ज्योतिष ज्ञान में सीखे ज्योतिष: कुंडली में मंगल क्या है, उसका फल क्या है
आज का विषय है मंगल ग्रह का सभी बारहों भाव में क्या फल देगा यह जाने, और जाने मंगल क्या है उसका फल क्या है।
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ज्योतिष ज्ञान: राम राम जी जैसा कि आप सभी जानते है कि हम हर हफ्ते के ज्योतिष ज्ञान आप सभी के लिए ज्योतिष से जूड़े विशेष ज्ञान कुछ ना कुछ लाते हैं ठीक हर हफ्ते रविवार की तरह आज ज्ञान में वृद्धि के ज्योतिष ज्ञान में आज का विषय है आज का विषय है मंगल ग्रह का सभी बारहों भाव में क्या फल देगा यह जाने...
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पिछले सप्ताह में चंद्रमा का बारहों भाव में क्या फल देगा देखा। आज का विषय है मंगल ग्रह का सभी बारहों भाव में क्या फल देगा यह जाने, और जाने मंगल क्या है उसका फल क्या है।
मंगल क्या है, उसका फल क्या है?
मंगल भूमि पुत्र है राज कुमार तेजस्वी सेनापति है, 1,4,7,8,12 भाव में जब होता है तो मंगली कहा जाता है। इसकी चौथी, आठवीं, सातवीं पूर्ण दृष्ट होती है। जब यह अपने या मित्र के राशि में या उच्च का होता है तो अच्छा फल देता भूमि वाहन संबंधी योग बनाता है। वहीं शनि के साथ अच्छे घर में होता है तो टेक्निकल शिक्षा देता, नीच या पाप युक्त होता तो चोट चपेट आदि से पीड़ित करता है, इसलिए किसी जानकार ज्योतिषी से जानकारी लेनी चाहिए।

मंगल का फल
- प्रथम घर जब लग्न में होता हैं, तो उसका घर होता पूर्व दिशा में सूर्य के साथ प्रशासनिक सेवा में रहकर भूमि वाहन संबंधी सुख भोगता है।
- दूसरा घर काल पुरुष शुक्र के घर में होता है, तो टेक्निकल एजुकेशन से प्रगति करता हैं।
- तीसरे घर में बुध का घर होता हैं तो वहां शत्रु का घर होता पराक्रम भाव होता जो बाधा मुक्त करता है, सभी अवरोधक को समाप्त करता है।
- चौथा भाव में सुख का भाव माता का माता को कष्ट देता, मंगली दोष देता, भूमि वाहन का सुख प्राप्त होता है।
- पांचवां भाव संतान, बुद्धि, ज्ञान, शिक्षा, प्रतियोगिता में सफलता प्राप्त होती हैं।
- छठा भाव में शत्रु को पराजित करता, मुकदमा आदि में विजय प्राप्त होगी, रोग का निदान होगा।
- सातवां भाव में मंगली दोष देता, दाम्पत्य जीवन की कमी होती, व्यापार में वृद्धि होती है।
- आठवें भाव में मंगल मंगली दोष देता चोट आदि से बचे अग्नि का भय देता है।
- नवा भाव में भाग्य भाव मंगल अच्छा होता भाग्योदय करता, सेना में उचपद पद देता है, पिता को लाभ मिलेगा।
- दशम भाव में मंगल नेतृत्व का काम करता सभी अवरोधक को समाप्त कर तीक्ष्ण बुद्धि वाला होता है।
- एकादश भाव में मंगल पराक्रमी होता भाई को लाभ देता है, अवरोधक को समाप्त करेगा, हनुमान जी को प्रसन्न करना शुभ होगा।
- द्वादश भाव का मंगल मंगली होता धर्म के काम में धन को खर्च करता है, यात्रा या घूमने फिरने में सक्षम होता है, धन खर्चा होगा।
यह रहा बारहों भाव में मंगल का फल जिज्ञासु लोग इसको लेंगे जिसपर गुरु की कृपा होती है उसके समझ में आता है। क्यों कि यह ईश्वर प्रदत्त ज्ञान सीखना या सीखना गुरु कृपा से मिलता है।
