ज्योतिष-धर्म

जानें कब है गुरु पूर्णिमा? गुरु महिमा की गाथा और महत्व

गुरु पूर्णिमा: इस वर्ष गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई 2024 दिन-रविवार,उत्तरा-आषाढ़, नक्षत्र- मकर राशि में मनाया जाएगा। आईये जानते है हमारे जीवन में गुरु का क्या महत्व हैं।

“वासुदेव सुतं देव कंस चरण मर्दानम देवकी परमा नंदन कृष्ण बंदे जगत गुरु”

यह वंदना भगवान बासुदेव स्वयं नारायण स्वरूप मनुष्य का रूप धारण कर गुरु तत्व को बताते है कि गुरु की महिमा महान है, इसका कोई व्याख्या नहीं कर सकता हैं क्योंकि इसकी व्याख्या सूर्य को दीपक दिखाने के समान है। फिर भी उस तत्व का संदेश दे रहा हूं जो सभी में विराजमान है उस ब्यास को नमन…

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जानें गुरु महिमा की गाथा

ऐसा कहा जाता है एक बार नारद जी ब्रम्ह लोक गए ब्रह्मा जी से मिलकर जाने लगे तो पीछे मुड़ कर देखा जिस जगह पर नारद बैठे थे उसी जगह पर ब्रह्मा जी जल छिड़क रहे थे। जिसे देखकर नारद ने पूछा क्यों पितामह यह क्या कर रहे हो जिसके जवाब में ब्रह्मा जी ने कहा हे नारद यह भूमि अपवित्र हो गई है उसको शुद्ध कर रहा हूं। जिस पर नारद बोले हमारे बैठने से भूमि अपवित्र हो गई। ब्रह्मा ने कहा हां आप ने गुरु नहीं बनाया है इस लिए भूमि अपवित्र हुई है।

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नारद ने कहा हमको अभी तक कोई ज्ञानी मिला नहीं इसलिए हमने अभी तक गुरु नहीं बनाया। तब ब्रह्मा जी ने कहा गुरु व्यक्ति नहीं शक्ति होती है, वह सभी के अंदर वास करती है, बस उसको निकालना पड़ता है… तो नारद तुम जाओ गुरु कर के आओ।

इसके साथ ही ब्रह्मा जी ने कहा हे नारद मृत्यु लोक में जो भी तुमको ब्रह्म मुहूर्त में पहले मिले उसको गुरु बना लेना। नारद मृत्यु लोक में आए सुबह सुबह देखा नदी किनारे एक मछली पकड़ने वाला मछुआरा दिखा नारद उसका पैर पकड़ लिए बोले हमारे गुरु बन जाओ।

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तब मछुआरा बोला आप तो ज्ञानी है हम अज्ञानी है हम गुरु कैसे हो सकते नारद ने कहा ब्रह्मा जी का संदेश तब मछुआरा ने कहा ठीक है आज से हम तुम्हारे गुरु है। नारद जी खुशी से झूम उठे ब्रह्म लोक गए ब्रह्मा जी से कहा गुरु कर लिया लेकिन मछुआरा है।

तब ब्रह्मा जी ने कहा तुमने गुरु का अपमान किया है जाओ चौरासी लाख योनियों में भटको नारद घबड़ा गए कहे संकट मोल ले लिया। नारद बोले पितामह अब आप ही उबारो, ब्रह्मा जी ने कहा तुमको गुरु ही उबार सकता है और कोई नहीं जिसके बाद नारद मछुआरा गुरु के पाव पकड़ कर रोने लगे, बोले गुरुदेव रक्षा करो हम आप के शरण में है। मछुआरा गुरु बोला जाओ पितामह से चौरासी लाख योनियों का नाम पूछ आओ और जमीन पर सब को लिखो।

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नारद ने मछुआरा गुरु के बताए अनुसार ही वैसे ही किया पूछ कर वही लिखा जब पूरा लिख लिया तब गुरु बोले ठीक हैं पूरा हो गया नारद ने कहा हां…गुरु रूपी मछुआरा बोला एक तरफ से लेटते जाओ चौरासी लाख योनियों को मिटा दो। ठीक उसी प्रकार मछुआरे के कहे अनुसार नारद ने वैसे ही किया सभी योनियां पार कर गए।

तब ब्रह्मा जी बोले गुरु के कृपा से मनुष्य जीवन सफल हो जाते है। धन्य है गुरु की महिमा निराली है,वह गुरु ही जाने इसलिए  हम सब उस परम गुरु तत्व को पूजे और हमें अपने जीवन में गुरु अवश्य बनाना चाहिए जिससे इस जीवन रूपी नैया पार हो सकें।

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