का अपना अलग ही मतलब होता है जिसकी गणना के अनुसार ही हम लोगों की कुंडली का विचार करते हैं


ज्योतिष  ज्ञान: राम राम जी जैसा कि आप सभी जानते है कि हम हर हफ्ते के ज्योतिष ज्ञान आप सभी के लिए ज्योतिष से जूड़े विशेष ज्ञान कुछ ना कुछ लाते हैं ठीक हर हफ्ते रविवार की तरह आज ज्योतिष ज्ञान में जानेंगे द्वादश भावों से विचारणीय विषय अर्थात कुंडली में अंकित किए जानें वाले 12 यानि की द्वादश भावों के बारें में...

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आपको बतादें कि कुंडली में 12 भाव होते है और हर भाव का अपना अलग ही मतलब होता है जिसकी गणना के अनुसार ही हम लोगों की कुंडली का विचार करते हैं तो आईये जानते है इन 12 भावों की विशेष जानकारी।

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द्वादश भावों के विचार

  1. प्रथम भाव लग्न से शरीर संबंधी सब विचार किया जाता है, जिसमें शारीरिक पुष्टता, दुर्बलता, शरीर का रूप, रंग, शरीर का छोटा-बड़ा होना, स्वभाव, शांत प्रिय  क्रोधी, अहंकार, अज्ञान, आयु, प्रमाण, सुख-दुख, आत्मा, आरोग्य का अधिक विचार किया जाता है।

    2-  द्वितीय भाव से धन धान्य का विचार, वस्तुओं का क्रय-विक्रय, स्वर्ण, चांदी, धातु आदि। मोती, मूंगा, माणिक आदि रत्नों क विचार किया जाता है।

    3-  तृतीय भाव से छोटे भाई-बहन, नौकर, चाचा, ताऊ, सगे संबंधी, पराक्रम, साहस, दुष्ट बुद्धि, आजीविका व्यापार, उधम मार्ग चलना, लघु वाहन से यात्रा आदि का विचार किया जाता है।

    4-  चतुर्थ भाव से ईष्ट, मित्र, जाति, वंश, माता के सुख-दुख, स्वभाव, भूमि, मकान आदि का विचार किया जाता है।

    5-  पंचमं भाव से संतान, गर्भ, विद्या, बुद्धि, नीति, प्रबंधन, सलाह, देव भक्ति, मंत्र यंत्र की सिद्धि आदि का विचार किया जाता है।

    6-  षष्ठ अर्थात छठे भाव से शत्रु, रोग, अरिष्ट, निराशा, सुख-दुख, विघ्न, मानसिक, चिन्ता, सौतेली माता, अशुभ कर्म आदि का विचार किया जाता हैं।

    7-  सप्तम भाव से स्त्री, स्त्री का पति, विवाह, स्त्री के गुण-अवगुण, बाद-विवाद, अदालती झगड़े, यात्रा, व्यापार आदि का विचार किया जाता है।

    8-  अष्टम भाव से आयु, व्याधि, मृत्यु, रोग, पूर्वजन्म, मार्केश बंधन, दंड, अपराध आदि का विचार किया जाता है।

    9-  नवम अर्थात भाग्य भाव से प्रारब्ध भाग्य, पुण्य, कर्म-धर्म मार्ग पर चलना, मंदिर, मठ का पुजारी होना। योग-साधना, प्रवास पर लंबी यात्रा पर जाना आदि का विचार किया जाता है।

    10-  दशम भाव अर्थात कर्म भाव से उधम आजीविका नौकरी-व्यापार, प्रशासनिक अधिकारी, राज्य संबंधी जानकारी आदि का विचार किया जाता है।

    11-  एकादश भाव से द्रव्य प्राप्ति लाभ होना, आय में वृद्धि, अचानक परिवर्तन, ज्येष्ठ भाई, परिवार, दोनों जांघ, बायां हाथ, दया पैर आदि का विचार किया जाता है।

    12-  द्वादश भाव अर्थात व्यय भाव से सब प्रकार का खर्चा, अंग-भंग, दरिद्रता, पाखंड, राजदंड, कारागार, परदेश गमन, पैत्रिक संपति का झगड़ा मुकदमा, वामनेत्र दोनों पैर आदि का विचार किया जाता है।

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