हर हफ्ते के ज्योतिष ज्ञान में देखे कैसे करें अपने भाग्य का निर्माण, नौ ग्रह वाटिका से ग्रहों को करें अनुकूल
जैसा कि आप सभी जानते है कि मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता खुद होता है, मनुष्य चाहता तो सब कुछ है लेकिन करता क्या है
ज्योतिष ज्ञान: राम राम जी जैसा कि आप सभी जानते है कि हम हर हफ्ते के ज्योतिष ज्ञान आप सभी के लिए ज्योतिष से जूड़े विशेष ज्ञान कुछ ना कुछ लाते हैं ठीक हर हफ्ते रविवार की तरह आज ज्योतिष ज्ञान का विषय है भाग्य का निर्माण कैसे करें।
समझे कर्ता, कर्म, कर्मफल
जैसा कि आप सभी जानते है कि मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता खुद होता है, मनुष्य चाहता तो सब कुछ है लेकिन करता क्या है... तो समझे कर्ता, कर्म, कर्मफल, से कैसे भाग्य का निर्माण कर सकते हैं।
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आपको बतादे कि मनुष्य चालाक होता है, कर्मफल अच्छा चाहता है, कर्म भी बदलना चाहता है, लेकिन कर्ता खुद को बदलना नहीं चाहता हैं। जब तक कर्ता खुद को नहीं बदलेगा उसकी संगत नहीं बदलेगी। तब तक कर्म नहीं बदलेगा और कर्म नहीं बदलेगा तो कर्म फल नहीं मिलेगा इसे ही भाग्य का खेल कहते हैं।
गीता में भगवान कहते है आप ही अपने भाग्य के निर्माता है
तो आइये समझे कैसे :- बैंक तिजोरी में एक चाभी बैंक मैनेजर के पास रहती एक चाभी लॉकर के मालिक के पास रहती हैं। जब लॉकर खोलना होता तो दोनों चाभियां मिलाई जाती है जब लॉकर खुल जाता है। उसी प्रकार कर्म फल की चाभी एक कर्ता के पास होती है और एक भगवान के पास होती हैं। जब कर्म भगवान को समर्पित होता है और न्याय संगत होता है, तब आपको भगवान अपनी कसौटी पर समझ लेता है, तो कर्ता और भगवान दोनों अपनी चाभी लगाते हैं और कर्म का फल मिल जाता हैं और मनुष्य के भाग्य का उदय हो जाता हैं।
वर्षा ऋतु में करें पौधारोपण
जैसा कि आप सभी जानते है कि यह समय वर्षा ऋतु का है, पर्यावरण पर ध्यान दे ऐसे में माना जाता है कि एक वृक्ष दश पुत्र सामना अर्थात एक फलदार वृक्ष का निर्माण करना दश पुत्र पालने के समान होता है। ऐसे में पर्यावरण को बचाने के लिए बरगद, गुलर, पीपल, आम, आंवला, अनार, नीम आदि का पेड़ लगाना चाहिए और उसकी सेवा करना फलदार बनाना पुण्य का काम होता है। इसके साथ ही हर घर-घर में तुलसी का पौधा लगाना चाहिए इससे नारायण की कृपा होती है साथ ही मान्यता है कि जहां तुलसी का पौधा होता है वहां लक्ष्मी का वास होता हैं। जो अपने घर में लक्ष्मी नारायण को प्रश्न करना चाहते हैं वह तुलसी सेवा करें। इसके साथ ही नौ ग्रह वाटिका का निर्माण करें इससे सभी ग्रह अनुकूल फल देते हैं।
देखें नौ ग्रह वाटिका
- सूर्य के लिए मदार सफेद आक
- चंद्र के लिए पलाश
- मंगल के लिए खैर
- बुध के लिए अपामार्ग
- गुरु के लिए पीपल, केला
- शुक्र के लिए गूलर
- शनि के लिए शमी
- राहु केतु के लिए कुश का पौधा
हर कोई नौ ग्रह वाटिका लगाएं उसकी सेवा करें, जिससे की सभी ग्रह अनुकूल फल प्रदान करेंगे आगे हरी इच्छा पर छोड़ दें। इस तरह से पौधे लगा कर पर्यावरण को भी संतुलित कर सकते हैं।