ज्योतिष ज्ञान में सीखे ज्योतिष: कुंडली के पाँचवें भाव में नौ ग्रहों का फल
पिछले सप्ताह में देखा चतुर्थ भाव में ग्रहों की जानकारी...वहीं आज देखे पांचवें स्थान का मालिक सभी भावों में क्या करता है। इसके पहले जाने पांचवां भाव क्या है।
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ज्योतिष ज्ञान: राम राम जी जैसा कि आप सभी जानते है कि हम हर हफ्ते के ज्योतिष ज्ञान आप सभी के लिए ज्योतिष से जूड़े विशेष ज्ञान कुछ ना कुछ लाते हैं ठीक हर हफ्ते रविवार की तरह आज ज्ञान में वृद्धि के ज्योतिष ज्ञान में आज का विषय है पांचवें स्थान का मालिक सभी भावों में क्या करता है।
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आपको बता दें कि पिछले सप्ताह में देखा चतुर्थ भाव में ग्रहों की जानकारी...वहीं आज देखे पांचवें स्थान का मालिक सभी भावों में क्या करता है। इसके पहले जाने पांचवां भाव क्या है।
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पहले जाने पांचवां भाव क्या है...
- पांचवां भाव धर्म का बुद्धि का ज्ञान का संतान का विद्या का होता है। लग्नेश पंचमेश भाग्येश यह तीनों घर त्रिकोण होता है लग्न त्रिकोण का संबंध राज योग बनाता है इस भाव का स्वामी अगर सूर्य है जोकि काल पुरुष का अपना घर है स्वग्रही मित्र गृही या उच्च का है तो उच्च शिक्षा से शासन प्रशासन राजनीति में उच्च पद प्राप्त करता है। यही गृह सूर्य अगर लग्न में बैठ जाए तो समाज का मुखिया होता है पूरे समाज का नेतृत्व करता है।
- पंचमेश अगर दूसरे घर में हो जाये तो कला, संगीत, व्यापार से धन कमाता है। परिवार में खुशियां मनाया जाता है।
- पंचमेश अगर तीसरे स्थान में बैठ जाए जो पराक्रम का घर होता है तो परिवार में प्रगति होगी। धर्म परायण होकर रहेंगे, भाइयों का सहयोग मिलेगा।
- पंचमेश अगर चतुर्थ भाव में होता है तो काल पुरुष का चौथा घर माता का सुख का भूमि वाहन संबंधी लाभ होगा। केंद्र त्रिकोण का संबंध राज योग बनाता हैं।
- पंचमेश अगर खुद अपने घर का होकर बैठा है तो उत्तम विचार होता है अपने विचारों पर पूरा विश्वास रखता है और लाइफ को सफल बनाता हैं न्याय संगत काम करता है।
- पंचमेश अगर छठे स्थान में होता है तो जो रोग शत्रु रिसर्च संघर्ष का होता है तो पुत्र के विचारो से भिन्नता होती हैं, आपसी संबंध में बिखराव होगा अगर छठे भाव पर गुरु देखता है तो उसमें सुधार हो जाएगा गुरु गीता का पाठ करें।
- पंचमेश अगर सप्तम स्थान में होता है तो सप्तम स्थान पत्नी का व्यापार का मृत्यु का मार्केश का होता है। यहां पर गृह उच्च का मित्र का या स्वग्रही है तो विवाह के बाद सफलता मिलेगी पत्नी का सहयोग मिलेगा रुका हुआ काम बनेगा।
- पंचमेश अगर अष्टम भाव में हो जाये तो संतान विलंब से होता है कष्ट मिलता है। अगर उच्च का या मित्र का या स्वग्रही हो तो रिसर्च करता है मेडिकल में डाक्टर बनता है।
- पंचमेश अगर नावें घर में हो तो जो धर्म का भाग्य का घर होता है। तो संतान का सुख मिलेगा भाग्यशाली रहेगा देशांतर यात्रा का सुख प्राप्त होगा।
- पंचमेश अगर दशम भाव में बैठ जाए तो जहां कर्म का स्थान होता है केंद्र त्रिकोण का योग बनता है, राजयोग का सुख प्राप्त होगा शासन प्रशासन राजनीति में सफलता मिलेगी।
- पंचमेश अगर एकादश भाव में होता है तो जहां आय का स्थान बड़े भाई का सहयोग मिलेगा स्वग्रही मित्र गृही या उच्च का होता है, तो व्यापार या नौकरी से अपार धन कमाता हो परिवार के लिए सुख प्राप्त होगा।
- पंचमेश अगर द्वादश भाव में होता है तो जहां खर्च का स्थान होता है, अगर ग्रह मित्र के घर या उच्च का होता है तो धर्म पारायण खर्च होता है अगर शत्रु गृही है तो मुकदमा रोग या गलत संगत में धन का खर्चा होगा। यह घर विदेश का जाना होता जहां से धन कमाता है और खर्च होता भी है, अपने स्वभाव के कारण उच्च या स्वग्रही या नीच का अलग अलग फल होता है, जो जानकर ज्योतिषी ही फलादेश कर सकता है।
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