हर हफ्ते देखे ज्योतिष ज्ञान, जानें आवेश एक मानसिक रोग का कारण
आपको बतादें कि आवेश प्रधान व्यक्ति का हर काम उतावली से भरा होता है।
ज्योतिष ज्ञान: राम राम जी आज के ज्योतिष ज्ञान में जानेंगे कि आवेश एक मानसिक रोग कैसे होता हैं। इसी तरह ही आपको हर हफ्ते के ज्योतिष ज्ञान में एक नया ज्ञान और एक नया सुझाव के जानने को मिलेगा।
जानें कैसे आवेश प्रधान बन जाता है आपका दुश्मन
आपको बतादें कि आवेश प्रधान व्यक्ति का हर काम उतावली से भरा होता है। वह अपने काम में आवश्यक धैर्य और काम को लेकर संतुलन नही रख पाता हैं। जैसा कि हम सभी जानते है कि समय से पूर्व फल की आकांक्षा करने पर जब वह पूरी नहीं होती तब उत्तेजित हो कर खीझ यानि चिड़चिडापन व्यापत हो जाता है। तब वह व्यक्ति या तो अपने कर्तव्यों से चिढ़ाने लगता है या फिर खुद के काम ना बनने को लेकर समाज को दोषी मानकर द्वेष करने लगता है। जिसके बदले में वह हर किसी से अपने विरोधी पैदा कर लेता है।
आवेश प्रधान व्यक्ति का जीवन
बताते चले कि आवेश प्रधान व्यक्ति की बेल कभी सिरे नही चढ़ती उसकी अस्त व्यस्त गति उसके पैर को उलझाती रहती है। जिससे उसके काम बिगड़ते रहते हैं कुरूप होते है। जिससे उसे एक दिन स्वयं अपने से अरुचि हो सकती है। ऐसे में तब किसी ऊंचे लक्ष्य को पाना तो दूर की बात है उस व्यक्ति का सामान्य जीवन भी खिन्नता से भर जाता है।
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कैसे करें इसका उपचार
आवेश निश्चय ही एक मानसिक रोग है, जिसका उपचार धैर्य, संतुलन तथा स्थिरता ही है। ऐसे में यदि आप में यदि आवेश की दुर्बलता है तो पहले अभ्यास करें और खुद को प्रयत्न पूर्वक धैर्य संतुलन बनाए रखना चाहिए पर अपने विचारो को बदल कर निगेटिव से पॉजटीव सोच रखें। इसके साथ ही अपने ईस्ट को ध्यान में रख कर अभ्यास करे विचारो को बदल कर हर व्यक्ति अच्छी तरह से सफलता प्राप्त कर सकता हैं।
हमारे महर्षि गुरुओं ने बताया कि अगर कोई व्यक्ति अच्छी तरह से अपनी सोच को बदल कर अपने चिंतन में सुधार करता है, तो ईश्वर उसकी सभी मनोकामना को पूर्ण करता है। साथ ही हनुमान जी सभी बाधाओं को दूर करते है,क्योंकि गुरु के साथ से हर चीज संभव है। आगे के विषय के लिए मिलते रहेंगे हर हफ्ते राम नजर मिश्र ज्योतिषाचार्य विशेष जानकारी के लिए 9415126330, 6386254344 से संपर्क करें।
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