ज्योतिष ज्ञान में सीखे ज्योतिष: कुंडली के छठे भाव में नौ ग्रहों का फल
छठे स्थान का मालिक सभी भाव में क्या फल देगा? जाने छठा भाव क्या है? पराशर ऋषि लिखते है छठा भाव रोग शत्रु रिसर्च संघर्ष विजय का होता है।
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ज्योतिष ज्ञान: राम राम जी जैसा कि आप सभी जानते है कि हम हर हफ्ते के ज्योतिष ज्ञान आप सभी के लिए ज्योतिष से जूड़े विशेष ज्ञान कुछ ना कुछ लाते हैं ठीक हर हफ्ते रविवार की तरह आज ज्ञान में वृद्धि के ज्योतिष ज्ञान में आज का विषय है छठे स्थान का मालिक सभी भाव में क्या फल देगा? जाने छठा भाव क्या है? पराशर ऋषि लिखते है छठा भाव रोग शत्रु रिसर्च संघर्ष विजय का होता है। इस घर में...
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जैसा कि आपने पिछले सप्ताह में देखा पाँचवें स्थान का मालिक पंचमेश का सभी बारहों भाव में का फल। वहीं आज का विषय है छठे स्थान का मालिक सभी भाव में क्या फल देगा, जाने छठा भाव क्या है, पराशर ऋषि लिखते है छठा भाव रोग शत्रु रिसर्च संघर्ष विजय का होता है इस घर में...
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छठा भाव क्या है?
छठे स्थान का मालिक खष्टेश अगर लग्न में आकर बैठता है तो व्यक्ति हमेशा कर्ज में बना रहता है। अगर सूर्य है तो उच्च का होता है अपनी दशा अंतर्दशा में विजय हासिल करता है। चाहे रोग शत्रु या कोई मुकदमा आदि हो आदित्य ह्रदय स्तोत्र के पाठ से उसको सफलता मिलेगी।
छठे स्थान का मालिक अगर द्वितीय भाव में आकर बैठता है तो दिया धन वापस नहीं होगा डूब जाता है।
छठे स्थान का मालिक अगर तृतीय भाव में है तो परिवार का बिखराव रहेगा। भाइयों से आपस में लड़ाई होगा, हनुमान साठिका के पाठ से शांति मिलेगी।
छठे भाव का मालिक अगर चौथे स्थान में है तो चौथा घर माता का होता है। माता को कष्ट, भूमि का विवाद होता, लड़ाई झगड़ा होता है, हनुमान पूजन से शांति मिलेगी।
छठे भाव का मालिक अगर पाँचवें स्थान में होता है। तो पांचवां घर पुत्र का होता है, पिता पुत्र में विवाद होता है, आपसी मतभेद रहता है।
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छठे स्थान का मालिक अगर छठे स्थान में है। तो जेल जाने का योग बनेगा, संघर्षरत जीवन रहेगा।
छठे स्थान का मालिक अगर सातवें स्थान में है तो सातवां स्थान पत्नी का होता है। पत्नी से विरोधा भाव तलाक हो जाता है, व्यापार में नुकसान होता रहता है।
छठे स्थान का मालिक अगर आठवें स्थान में होता है तो आठवां स्थान रोग का मृत्यु का मार्केश का होता है। मृत्यु तुल्य कष्ट होता हैं।
छठे स्थान का मालिक अगर नवा घर में होता है तो नवा घर धर्म का भाग्य का होता हैं। भाग्य में बाधा उत्पन्न होता है, धर्म का दुरुपयोग करता है, अर्थात ठगी करना।
छठे स्थान का मालिक अगर दशम भाव में होता है तो दशम भाव कर्म का होता है। अपने दशा अंतर्दशा में काम में घोटाला करता है।
छठे स्थान का मालिक अगर एकादश भाव में होता है तो एकादश भाव आय का होता है। अनीति पूर्वक आय करता है चोरी डकैती जुआ आदि से धन कमाता है।
छठे स्थान का मालिक अगर बारहवें घर में होता है तो बारहवां स्थान व्यय का होता है। धन का खर्चा होना चाहे गिर जाए, डकैती हो जाये, चोरी हो जाएं अन्यथा अन्य रास्ते से चला जाए।
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