हर हफ्ते के ज्योतिष ज्ञान में देखे, राशियों के अंग, नव ग्रह और रोगों की जानकारी
रावण संहिता में लिखा गया है काल पुरुष के विविध अंगों में मेष से लेकर मीन राशियों तक बारह राशियों की स्थापना किया गया है
ज्योतिष ज्ञान: राम राम जी जैसा कि आप सभी जानते है कि हम हर हफ्ते के ज्योतिष ज्ञान आप सभी के लिए ज्योतिष से जूड़े विशेष ज्ञान कुछ ना कुछ लाते हैं ठीक हर हफ्ते रविवार की तरह आज ज्योतिष ज्ञान का विषय है राशि और रोग की जानकारी...
रावण संहिता में लिखा गया है काल पुरुष के विविध अंगों में मेष से लेकर मीन राशियों तक बारह राशियों की स्थापना किया गया है, जिसके आधार पर उसके अंग रोगग्रस्त या स्वस्थ रहते है।
राशियों के अंग
- मेष राशि का अंग सिर
- वृष राशि का अंग मुख
- मिथुन राशि का अंग भुजा
- कर्क राशि का अंग हृदय
- सिंह राशि का अंग पेट
- कन्या राशि का अंग कमर
- तुला राशि का अंग वस्ती
- वृश्चिक राशि का अंग गुप्तांग
- धनु राशि का अंग उरू
- मकर राशि का अंग घुटना
- कुंभ राशि का अंग जांघ
- मीन राशि का अंग पैर प्रतिनिधित्व करती है
मेष आदि बारह राशियां जिन-जिन रोगों को उत्पन्न करती है वे रोग इस प्रकार के है..
- मेष राशि वाले नेत्र रोग, मुख रोग, सिर दर्द, मानसिक तनाव रोगों को उत्पन्न करती है।
- वृष राशि वाले गले, श्वास नली रोग, आंख नाक रोगों को उत्पन्न करती है।
- मिथुन राशि वाले रक्त विकार, श्वास रोगों को उत्पन्न करती है।
- कर्क राशि वाले हृदय रोग, रक्त विकार रोगों को उत्पन्न करती है।
- सिंह राशि वाले पेट रोग, वायु रोगों को उत्पन्न करती है।
- कन्या राशि वाले आमाशय विकार, अपच, जिगर, कमर दर्द रोगों को उत्पन्न करती है।
- तुला राशि वाले मूत्राशय रोग, मधुमेह, प्रदर रोग, बहुमूत्र रोगों को उत्पन्न करती है।
- वृश्चिक राशि वाले गुप्त रोग, भगंदर रोगों को उत्पन्न करती है।
- धनु राशि वाले बात रोग, मज्जा रोग, रक्त दोष रोगों को उत्पन्न करती है।
- मकर राशि वाले वात रोग, चर्म रोग, शीत रोग, रक्त चाप रोगों को उत्पन्न करती है।
- कुंभ राशि वाले मानसिक रोग, गर्मी जलोदर रोगों को उत्पन्न करती है।
- मीन राशि वाले एलर्जी, गठिया, चर्म रोग, रक्त विकार रोगों को उत्पन्न करती है।
नव ग्रहों के रोग
- सूर्य ग्रहों के रोग आंखों की रोशनी कम होना।
- चंद्रमा ग्रह के रोग निद्रा नहीं आना, बदहजमी, सर्दी लगना, खून की कम होना।
- मंगल ग्रह के रोग मास, मज्ज़ा, सुखा रोग, खुजली, नेत्र पीड़ा होना।
- बुद्ध ग्रह के रोग सन्निपात, हिस्टीरिया, तुतलाना, चर्म रोग होना।
- गुरु ग्रह के रोग मूर्छा आना, दिमाग सुन्न होना, मोटापा होना।
- शुक्र ग्रह के रोग प्रमेह, बहुमूत्रता प्रदर रोग, गुर्दा का रोग होना।
- शनि ग्रह के रोग पैर दुखना, जोड़ों का दर्द, लकवा, भूख अधिक लगना।
- राहु ग्रह के रोग कुष्ट रोग, ह्रदय रोग, भूत बाधा होना।
- केतु ग्रह के रोग शरीर में खुजली, जलन होना।
यह सब रोग तब होता है जब ग्रह कमजोर होते है, उसके बली रहने पर रोग बाधा नष्ट या कम रहती है। ज्योतिष एक विषय है जो डाक्टर से पहले इसके जानकर बताते है कि कब कौन सा रोग होगा, व्यक्ति के जीवन में उसका निदान करने से दोष कम हो जाता है, मगर नष्ट नहीं होता है।