जानें कब हैं अपरा एकादशी, इसके नियम, व्रत, पूजा और उपाय
तो आईये जानते है आखिर किस दिन अपरा एकादशी, बताते चले कि वैदिक पंचांग के अनुसार
Apara Ekadashi: अपरा एकादशी ज्येष्ठ मास की एकादशी बहुत हो महत्वपूर्ण होती है। शास्त्रों की माने इस दिन व्रत करने से पूरे वर्ष की सभी एकादशी का फल मिलता है, इतना ही नहीं भरवान श्री नारायण की कृपा प्राप्त होती है। अपरा एकादशी के दिन गंगा आदि नदियों में स्नान करना चाहिए अगर नदी नहीं जा पाते है तो गंगा जल डालकर अपने घर में स्नान कर सकते है और स्नान के समय श्री हरी के मंत्र का जाप करें। "ओम नमो भगवते वासुदेवाय" यह जाप अपनी शक्ति के अनुसार कर सकते हैं।
अपरा एकादशी में ऐसे करें पूजन
तो आईये जानते है आखिर किस दिन अपरा एकादशी, बताते चले कि वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी यानि की दिनांक 02 जून 2024 की सुबह 05:04 पर शुरू हो रही है और एकादशी तिथि का समापन 03 जून रात्रि 2:41 पर होगा। इस दिन व्रत करने वाला व्रत करने के साथ पूजा करें और जल भरा घड़ा, खीरा, ककड़ी, तरबूजा, पहलेज दान आदि फल का दान करना चाहिए। माना जाता है इस तरह से विधि विधान से ज्येष्ठ मास की एकादशी करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं और मनुष्य को उत्तम फल प्रदान होता है।
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ज्येष्ठ मास का पहला एकादशी को लेकर मान्यता है कि इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु की उपासना करने से व्यक्ति को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। बताते चले शास्त्रों में अपरा एकादशी के सन्दर्भ में कुछ ऐसे उपाय बताए गए जिनका पालन करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद साधक को प्राप्त होता है।
आइए जानते हैं एकादशी व्रत के कुछ विशेष उपाय...
1- अपरा एकादशी को लेकर शास्त्रों में व्रत के नियमों का उल्लेख विस्तार से किया गया है। इस दिन लोग निर्जला उपवास या फलाहारी उपवास का पालन करते हैं।
2- मान्यता है कि जो लोग पूर्ण रूप से स्वस्थ है वहीं लोग निर्जला उपवास रखे अन्यथा कि स्थति मे सामान्य फलाहारी व्रत का पालन करना चाहिए जिसमें फल और जल का ही सेवन करना चाहिए।
3- अपरा एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु की उपासना से दिन की शुरुआत करनी चाहिए और मन में बुरे विचारों को मन में नहीं लाना चाहिए।
4- शास्त्रों की माने जो लोग एकादशी व्रत के दिन व्रत का पालन नहीं कर रही हैं, उन्हें भी तामसिक भोजन जैसे प्याज-लहसुन इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही चावल का सेवन वर्जित है, इस विशेष दिन पर मांस मदिरा का सेवन भी वर्जित है।
5- माना जाता है कि इस दिन जड़ों में उगने वाली सब्जियों का सेवन भी नहीं करना चाहिए।
6- एकादशी व्रत के दिन दान पुण्य को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इसलिए इस दिन जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन करायें, वस्त्र या धन का दान करें, घर आए हुए असहाय व्यक्ति को खाली हाथ ना लौटाएं।
7- एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु के मंत्र और स्तोत्र का पाठ जरूर करें, और पीपल के वृक्ष की उपासना जरूर करें। क्योंकि मान्यता है कि पीपल के वृक्ष में त्रिदेव अर्थात- ब्रह्मा, विष्णु और महेश वास करते हैं। जिससे तीनों देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।