ज्योतिष ज्ञान में सीखे ज्योतिष: कुंडली में स्थान का ज्ञान कैसे करें
जन्म कुंडली में छठे भाव, अष्टम भाव, द्वादश भाव को त्रिक स्थान कहा जाता है। जन्म कुंडली में तीसरा भाव, छठा भाव और नवम भाव को अपेक्लिम कहा जाता हैं।
ज्योतिष ज्ञान: राम राम जी जैसा कि आप सभी जानते है कि हम हर हफ्ते के ज्योतिष ज्ञान आप सभी के लिए ज्योतिष से जूड़े विशेष ज्ञान कुछ ना कुछ लाते हैं ठीक हर हफ्ते रविवार की तरह आज ज्ञान में वृद्धि के ज्योतिष ज्ञान का विषय है कुंडली में स्थान का ज्ञान कैसे करें।
जन्म कुंडली में भाव
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जन्म कुंडली में प्रथम भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव तथा दशम भाव केंद्र स्थान माना जाता हैं। वहीं जन्म कुंडली में पंचमं भाव, नवम भाव त्रिकोण स्थान माना जाता है, और जन्म कुंडली में द्वितीय भाव, अष्टम भाव, द्वादश भाव को पनफर माना जाता है। जन्म कुंडली में छठे भाव, अष्टम भाव, द्वादश भाव को त्रिक स्थान कहा जाता है। जन्म कुंडली में तीसरा भाव, छठा भाव और नवम भाव को अपेक्लिम कहा जाता हैं।
राशि का स्वरूप क्या है
- मेष राशि पुरुष जाती का अग्नि तत्व चर राशि होती है।
- वृष राशि स्त्री जाती का भूमि तत्व स्थिर राशि होती है।
- मिथुन राशि पुरुष जाती का वायु तत्व राशि द्विस्वभाव राशि होती है।
- कर्क राशि स्त्री जाती की भूमि तत्व चर राशि होती हैं।
- सिंह राशि पुरुष जाती की अग्नि तत्व स्थिति राशि होती है।
- कन्या राशि स्त्री जाती की पृथ्वी तत्व द्विस्वभाव राशि होती है।
- तुला राशि पुरुष जाती की वायु तत्व चर राशि होती हैं।
- वृश्चिक राशि स्त्री जाती की जल तत्व स्थिर राशि होती हैं।
- धनु राशि पुरुष जाती की अग्नि तत्व द्विस्वभाव राशि होती है।
- मकर राशि स्त्री जाती की पृथ्वी तत्व चर राशि होती है।
- कुंभ राशि पुरुष जाती की वायु तत्व स्थिर राशि होती है।
- मीन राशि स्त्री जाती की जल तत्व द्विस्वभाव राशि होती है।
तत्वों से कुण्डली का ज्ञान
ज्योतिष की जानकारी करने वाले सभी लोग इसकी गहराई में जाये तत्वों से कुण्डली का ज्ञान जानें। जल तत्व का पृथ्वी तत्व से मिलकर वायु तत्व का अग्नि तत्व से मिलकर जीवन सुंदर बनता है। इसके विपरीत जाने पर अग्नि का जल से वायु का जल से पृथ्वी का अग्नि से मिलकर जीवन कष्टों में रहता है।
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सम तत्व सम विचार का आकर्षण
सम तत्व सम विचार के होते है, लॉ ऑफ अट्रैक्शन कहता है समान विचार वाले लोग को समान विचार वाले अपनी ओर आकर्षित करते है, जीवन सुंदर बनता जाता हैं। यह बहुत गूढ़ विषय है ज्योतिष इसकी जानकारी बिना गुरु के कृपा से नहीं होती है, इसका जानना तथा इसका सदुपयोग करना ही जीवन को धन्य करना है।