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नवरात्रि में देवी कालरात्रि की करें पूजा दुष्टों का होगा नाश


देवी कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत भयावह है, जो भक्तों के भय और संकट को मुक्त करती हैं। कालरात्रि की पूजा मुख्य रूप से नकारात्मकता


देवी कालरात्रि: हिंदू धर्म में नवरात्रि के सातवें दिन देवी कालरात्रि की पूजा की जाती है, जो माता दुर्गा के नौ रूपों में से एक हैं। देवी कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत भयावह है, जो भक्तों के भय और संकट को मुक्त करती हैं। कालरात्रि की पूजा मुख्य रूप से नकारात्मकता, अज्ञानता और अंधकार को समाप्त करने के लिए की जाती है। देवी कालरात्रि की पूजा करने से भक्तों में साहस और शक्ति का संचार होता है।

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देवी कालरात्रि का रूप का वर्णन

शक्ति और साहस की देवी कालरात्रि का श्याम रंग श्याम है जो, देवी की लाल जीभ घने बिखरे काले बाल हैं, देवी कालरात्रि की सवारी गधे की है जो समर्पण और विनम्रता को दर्शता हैं। देवी के हाथों में त्रिशूल और एक हाथ में कटारी है जिससे देवी दैत्यों और नकारात्मक शक्ति का नाश होता हैं कहा जाता है कि कालरात्रि की पूजा करने से अज्ञानता और अंधकार समाप्त होता हैं। इसलिए कालरात्रि को साहस और शक्ति की देवी कहते हैं।

देवी कालरात्रि की महिमा

देवी कालरात्रि की महिमा की बात करें तो देवी को अनेक गुणों और शक्तियों का प्रतीक माना जाता है।

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1. अंधकार की नाशक देवी

2. संकट मोचन देवी

3. शक्ति और साहस की देवी

4. ज्ञान और जागरूकता की देवी

5. रक्षा की देवी

6. असुरों का विनाश करने वाली देवी

देवी कालरात्रि की कथा

देवी कालरात्रि की कथा बेहद ही प्रेरणादायक है, पौराणिक कथाओं में देवी कालरात्रि का रूप अद्वितीय और महिमा मयी दर्शाती हैं। देवी कालरात्रि का अवतरण धरती पर राक्षसों का अंत करने के लिए हुआ था, क्योंकि एक समय ऐसा था जब धरती पर राक्षसों का आतंक छाया हुआ था, तब धरती को राक्षसों के आतंक से छुटकारा दिलाने के लिए ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने राक्षस महिषासुर को पराजित करने के लिए और स्वर्ग को दैत्यों के आतंक से बचाने के लिए देवी से प्रार्थना की थी तब देवी दुर्गा ने शक्तियों के साथ महिषासुर का सामना करने के लिए शक्ति ग्रहण की और राक्षसों के साथ युद्ध किया।

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देवी दुर्गा ने महिषासुर और अन्य दानवों का नाश करने और युद्ध करने के लिए देवी कालरात्रि का रूप लिया, युद्ध के दौरान देवी ने बेहद ही विकराल रूप धारण कर लिया था देवी कालरात्रि की काली त्वचा बिखरे बाल, लाल जीभ और बड़ी आंखें थी जिन्हें देख दुश्मन भी भयभीत हो गए थे। देवी कालरात्रि ने अपने तेज कटारी और त्रिशूल से उसके अनेक रूपों का वध किया। फिर सभी देवों ने मिल कर देवी की प्रार्थना की और देवी को शांत किया।

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देवी कालरात्रि की पूजा विधि

देवी कालरात्रि की पूजा स्वच्छ और पवित्र स्थान पर की जाती है, और दीप, धूप , अगरबत्ती जलाकर देवी की पूजा आरती करनी चाहिए।

देवी कालरात्रि के मंत्रों का जाप 108 बार किया जाता हैं...

"ॐ काली कालरात्र्यै नमः"

नवरात्रि के पहले दिन घर की सफाई करें पूजा स्थल की सफाई करें और देवी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इसके साथ उपवास रखने की परंपरा है। इसे लोग अपनी सामर्थ्य अनुसार रखते हैं। वहीं कुछ लोग अपने सामर्थ के अनुसार व्रत के साथ कलश की स्थापना भी करते हैं और पूजन में फूल, फल, कुमकुम, दीपक, नैवेद्य आदि का प्रयोग करें इसके साथ ही माता को वस्त्र अर्पित करें और श्रृंगार चढ़ाएं। इसके बाद दुर्गा स्तुति और लौंग कपूर से आरती करें। 

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