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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS ) का जानें इतिहास, सीखे जिम्मेदारी और योगदान


भारत का एक , हिन्दू राष्ट्रवादी, अर्धसैनिक, स्वयंसेवक संगठन हैं। वहीं व्यापक दृष्टि से देखा जाएं तो भारत के सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी का पैतृक संगठन माना जाता हैं।


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS): राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी की RSS जो हमारे भारत का एक , हिन्दू राष्ट्रवादी, अर्धसैनिक, स्वयंसेवक संगठन हैं। वहीं व्यापक दृष्टि से देखा जाएं तो भारत के सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी का पैतृक संगठन माना जाता हैं। वहीं The Voice Of Hind के अनुसार RSS संघ विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संस्थान माना जाता हैं। वहीं सबसे ज्यादा जरूरी है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी की RSS के बारें में पूरी जानकारी आप जानें... आखिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी की RSS की हमारे देश में क्या भूमिका है इसको पहचाने और अपने देश के लिए इनके बलिदान को समझे...

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RSS की रचना कैसे हुई

अब सवाल उठता है कि RSS की रचना कैसे हुई? तो बतादें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अपेक्षा संघ या आर.एस.एस. के नाम से अधिक प्रसिद्ध RSS की रचना 1925 में हुई थी। इसका स्थापना संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार एक चिकित्सक थे, जो समाज में हिंदू पहचान को मजबूत करने के लिए एक संगठन बनाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की थी RSS का मुख्य उद्देश्य हिंदू समुदाय के बीच एकता और सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ाना था। जो आज भी संघ देश में कर रही हैं।

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वहीं बात करें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की तो RSS ने इसमें भी सक्रिय भूमिका निभाई, इसके साथ ही समय-समय के साथ हिंदू समुदाय की एकता के साथ RSS का विस्तार भी हुआ। वहीं बात करें आज के दौर की तो यह संगठन विभिन्न सामाजिक, शैक्षिक और राजनीतिक गतिविधियों में संलग्न है।

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आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) की पूरी कहानी

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अपेक्षा संघ या आर.एस.एस. के नाम से अधिक प्रसिद्ध RSS की कहानी जानना भी हम हिंदूओं के लिए भी बेहद जरूरी हैं क्योंकि इसका गठन ही हमारे देश में हिंदू समुदाय के बीच एकता और सांस्कृतिक जागरूक करने के लिए हुआ था, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की कहानी 1925 में शुरू होती है, जब डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने नागपुर में इसका गठन किया। उनके मन में यह विचार था कि भारतीय समाज को एकजुट करना और हिंदू संस्कृति की रक्षा करना आवश्यक है। उन्होंने महसूस किया कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान समाज में एकता की कमी थी, जो कि साम्राज्यवादी ताकतों के खिलाफ एकजुटता को कमजोर कर रही थी।

सन् 1930-40 के इस अवधि में आरएसएस ने विभिन्न समाजिक गतिविधियों की शुरुआत की। जिसका उद्देश्य था कि समाज में शिक्षा, स्वच्छता, और सामाजिक एकता को बढ़ावा मिले। इसके बाद सन् 1947 स्वतंत्रता के बाद, आरएसएस का प्रभाव देश भर में बढ़ा और यह एक प्रमुख संगठन बन गया।

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RSS ने रखा राजनीतिक में कदम

स्वतंत्रता मिलने के बाद RSS का असर देश के कोने-कोने में दिखने लगा तब RSS ने राजनीतिक के क्षेत्र में अपना कदम रखा जिससे भारतीय जनसंघ की स्थापना हुई जो बाद में जाकर भारतीय जनता पार्टी यानी BJP में बदल गई। जिसके जरिए RSS ने हिंदुत्व विचारधारा को देश में फैलाना शुरू किया जिसका एक मात्र उद्देशय है हिंदू संस्कृति को बढ़ावा देना। अपने इस उद्देशय के चलते RSS कई बार विवादों में भी घिरा।

RSS पर उठे विवाद

देश भर में हिंदू संस्कृति को बढ़ाने के चलते RSS कई बार विवादों में घिरा रहा। वहीं 1948 में नाथूराम गोडसे के द्वारा महात्मा गांधी की हत्या के बाद आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। विवादों में घिरे होने के बाद भी हालांकि इसे पर से प्रतिबंध हटा दिया गया था।

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वहीं कई लोगों ने RSS की आलोचना करते हुए विवाद उठाया था कि RSS की विचारधारा समाज में विभाजन करने और असहिष्णुता को बढ़ावा देती है।

