हर हफ्ते देखे ज्योतिष ज्ञान, जानें अमावस्या तिथि का महत्व, पितृ दोष का उपाय
बताते चले अमावस्या तिथि यह समय साधना के लिए अपने पूर्वजों के लिए अर्थात पितरों के लिए शुभ माना जाता है।
ज्योतिष ज्ञान: राम राम जी ज्योतिष ज्ञान में जाने हर हफ्ते का सुझाव और सीखे, जानें कैसे अमावस्या तिथि पड़ती हैं। तो बताते चले सूर्य आत्मा का कारक ग्रह होता है, और चंद्रमा मन का कारक ग्रह होता है। कहते है कि जब दोनों का मिलन होता है उसे अमावस्या तिथि कहते हैं।
बताते चले अमावस्या तिथि यह समय साधना के लिए अपने पूर्वजों के लिए अर्थात पितरों के लिए शुभ माना जाता है। उस दिन अपने पूर्वजों और पितरों के लिए किया गया गंगा स्नान, अन्न दान, पिंडदान, त्रिपिंडीं श्राद्ध, पितृ दोष,काल सर्प दोष के लिए शुभमाना जाता है। शास्त्रों में मान्यता है कि जिनके पूर्वज भटक रहे है यानि की जिनकी आत्मा को शांति ना मिली हो उन्हें आत्मा का शान्ति मिल जाती हैं।
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जानें भटक रहे है पितरों का मतलब
ऐसे में कई लोग नहीं जानते है कि पूर्वजों और पितरों के भटकने का क्या मतलब होता है तो बतादें कि जब कोई अपना प्रिय व्यक्ति जब शरीर को छोड़ कर इस दुनिया से चला जाता है,तो उसका जीवात्मा शरीर को छोड़ देती है। उसका पांच भौतिक शरीर रह जाता है। उसे प्रेत कहते है उसके कुछ संस्कार करने पड़ते है, जिससे प्रेत से पितर में मिलाया जाता है जब संस्कार सही तरह से नहीं होता तो वह प्रेत ही रहता है पितरों में नहीं मिल पाता और इस भौतिक संसार में भटकता रहता है और अपने सगे संबंधियों को परेशान करता है। उसी को पितृ दोष कहते है।
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जानें पितृ दोष की शांति का उपाय
तो आईये जानते है कैसे करें पितृ दोष की शांति और जानें उसका उपाय... आपको बतादें कि पितृ दोष की शांति के लिए अमावस्या तिथि को त्रिपिंडी श्राद्ध करके तर्पण करके दान करने से पित्र दोष की शांति होती है, और पूर्वज को शांति मिलना परिवार के लिए शुभ माना जाता है, जिससे परिवार की प्रगति होती हैं। इसी तरह से ज्योतिष- कुण्डली और शास्त्रों से जुड़ी विशेष जानकारी जानने के लिए सेवा में राम नजर मिश्र ज्योतिषाचार्य से 9415126330, 6386254344 से संपर्क करें।