ज्योतिष ज्ञान में सीखे ज्योतिष: कुंडली के चतुर्थ भाव में नौ ग्रहों का फल
पिछले सप्ताह में देखा तृतीय भाव में सभी ग्रहों का फल क्या होगा। वहीं आज का विषय चतुर्थ भाव नौ ग्रहों का क्या फल होगा।
ज्योतिष ज्ञान: राम राम जी जैसा कि आप सभी जानते है कि हम हर हफ्ते के ज्योतिष ज्ञान आप सभी के लिए ज्योतिष से जूड़े विशेष ज्ञान कुछ ना कुछ लाते हैं ठीक हर हफ्ते रविवार की तरह आज ज्योतिष ज्ञान में वृद्धि के लिए आज का विषय है चतुर्थ भाव में नौ ग्रहों का फल क्या होगा।
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ज्योतिष ज्ञान में जैसा कि पिछले सप्ताह में देखा तृतीय भाव में सभी ग्रहों का फल क्या होगा। वहीं आज का विषय चतुर्थ भाव नौ ग्रहों का क्या फल होगा।
चतुर्थ भाव में नौ ग्रह का फल
- चतुर्थ भाव काल पुरुष का सुख का भाव माता का भाव जमीन जायदाद भोग का भाव होता हैं। यहां पर अगर सूर्य बैठा हो तो सूर्य आत्मा का कारक होता है।
- चतुर्थ में सूर्य अगर उच्च का या स्वग्रही या मित्र के घर में हो तो शासन प्रशासन उच्च पद का नौकरी प्रदान करता है। माता पिता या भूमि वाहन संबंधी सुख भोगता है।
- चतुर्थ भाव में अगर चंद्रमा स्थित हो तो वह माता से सहयोग मिलेगा। माता से प्रेम करने से राज सुख प्राप्त होगा।
- चतुर्थ भाव में अगर मंगल हो तो मंगली दोष देता है। चतुर्थ से चतुर्थ अर्थात पत्नी का सुख प्राप्त होता है। अगर मंगल उच्च या मित्र गृही या स्वग्रही हो तो भूमि वाहन संबंधी सुख भोगता है, अगर नीच का हो तो वह माता या पत्नी से विरोध भाव रखता है।
- चतुर्थ भाव में अगर बुध ग्रह हो तो बुध राज कुमार तेजस्वी होता पर यह दूसरे पर आश्रित रहता हैं। उच्च या स्वग्रही या मित्र गृही हो तो प्रोफेसर एकाउंट गणित का काम कराता हैं संगीत का प्रेमी होता हैं।
- चतुर्थ भाव में अगर गुरु हो तो यह आत्म ज्ञान से भर देता है पर वह ज्ञान दूसरों पर काम आता है। गुरु जहां बैठता हैं वहां हानि करता है स्थान हानि कारक जीव जहां देखता है वहां अमृत बरसाता है चतुर्थ भाव से गुरु की दृष्टि पांचवीं अष्टम में सर्च करता बारहवें भाव में नवीं दृष्ट धर्म परायण होकर खर्चा करता सामाजिक काम में लगा होता हैं।
- चतुर्थ भाव में अगर शुक्र ग्रह स्थिति हो तो वह भोग कारक ग्रह है सुख सम्पन्नता बैभव धन धान्य समृद्धि से भर देता हैं। वहीं शुक्र अगर नीच का हो या कम अंश का हो तो सभी सुख में बाधा उत्पन्न करता है जल के बीच प्यासा रहना।
- चतुर्थ भाव में अगर शनि ग्रह स्थिति हो तो शनि की दृष्टि तीसरी छठे स्थान में दशवी लग्न में होता है होता है। वहां पर अगर उच्च या स्वग्रही मित्र गृही हो तो सर्च करता राज योग देता अगर शत्रु गृही हो तो रोग देता स्वस्थ हानि होती हैं।
- चतुर्थ स्थान में अगर राहु केतु स्थित हो तो वह क्या करते है यह छाया ग्रह है अगर मित्र गृही या स्वग्रही हो तो राज नेता या उच्च का व्यापारी बनते है। अगर पापा क्रांति हो तो चोर, स्मगलर, क्रूर काम, हत्या, डकैत से संबंधित काम करते हैं।