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जानें बुद्ध पूर्णिमा का महत्व, और पाएं अपने जीवन जीने का उद्देश्य


मान्यता है कि इस तिथि की पूर्णमा को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाते इस दिन भगवान बुद्ध का जन्म दिन मनाया जाता है


Buddha Purnima 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि को बुद्ध पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। वहीं बात करें इस वर्ष 23 मई 2024 में सूर्य उत्तरायण, संवत 2081, शालीवाहन 1946, मास - बैशाख, सुदी शुक्ल पक्ष में मनाया जाएंगा। बताते चले कि इस वैशाख शुक्ल पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा या पीपल पूर्णिमा भी कहा जाता है।

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जानें बुद्ध पूर्णिमा का महत्व

मान्यता है कि इस तिथि की पूर्णमा को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाते इस दिन भगवान बुद्ध का जन्म दिन मनाया जाता है और इसी दिन भगवान बुद्ध को ज्ञान की भी प्राप्ति हुई थी। कहा जाता है कि बुद्ध आज के दिन ज्ञान प्राप्ति के बाद अपने कपिल वस्तु में आए थे, जहा उन्होंने ज्ञान का उपदेश दिया। धार्मिक मान्यता के अनुसार वैशाख पूर्णिमा भगवान बुद्ध के जीवन की तीन अहम बातें -बुद्ध का जन्म, बुद्ध को ज्ञान प्राप्ति और बुद्ध का निर्वाण के कारण भी विशेष तिथि मानी जाती है। इसी दिन भगवान बुद्ध को ज्ञान की भी प्राप्ति हुई थी।

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इस दिन विचारो की करें समीक्षा

भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद देश के कोने-कोने में ज्ञान का उपदेश भी दिया, इसलिए बुद्ध के विचारो को मानने वाले लोग समीक्षा करें। अपने जीवन के उद्देश्य क्या है ? जीवन क्यों मिला हैं ? जीवन क्या है ? जीवन कहा जा रहा है ? जीवन कहा जाना चाहिए ? इस सभी प्रश्नों का आत्म चिंतन करें। जिसके बाद भगवान बुद्ध खुद गुरु के रूप में हमारा मार्ग दर्शन करेगें, क्योंकि शास्त्रों की मानें तो आत्म ही हमारा गुरु है, जो है हमें सब राह दिखाता है इसलिए गुरू को बाहर नहीं अपने अंदर झांक कर देखें। इसके लिए कम से कम 20 मिनट आंख बंद कर बैठे और अपने अंत मन की आवाज को सुने।

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इस दिन करें यह उपाय

  • बुद्ध पूर्मामा के दिन गंगा स्नान करना चाहिए। 
  • गरीबों को दान करना चाहिए।
  • जो लोग गंगा नही जा सकते वह लोग अपने घर में बाल्टी में पहले गंगा जल डालकर फ़िर बाद में और जल डाल कर स्नान करें।
  • सुर्य को जल दान करें।
  • गायत्री का जाप करें।
  • जरूरत मंद लोगो को अन्न, जल, भरा घड़ा, खीरा, आदि फल दान करें।
  • गौ सेवा करें।
  • शिव पूजन करें।
  • देव, विप्र, गुरु, गायत्री, गीता, गंगा आदि का पूजन करें।

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