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मौनी अमावस्या का महत्व, जानें शुभ मुहूर्त पर क्या करें


इस खास ​अवसर पर प्रयागराज के महाकुंभ में करोड़ों लोग गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं।


Mauni Amavasya 2025: देशभर में मनाएं जाने वाला मौनी अमावस्या का पावन पर्व 29 जनवरी दिन बुधवार को मनाया जाएगा।  इस पर्व के खास मौके पर भक्त लोग मौन धारण करते है और गंगा स्नान-दान करते हैं।

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जानें कब है मौनी अमावस्या

आपको बतादें कि मकर राशि में चंद्रमा मौनी अमावस्या हैं। मौनी अमावस्या के खास दिन गंगा-जमुना-सरस्वती के संगम प्रयाग में मौन होकर और तिल जल में डालकर स्नान करने से विशेष लाभ होगा। इस वर्ष भी मौनी अमावस्या का पावन पर्व 29 जनवरी, दिन बुधवार को मनाया जाएगा है। इस खास ​अवसर पर प्रयागराज के महाकुंभ में करोड़ों लोग गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं। इसके साथ ही मौनी अमावस्या के दिन पवित्र संगम, गंगा, यमुना नदी में स्नान और उसके बाद दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

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मौनी अमावस्या का महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह की अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। मौनी अमावस्या का अलग ही महत्व है क्योंकि इस दिन मौन रखकर उपवास और स्नान का विशेष महत्व है इसके साथ ही महाकुंभ में संगम में स्नान के साथ पितरों का तर्पण और दान करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है। शास्त्रों की माने तो मौनी का अर्थ है मौन और इस दिन मौन रहकर आत्मशांति और संयम का पालन करने से मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। इस दिन ग्रहों की स्थिति के अनुसार तय की गई अमृत स्नान की तिथियां अत्यंत शुभ और पुण्यकारी मानी जाती हैं। मौनी अमावस्या पर स्नान से सभी पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।

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मौनी अमावस्या शुभ मुहूर्त

मौनी अमावस्या साल 2025 में 29 जनवरी को मनाया जाएगा इसके साथ ही मौनी अमावस्या का व्रत रखा जाता हैं। बताते चले कि माघ मास की अमावस्या तिथि 28 जनवरी को शाम 5 बजकर 35 मिनट पर प्रारंभ होगी और यह अगले दिन, 29 जनवरी को शाम 6 बजकर 5 मिनट पर समाप्त होगी। इस लिए उदया तिथि के अनुसार, मौनी अमावस्या का व्रत और पूजा 29 जनवरी को संपन्न की जाएगी।

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मौनी अमावस्या में मौन का महत्व

हिंदू शास्त्रों में यह उल्लेखित है कि मौन रखना सबसे उच्च साधना है। परमपिता ईश्वर, अर्थात परमात्मा, मौन में ही निवास करते हैं। इसीलिए हमारे ऋषि-मुनियों ने एक दिन सूर्योदय से अगले सूर्योदय तक के लिए मौनी अमावस्या का विधान शास्त्रों में निर्धारित किया है। ‘मुनि’ शब्द से ‘मौनी’ की उत्पत्ति होती है। माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या के रूप में जाना जाता है। इस दिन मौन रहकर स्नान और दान का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है।

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मौनी अमावस्या के दिन चावल का दान करना चाहिए। मान्यता है कि सुख-समृद्धि आती है। मौनी अमावस्या के दिन तिल या तिल के लड्डू का दान कर सकते हैं। मौनी अमावस्या के दिन वस्त्र और कंबल के दान कर सकते हैं। धार्मिक दृष्टिकोण से, इस दिन गंगा, यमुना और संगम में स्नान करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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