One Nation One Election बिल को मोदी कैबिनेट से मिली मंजूरी
मिली जानकारी की मानें तो यह विधेयक संसद के चालू शीताकालीन सत्र में पेश किया जा सकता हैं।
One Nation One Election: केंद्रीय कैबिनेट मंत्रिमंडल ने वन नेशन वन इलेक्शन को मंजूरी दे दी है, बताते चले कि गुरुवार को एक देश- एक चुनाव बिल को मंजूरी दे दी गई है और अब यह संसद में पेश किया जाएगा। वहीं सूत्रों से मिली जानकारी की मानें तो यह विधेयक संसद के चालू शीताकालीन सत्र में पेश किया जा सकता हैं। फिलहाल वन नेशन वन इलेक्शन बिल को मोदी कैबिनेट से मंजूरी दे दी गई हैं।
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बिल को मिली मंजूरी
ऐसे में अगर वन नेशन वन इलेक्शन बिल लोकसभा और राज्यसभा में पास हुआ तो लोकसभा और विधानसभा चुनावों के एक साथ कराए जाने का रास्ता साफ हो जाएगा। मोदी सरकार इस बिल पर व्यापक चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति या जेपीसी (JPC) के पास भेज सकती है। मोदी सरकार (Modi Government) द्वारा इस बिल को मंजूरी देने पर नेताओं की प्रतिक्रिया भी आना शुरू हो गई है।
बताते चले कि 2 सितंबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली केंद्र सरकार ने भारत में एक साथ चुनाव कराए जाने की संभावना तलाशने के लिए एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया था। यह कमेटी के अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हैं। विभिन्न राजनीतिक पार्टियों, स्टेकहोल्डर्स के साथ बातचीत और कई तथ्यों को ध्यान में रखने के बाद इस कमेटी ने 14 मार्च 2024 को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी,केंद्र सरकार चाहती है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हों।
महुआ माजी- BJP सरकार चाह रही
वहीं वन नेशन वन इलेक्शन बिल को लेकर जेएमएम सांसद महुआ माजी ने कहा- बीजेपी सरकार तो लगातार चाह रही है कि ये हो लेकिन इससे स्थानीय पार्टीयों को बहुत ज्यादा नुकसान होगा। ये लोग चाहते हैं कि देश में स्थानीय पार्टियां खत्म हो जाएं।
इस पर आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा (Manoj Jha) ने कहा इसी सरकार ने वो कमिटी बनाई थी और इसी कमिटी के प्रस्ताव पर यह बात सामने आई है। इस देश को इस समय सबसे ज्यादा जरूरत है तो ‘एक राष्ट्र एक रोजगार’ नीति की है लेकिन उस पर आप चुप हैं क्योंकि उस पर आपकी मेहनत लगेगी। 60 के दशक तक इस देश में ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ था। लेकिन वो साइकिल टूट गया। यह समग्र चिंता का विषय है।
कंगना रनौत बोली- पहले हो जाना...
बीजेपी सांसद कंगना रनौत (Kangana Ranaut) ने कहा देश के लिए ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ उत्साह की एक लहर लेकर आया है। सबसे पहले तो (चुनाव के दौरान) इतना खर्चा होता है, महीने भर से अधिक समय के लिए सभी कर्मचारी कार्यों में संलग्न हो जाते हैं, सारे संस्थान रुक जाते हैं और हमारे देश वासियों को बार-बार मतदान के लिए भेजा जाता है। यह इस समय की जरूरत है। हालांकि ये बहुत पहले हो जाना चाहिए था।
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