RSS ने देश के लिए निभाई भूमिका

1. सामाजिक एकता और संगठन को बढ़ावा देना

2. संस्कृति और शिक्षा का बढ़ावा देना

3. भारतीय संस्कृति, इतिहास, और मूल्यों के प्रचार-प्रसार करना

4. स्वयंसेवी गतिविधियाँ पर बढ़ावा देना

5. राजनीतिक प्रभाव बढाना

6. भाजपा के जरिए राजनीतिक नेताओं की राजनीतिक विचारधारा और नेतृत्व क्षमता में आरएसएस का योगदान होता है।

7. सामाजिक परिवर्तन करना

8. सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता फैलाना

9.  राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मनिर्भरता

10. हिंदुत्व का प्रचार

11. धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान को प्राथमिकता देना

12. हिंदुत्व की विचारधारा को बढ़ावा देना

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आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) का देश के लिए बलिदान

आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) ने देश के लिए कई तरह के योगदान दिए हैं, जिन्हें विभिन्न संदर्भों में देखा जा सकता है। यहां कुछ महत्वपूर्ण बिंदु हैं:

1. आरएसएस का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान रहा।

2. आरएसएस ने साम्राज्यवादी ताकतों के खिलाफ आवाज उठाई।

3. सामाजिक सेवाएँ जैसे की आपदा और संकट के समय पर राहत कार्यों का योगदान देना।

4. सांस्कृतिक जागरूकता को बढ़ावा देने में आरएसएस का योगदान रहा।

5. भारतीय संस्कृति, परंपरा, और मूल्यों के संरक्षण और प्रचार के लिए आरएसएस का योगदान हैं।

6. आरएसएस ने सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ाई।

7. शिक्षा और संस्कार को आरएसएस ने बढ़ावा दिया।

8. नई पीढ़ी को भारतीय संस्कृति से जोड़ने का प्रयास RSS ने किया।

9. सामाजिक परिवर्तन में सकारात्मक बदलाव करना जैसे कि बाल विवाह, महिला शिक्षा, और स्वास्थ्य पर कार्य करना।

10. राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाना।

11. देश की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने में RSS का योगदान किया।

12. आरएसएस ने देश के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और बलिदान को प्रदर्शित किया है।

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RSS हमें सिखाता है...

RSS हमें बहुत कुछ सिखाती हैं तो आइये RSS से हम भी सीखे...

1. RSS हमें देश में एकता और भाईचारा का महत्व सिखाती है जिससे एकजुट से रहने में लोगों में समानता की भावना आए।

2. भारतीय संस्कृति और परंपरा और इतिहास के प्रति जागरूक रहना सीखे।

3. अपने देश की भारतीय संस्कृति और परंपरा और इतिहास के प्रति जागरूकता को सीखना।

4. सांस्कृतिक धरोहर का सम्मान करना और जीवन में धारण करना।

5. स्वयंसेवा के मूल्य को समझना और समाज सेवा का महत्वपूर्ण हिस्सा बनना सीखे।

6. व्यक्तिगत हितों से ऊपर उठकर समाज हित के लिए काम करना सीखे।

7. RSS हमें चरित्र निर्माण, संस्कार और नैतिकता के महत्व को सीखाता हैं।

8. सही और गलत के बीच के अंतर को समझने की प्रेरणा देता हैं।

9. RSS से राष्ट्रीयता और देशप्रेम करना सीखें।

10. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को फिट रखना और जीवनशैली को महत्व देना सीखे।

11. हमें RSS से सकारात्मक सोच और आत्म-विश्वास को बढ़ाना सीखना चाहिए इससे अपने लक्ष्य को प्रेरित मिलता हैं।

12. RSS हमें सीखाता है कि व्यक्तिगत विकास, सामाजिक जिम्मेदारी, और राष्ट्रीय एकता को महत्व दे।

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NOTE: आज के समय में RSS एक विशाल संगठन हैं, सन् 2009 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के छटे और वर्तमान सरसंघचालक मोहन भागवत हैं। RSS जिसमें देश हित के लिए लाखों स्वयं सेवक शामिल है जो भारत को सामाजिक, राजनीतिक, और आर्थिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह अपने संस्थाओं और देश में फैले संगठनों के जरिए देश में हिंदुत्व को बढ़ावा देने के साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज सेवा के लिए सक्रिय हैं।

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