सड़क दुर्घटना पीड़ितों को मिलेगी "कैशलेस उपचार योजना"- नितिन गडकरी का ऐलान
गडकरी ने कहा- अगर पुलिस को हादसे के 24 घंटे के अंदर सूचना दे दी जाती है तो सरकार 1.5 लाख तक के इलाज का पूरा खर्च उठाएगी।
Cashless Treatment Scheme: केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आज यानी की 7 जनवरी को कैशलेस उपचार योजना का एलान किया। इस कैशलेस इलाज योजना सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए चलाई गई हैं जिसका ऐलान करते हुए गडकरी ने कहा- अगर पुलिस को हादसे के 24 घंटे के अंदर सूचना दे दी जाती है तो सरकार 1.5 लाख तक के इलाज का पूरा खर्च उठाएगी। यह योजना किसी भी श्रेणी की सड़क पर मोटर वाहनों के कारण होने वाली सभी सड़क दुर्घटनाओं पर लागू होगी।
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आपको बताते चले कि नितिन गडकरी ने कैशलेस उपचार योजना का एलान किया जो सड़क दुर्घटना पीड़ितों को उपलब्ध कराई जाएगी। इस योजना का उद्देश्य रोड एक्सीडेंट में घायल लोगों को तुरंत मेडिकल हेल्प उपलब्ध कराना है। योजना का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना कि पीड़ितों को समय पर उपचार मिले.
जानें कैसे काम करेगी स्कीम
एलिजिबिलिटी: अगर दुर्घटना के 24 घंटे के भीतर पुलिस को सूचित किया जाता है तो सड़क दुर्घटना के पीड़ित कैशलेस ट्रीटमेंट के लिए पात्र होते हैं।
ट्रीटमेंट का खर्च: योजना में 7 दिनों तक या अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक के उपचार की लागत शामिल होगी।
हिट-एंड-रन मामले: हिट-एंड-रन एक्सीडेंट के कारण मृत्यु के मामलों में, मृतक के तत्काल परिवार को 2 लाख रुपये मिलेंगे।
भारत मंडपम में मंत्रियों के साथ बैठक
बताते चले कि केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भारत मंडपम में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के परिवहन मंत्रियों के साथ बैठक की थी। इसमें परिवहन संबंधी नीतियों और केंद्र व राज्य के बीच सहयोग को लेकर चर्चा की गई। बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री ने कहा - हमने कैशलेस उपचार की योजना शुरू की है। इसके तहत अगर दुर्घटना होने के 24 घंटे के अंदर पुलिस को सूचना दी जाती है तो हम भर्ती होने वाले मरीज के सात दिनों के इलाज का खर्च और इलाज के लिए अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक देंगे। इसके साथ ही हम हिट एंड रन मामलों के मृतकों को दो लाख रुपये देंगे।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सड़क सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। 2024 में लगभग 1.80 लाख लोगों की सड़क हादसों में जान चली गई। इसमें से 30 हजार मौतें हेलमेट न पहनने के कारण हुईं। साथ ही 66 फीसदी दुर्घटनाएं 18 से 34 साल आयु के लोगों के साथ हुईं। इसके अलावा स्कूल-कॉलेजों और शैक्षिणिक संस्थानों के पास प्रवेश और निकास बिंदुओं पर व्यवस्था न होने से हादसों में 10 हजार बच्चों की मौत हो गई। उन्होंने कहा कि स्कूलों के ऑटो रिक्शा और मिनी बसों के लिए नियम बनाए गए हैं। हम इसे कम करने की कोशिश करेंगे।
बताते चले कि सड़क हादसों में त्वरित उपचार मुहैया कराने के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्रालय ने छह राज्यों में कैशलेस उपचार योजना को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया था। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा- असम, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तराखंड और पुडुचेरी में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर यह योजना सफल रही है। अब तक इसके जरिये 2100 लोगों की जान बचाई गई है। अब इसे पूरे देश में लागू किया जा रहा है। उन्होंने विश्वास जताया कि यह योजना लोगों के लिए लाभकारी होगी।
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