नवरात्रि के आठवें दिन देवी महागौरी की पूजा से पाएं सुख, ज्ञान और समृद्धि
महागौरी के नाम का अर्थ महान और गौरी है। देवी की विशेष रूप से नवरात्रि के आठवें दिन की जाती हैं।
देवी महागौरी: हिंदू धर्म में नवरात्रि के आठवें दिन देवी महागौरी की पूजा आराधना की जाती है देवी महागौरी माता दुर्गा का ही एक स्वरूप हैं जिन्हें मां पार्वती का शुभ और दिव्य स्वरूप माना जाता हैं। महागौरी के नाम का अर्थ महान और गौरी है। देवी की विशेष रूप से नवरात्रि के आठवें दिन की जाती हैं। आइये जानें देवी महागौरी की महिमा और स्वरूप का वर्णन...
देवी महागौरी के रूप का वर्णन
माता दुर्गा का स्वरूप महागौरी का भी है देवी का यह रूप और रंग गौरव और शांति प्रदान करने वाला हैं। चार भुजाओं वाली देवी गौरा के एक हाथ में त्रिशूल और एक हाथ में डमरू स्थित है। देवी महागौरी सफेद बैल पर विराजमान हैं। शास्त्रों की मानें तो महागौरी का ध्यान पूजा करने से मानसिक शांति, सुख, ज्ञान, समृद्धि और सिद्धि की प्राप्ति होती हैं और सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती हैं।
देवी महागौरी की महिमा
सिद्धियों की प्राप्ति देवी
शांति और सुख प्रदान करने वाली देवी
बाधाओं का नाश करने वाली देवी
स्वास्थ्य प्रदान करने वाली देवी
भक्तों का संरक्षण करने वाली देवी
नैतिक और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करने वाली देवी
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देवी महागौरी की कथा
देवी महागौरी की कथा शुभ प्रदान करने वाली और प्रेरणादायक है देवी का दिव्य स्वरूप और शक्ति को दर्शाती है। पौराणिक कथाओं में देवी दुर्गा की महाकाली और माता पार्वती के रूप में भी जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि एक समय की बात है, हिमालय पर्वत पर राजा हिमवान और रानी मैनावती का एक सुंदर पुत्री थी, जिसका नाम पार्वती था। पार्वती को भगवान शिव से प्रेम था, इसलिए शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी ने कठिन तपस्या करने का निश्चय किया।
पार्वती ने कठिन तप के दौरान देवी ने फलहार और सूखे पत्तों के साथ केवल जल का सेवन किया था, इसके बाद देवी पार्वती ने कठोर तपस्या की तब भगवान शिव ने भिक्षाटन के रूप में देवी की परीक्षा ली और शिव जी माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर
देवी को दर्शन दिए।
शिव ने पार्वती से कहा कि उन्हें पहले अपने पिछले जन्म का कर्म चुकाना होगा। जब पार्वती की तपस्या समाप्त हुई, तो वह एक दिव्य रूप में प्रकट हुईं, जिसे महागौरी कहा जाता है। माता का यह रूप अत्यंत सुंदर और शक्तिशाली थीं। जो भक्तों को सभी कठिनाइयों से मुक्ति दिलाने का था। इसलिए कहा जाता है कि कठिन तप और सच्ची श्रद्धा से देवी पूजा की आराधना करने से भक्तों की सभी इच्छाएँ पूर्ण हो जाती हैं और भक्तों को शक्ति, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
देवी महागौरी की पूजा विधि
देवी महागौरी की पूजा कठिन तप और सच्ची श्रद्धा से करने से भक्तों की सभी इच्छाएँ पूर्ण हो जाती हैं और भक्तों को शक्ति, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। पूजा करते समय मन को एकाग्र रखें और प्रेमपूर्वक देवी की आराधना करें।
देवी महागौरी के मंत्र का जप करें।
"ॐ महागौर्यै नमः"
नवरात्रि के पहले दिन घर की सफाई करें पूजा स्थल की सफाई करें और देवी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इसके साथ उपवास रखने की परंपरा है। इसे लोग अपनी सामर्थ्य अनुसार रखते हैं। वहीं कुछ लोग अपने सामर्थ के अनुसार व्रत के साथ कलश की स्थापना भी करते हैं और पूजन में फूल, फल, कुमकुम, दीपक, नैवेद्य आदि का प्रयोग करें इसके साथ ही माता को वस्त्र अर्पित करें और श्रृंगार चढ़ाएं। इसके बाद दुर्गा स्तुति और लौंग कपूर से आरती करें।