ALERT! साइबर ठगों ने Golden Triangle से की 160 करोड़ की ठगी, ED ने किया खुलासा
Cyber Fraud Golden Triangle: विदेश में पैसे कमाने का लालच देने वाले गोल्डन ट्रायंगल से साइबर फ्रॉड के मामले में ED की चार्जशीट में साइबर ठगी का पर्दाफाश बड़ा खुलासा हुआ है। इस मामले की चार्जशीट ED ने देश में दर्ज कई मामलों की जांच के मामले को उजागर किया हैं, इतना ही नहीं इस चार्जशीट में गोल्डन ट्रायंगल से कैसे साइबर फ्रॉड किया जा रहा था, इसका भी खुलासा हुआ है।

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आपको जानकर हैरानी होगी की इस साइबर ठगी में भारतीयों को बंधक बनाकर 160 करोड़ की लूट की गई हैं इसके लिए ठगों ने सोशल मीडिया और क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल किया। फिलहाल ED ने कई गिरफ्तारियाँ की हैं और जाँच जारी है, आइये जानते है इस पूरे मामले के बारें में…

ED ने किया ‘गोल्डन ट्रायंगल’ का खुलासा
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक ऐसी साइबर फ्रॉड मामले का खुलासा किया है जिसे अभी तक भारतीयों को बंधक बनाकर 160 करोड़ की ठगी की हैं। ये खुलासा ‘गोल्डन ट्रायंगल’ का है। इसमें सैकड़ों भारतीय जिन्हें अच्छी नौकरी का लालच देकर थाईलैंड, लाओस और म्यांमार के खतरनाक सीमावर्ती इलाकों में ले जाया गया हैं। वहां, उन्हें बंधक बनाकर हाई-टेक साइबर अपराध करने के लिए मजबूर किया गया। बताते चले यह ठगी का ऐसा जाल है जिसमें फंसने वाले लोग अपनी आजादी के साथ अपनी मेहनत की कमाई भी खो बैठते हैं।
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ऐसे बनाते है शिकार
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने खुलासा करते हुए बताया कि इन साइबर ठगों ने सोशल मीडिया और क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल करके लगभग 160 करोड़ रुपए की लूट को अंजाम दिया हैं। इसके लिए साइबर ठगों ने Facebook, Instagram, WhatsApp और Telegram जैसे आपके पसंदीदा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को ही हथियार बनाया है, इसके जरिए फर्जी कंपनियों के विज्ञापन दिखाए जाते थे जिनमें निवेश पर भारी मुनाफे का वादा किया जाता था और लोगों को अपनी जाल में आसानी से फंसा लिया जाता था। गोल्डन ट्रायंगल (थाईलैंड, लाओस और म्यांमार की सीमा पर स्थित क्षेत्र) में बैठे हाई टेक साइबर अपराधियों ने भारत में 159.70 करोड़ की ठगी की हैं।

इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए विज्ञापन दिखकर स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करने पर भारी रिटर्न का लालच दिया जाता था। पहले लोगों को इन्वेस्टमेंट के नाम पर व्हाट्सएप ग्रुप्स में जोड़ा जाता था। ये ग्रुप दिखने में बड़े प्रोफेशनल होते थे और इनमें कई ऐसे लोग शामिल होते थे जो पहले से इन्वेस्टमेंट में भारी मुनाफा कमा रहे है लेकिन हकीकत में ये लोग भी स्कैमर्स की टीम का हिस्सा होते थे।
Fake Apps और नकली मुनाफा का जाल

इसके बाद लोगों को Fake Apps डाउनलोड करने को कहा जाता था, जैसे कि IC ORGAN MAX, Techstars.shop और GFSL Securities जैसे नकली मोबाइल ऐप डाउनलोड करने को कहा जाता था। इन ऐप्स में फर्जी IPO और स्टॉक्स दिखाकर शुरूआत में नकली मुनाफा दिखाया जाता था, फिर पीड़ितों को फर्जी बैंक अकाउंट्स में पैसे ट्रांसफर करने को कहा जाता था। जब लोग और पैसा इन्वेस्ट करते थे ओर पैसा वापस मांगते थे तब उनसे टैक्स, ब्रोकरेज या चार्ज के नाम पर करोड़ों की ठगी की जाती थी। एक समय के बाद स्कैमर्स संपर्क बंद कर देते थे।
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गोल्डन ट्रायंगल बना साइबर अपराध का अड्डा
जांच में सामने आया है कि थाईलैंड, लाओस और म्यांमार की सीमा पर स्थित इमारतों में यह साइबर ठगी ऑपरेशन चलाया जा रहा था। चीनी नागरिक इन अड्डों की अगुवाई कर रहे थे और भारत, पाकिस्तान व बांग्लादेश से लाए गए युवाओं से अंग्रेजी में चैट करवाई जाती थी। मना करने पर उन्हें धमकाया जाता था, मारपीट की जाती थी और पासपोर्ट ज़ब्त कर लिए जाते थे।