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सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: बाल विवाह पर जारी की गाइडलाइन

नई दिल्ली: बाल विवाह को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी की शुक्रवार 18 अक्तूबर को अहम फैसला सुनाया हैं इसके साथ ही SC ने गाइडलाइन भी जारी किया हैं। बताते चले फैसले के दौरान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा- बाल विवाह रोकने के लिए कानूनों के साथ-साथ जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है बेंच ने यह भी स्पष्ट किया कि  बच्चों से संबंधित विवाह, उनके जीवनसाथी के चयन के अधिकार का उल्लंघन करते हैं।

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SC ने जारी किया गाइडलाइन

SC ने फैसला सुनाते हुए साफ किया- “बाल विवाह रोकथाम अधिनियम को किसी भी व्यक्तिगत कानून के तहत परंपराओं से बाधित नहीं किया जा सकता है। साथ ही माता-पिता द्वारा अपनी नाबालिग बेटी या बेटे के बालिग होने के बाद शादी कराने के लिए सगाई करना नाबालिगों का जीवन साथी चुनने की स्वतंत्र इच्छा का उल्लंघन है”

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इसके साथ ही SC ने गाइडलाइन जारी करते हुए कहा- अदालत ने स्पष्ट किया कि केवल सजा के प्रावधान पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि सामाजिक स्तर पर मानसिकता बदलने के प्रयास जरूरी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने बाल विवाह पर गाइडलाइन जारी करते हुए कहा कि बाल विवाह, उनके जीवनसीथी चयन के अधिकार का उल्लंघन है। “बाल विवाह से बच्चों की अपनी इच्छानुसार जीवनसाथी चुनने की स्वतंत्रता समाप्त हो जाती है।” न्यायालय ने यह भी निर्देशित किया कि अधिकारियों को बाल विवाह की रोकथाम और नाबालिगों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और अपराधियों को दंडित करने को अंतिम उपाय के रूप में देखना चाहिए।

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बाल विवाह पर दिशा-निर्देशों जारी

SC ने फैसला सुनाने के साथ ही बाल विवाह रोकने के लिए दिशा निर्देश जारी किए, अदालत ने कहा- बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 सभी व्यक्तिगत कानूनों पर लागू होगा, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी समुदायों में इसे समान रूप से लागू किया जाए। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बाल विवाह निषेध अधिनियम (PCMA), 2006 के उद्देश्यों पर विस्तार से चर्चा की।

CJI चंद्रचूड़ ने कहा- “इस कानून में बिना किसी नुकसान के सजा देने का प्रावधान है, लेकिन यह प्रभावी साबित नहीं हुआ।” साथ ही बेंच ने कहा- कानून के प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाना जरूरी है, ताकि समाज की मानसिकता बदल सके।

बाल विवाह का समाज पर प्रभाव

1. बाल विवाह को लेकर लिया गया फैसला कानून की दृष्टि के साथ ही समाज में एक बड़ा बदलाव लाने की क्षमता रखता है।
2. बाल विवाह को रोकने के फैसले से नाबालिगों के अधिकारों की रक्षा के साथ भविष्य को भी सुरक्षित करने का प्रयास किया जा सकेगा।
3. सुप्रीम कोर्ट का लिया गया फैसला बच्चों के अधिकारों और उनकी भलाई के लिए लिया गया हैं।

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4. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बाल विवाह के लिए समाज को भी जागरूक होने और बाल विवाह के खिलाफ खड़े होने की आवश्यकता है।
5.  सभी बच्चों को एक सुरक्षित और स्वतंत्र जीवन जीने का अवसर मिले।
6. बाल विवाह का मुद्दा समाज की सांस्कृतिक और नैतिक जिम्मेदारियों का भी विषय है।
7. बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना हमारे समाज की प्राथमिकता होनी चाहिए।
8. बच्चों के अधिकारों और उनकी भलाई के लिए सभी काम करें।

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