UP Bulldozer Action पर SC ने लगाई फटकार, दिया हर्जाना देने का आदेश
Supreme Court on Bulldozer Action: यूपी के बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने बेहद सख्त रवैया अपनाया हैं। सुप्रीम कोर्ट ने घरों को ‘अमानवीय और अवैध’ रूप से गिराने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार और प्रयागराज विकास प्राधिकरण (Prayagraj Development Authority- PDA) को फटकार लगाई है। बताते चले कि प्रयागराज में बुलडोजर से घरों को गिराने पर उच्चतम न्यायालय ने कहा- ‘‘यह हमारी अंतरात्मा को झकझोरता है, आश्रय का अधिकार और कानून की उचित प्रक्रिया नाम की भी कोई चीज होती है”।

बुलडोजर एक्शन पर कोर्ट का सख्त रवैया
प्रयागराज में तोड़फोड़ पर उच्चतम न्यायालय ने कहा कि देश में कानून का शासन है, नागरिकों के आवासीय ढांचों को इस तरह से नहीं गिराया जा सकता। बतादें कि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में साल 2021 के बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने बेहद सख्त रवैया अपनाया है, क्योंकि याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि जिस जमीन पर यह मकान बने थे, वह लोग उसके लीज होल्डर थे, प्रशासन ने उस जगह को माफिया और राजनेता अतीक अहमद से जोड़ते हुए यह कार्रवाई की थी। जो 2023 में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। शीर्ष अदालत अधिवक्ता जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद और अन्य लोगों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिनके मकान ध्वस्त कर दिए गए थे। इसके साथ ही कोर्ट ने प्रयागराज डेवलपमेंट ऑथोरिटी से सभी 5 याचिकाकर्ताओं को 10-10 लाख रुपये मुआवजा देने को कहा है। ऑथोरिटी 6 सप्ताह के भीतर यह भुगतान करना होगा, कोर्ट ने नोटिस मिलने के 24 घंटे के भीतर मकान गिरा देने को अवैध बताया।
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कोर्ट ने लगाई फटकार
यूपी के बुलडोजर एक्शन पर कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कोर्ट ने प्रयागराज डेवलपमेंट ऑथोरिटी से सभी 5 याचिकाकर्ताओं को 10-10 लाख रुपये मुआवजा देने को कहा है। ऑथोरिटी 6 सप्ताह के भीतर यह भुगतान करना होगा।
जस्टिस अभय एस ओका और उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने कहा- ‘यह मुआवजा इसलिए भी जरूरी है ताकि भविष्य में सरकारें बिना उचित प्रक्रिया के लोगों का मकान गिराने से परहेज करें।’
इसके साथ ही जजों ने हाल ही में सामने आए एक वीडियो का भी हवाला देते हुए कहा- जिसमें गिरती हुई झोपड़ी से एक बच्ची अपनी किताबें लेकर भाग रही है। उन्होंने कहा कि अलग-अलग रूप में ऐसी घटनाएं हर जगह देखने को मिल रही हैं। न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा – घरों को गिराने की कार्रवाई ‘‘अनुचित’’ तरीके से की गई। पीठ ने कहा – ‘‘देश में कानून का शासन है’’ और नागरिकों के आवासीय ढांचों को इस तरह से नहीं गिराया जा सकता। पीठ ने कहा- ‘‘इसने हमारी अंतरात्मा को झकझोरा है।
कोर्ट से याचिकाकर्ताओं की फरियाद
याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, साल 2021 में 1 मार्च को उन्हें नोटिस जारी किया गया था। लेकिन उन्हें 6 मार्च को नोटिस मिला, फिर अगले ही दिन 7 मार्च को मकानों पर बुलडोजर एक्शन किया गया। अधिवक्ता जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद और अन्य लोगों की याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई की जिनके ध्वस्त कर दिए गए थे। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि प्रशासन और शासन को ये लगा कि ये संपत्ति गैंगस्टर और राजनीतिक पार्टी के नेता अतीक अहमद की है।
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इन सभी लोगों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में फरियाद की थी। लेकिन हाईकोर्ट ने घर गिराए जाने की कार्रवाई को चुनौती देने वाली उनकी याचिका खारिज कर दी। हाईकोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने राज्य सरकार की कार्रवाई का बचाव करते हुए नोटिस देने में पर्याप्त उचित प्रक्रिया का पालन करने का आश्वासन दिया। उन्होंने बड़े पैमाने पर अवैध कब्जों की ओर इशारा करते हुए कहा कि राज्य सरकार के लिए अनधिकृत कब्जा छुड़ाना और इसे रोकना मुश्किल है।
SC के फैसले पर अखिलेश की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश स्वागत योग्य है कि प्रयागराज में 2021 में हुए एक बुलडोज़र एक्शन पर सभी 5 याचिकाकर्ताओं को प्रयागराज विकास प्राधिकरण द्वारा 6 सप्ताह में 10-10 लाख मुआवज़ा दिया। इस मामले में कोर्ट ने नोटिस मिलने के 24 घंटे के भीतर मकान गिरा देने की कार्रवाई को अवैध घोषित… pic.twitter.com/xoR0ett4g9
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) April 1, 2025
यूपी के बुलडोजर एक्शन पर कोर्ट की सख्ती समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रतिक्रिया दी है जिसमें यूपी सरकार और पीडीए को लेकर फटकार लगाई गई है। इसके साथ ही सोशल मीडिया एक्स पर लिखा- “सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश स्वागत योग्य है कि प्रयागराज में 2021 में हुए एक बुलडोज़र एक्शन पर सभी 5 याचिकाकर्ताओं को प्रयागराज विकास प्राधिकरण द्वारा 6 सप्ताह में 10-10 लाख मुआवज़ा दिया। इस मामले में कोर्ट ने नोटिस मिलने के 24 घंटे के भीतर मकान गिरा देने की कार्रवाई को अवैध घोषित किया है।
सच तो ये है कि घर केवल पैसे से नहीं बनता है और न ही उसके टूटने का ज़ख़्म सिर्फ़ पैसों से भरा जा सकता है। परिवारवालों के लिए तो घर एक भावना का नाम है और उसके टूटने पर जो भावनाएं हत होती हैं उनका न तो कोई मुआवज़ा दे सकता है न ही कोई पूरी तरह पूर्ति कर सकता है। परिवारवाला कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा!”