SC का ऐतिहासिक फैसला, संपत्ति लेकर मां-बाप को ठुकराना बच्चों को पड़ेगा महंगा
सुप्रीम कोर्ट ने आज ऐतिहासिक और सराहनीय फैसला सुनाया हैं। जोकि घर के बुजुर्ग माता-पिता के पक्ष में लिया गया हैं।
Supreme Court: आपने देखा होगा कई परिवार ऐसा होता है जहां एक बार मां-बाप से सारी जायदाद मिल जाएं वहीं बच्चे मां-बाप को घर से बेदखल कर देते हैं। मगर अब ऐसा अत्याचार बुजुर्ग माता-पिता के साथ नहीं होगा, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने आज ऐतिहासिक और सराहनीय फैसला सुनाया हैं। जोकि घर के बुजुर्ग माता-पिता के पक्ष में लिया गया हैं। जिसके बाद बुजुर्ग माता-पिता पर अत्याचार करने वाले बच्चों को अब सावधान होने के जरूरी हैं।
जानें SC का क्या है फैसला
आपको बता दें कि जस्टिस सीटी रविकुमार और संजय करोल की पीठ ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा - अगर बच्चे अपने दायित्वों को निभाने में असफल होते हैं, तो माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 के तहत गठित न्यायाधिकरण, माता-पिता को उनकी संपत्ति और दिए गए उपहार वापस करने का आदेश दे सकते हैं।
बताते चले कोर्ट का यह फैसला एक महिला के मामले को लेकर आया है, जिसने 2019 में एक गिफ्ट डीड के जरिए अपनी संपत्ति अपने बेटे को इस शर्त पर हस्तांतरित की थी कि वह उसकी और उसके पति की देखभाल करेगा। मगर जब बेटे ने अपनी मां के साथ दुर्व्यवहार करना शुरू किया, तो महिला ने 24 दिसंबर, 2020 को अधिनियम की धारा 22 और 23 के तहत उपमंडल मजिस्ट्रेट, छतरपुर के समक्ष आवेदन दायर किया।
Read More: बच्चों के सोशल मीडिया अकाउंट पर पेरेंट्स की मंजूरी जरूरी
ऐसे में अब माता-पिता से संपत्ति या फिर गिफ्ट लेने के बाद उन्हें ठुकराने वालों को बड़ी कीमत चुकानी होगी, क्योंकि ऐसे बच्चों को प्रॉपर्टी या दिए गिफ्ट सब वापस मां-बाप को दोनों लौटाने होंगे। जिससे यह स्पष्ट होता है कि अब बुजुर्ग माता-पिता की जायदाद लेने के बाद हर हाल में भरण-पोषण और उनका ख्याल करना ही होगा। ऐसा ना करने वाले बच्चों को और प्रताड़ना देने वाले बच्चों को काफी महंगा पड़ने वाला है। वहीं अब सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसला को काफी सराहना मिल रही हैं। क्योंकि इस फैसले के बाद बुजुर्गों को उम्मीद बंधी है कि बच्चे अपने बुजुर्ग माता-पिता का ख्याल रखेंगे और उनके साथ अच्छा व्यवहार करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया स्पष्ट फैसला
बताते चले सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट तौर पर कहा है कि अगर बच्चे माता-पिता की देखभाल करने में विफल रहते हैं तो माता-पिता ने उन्हें जो प्रॉपर्टी और गिफ्ट दिए हैं वो वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम (Welfare of the Parents and Senior Citizens Act) के तहत रद्द किया जा सकता है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट की शर्त के मुताबिक, बच्चों को माता-पिता का ख्याल रखना होगा, उनकी जरूरतों को पूरा करना होगा। अगर बच्चों ने इन शर्तों को नहीं माना और माता-पिता को उनके हाल पर अकेला छोड़ दिया तो उनसे सारी प्रॉपर्टी और बाकी गिफ्ट वापस ले लिए जाएंगे। प्रॉपर्टी का ट्रांसफर शून्य घोषित कर दिया जाएगा।
-
Tags :
- desh
- The Voice Of Hind