ज्योतिष ज्ञान में सीखें ज्योतिष: जानें कुंडली में ग्रहों की चाल क्या है मार्गी और वक्री
ज्योतिष ज्ञान: राम राम जी जैसा कि आप सभी जानते है कि हम हर हफ्ते के ज्योतिष ज्ञान आप सभी के लिए ज्योतिष से जूड़े विशेष ज्ञान कुछ ना कुछ लाते हैं ठीक हर हफ्ते रविवार की तरह ज्योतिष ज्ञान में वृद्धि के लिए आज ज्योतिष ज्ञान का विषय है ग्रहों चाल क्या है मार्गी और वक्री…
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आज के ज्योतिष ज्ञान में वृद्धि के लिए जानेंगे गृहों चाल क्या है मार्गी और वक्री… जैसे सूर्य मेष राशि में उच्च का होता है और तुला राशि में नीच का होता है।

ग्रहों चाल क्या है मार्गी और वक्री
सूर्य ग्रह
सूर्य राजा होता है जब अपनी उच्चता दिखता या उच्च का होता है, तो शासन प्रशासन में होता, राजनीति में मंत्री मिनिस्टर होता, व्यापार में नेतृत्व की क्षमता विकसित करता और जब यह नीच का क्रूर ग्रहों के साथ संबंध रखता तो भय ग्रस्त जीवन जीता, आत्मबल में कमी रहती, अपनी बात को कह नहीं पाता, दिन दुखी जीवन जीता उसके चारों ओर अंधेरा दिखता हैं।
शनि ग्रह
शनि ग्रह तुला राशि में उच्च का होता जो विलासिता युक्त जीवन जीता सुख साधन सम्पन्नता और वैभव से भरा रहता हैं। जबकि शनि ज्ञान का भंडार होता, धर्म मार्ग न्याय कार्य को करने वाला दंड देने वाला जज होता है। वह नीच राशि में मेष का होता जबकि उसका शत्रु का घर होता हैं तो सब उल्टा होता है वह पापी गृहों के साथ पाप दृष्टि के साथ जब काम करता तो अंगुलिमाल डाकू बन जाता संगति का प्रभाव से अपना ज्ञान वैराग्य भूल जाता, वही नीच की नीचता भंग हो जाती वही वक्री अर्थात उल्टा काम करता जब नारद जी का साथ हो जाता उसका ज्ञान जागृत हो जाता, उसमें वैराग्य जाग जाता उसका संबंध मधुर हो जाता उसमें सहयोग की भावना होती है तब ज्ञान का ग्राहक हो जाता जनक राजा बन जाता अष्टावक्र गायनी हो जाता बुध हो जाता हैं।

मंगल ग्रह
मंगल ग्रह का उच्च का मकर राशि में या स्वगृही जब मेष वृश्चिक राशि में मित्र राशि या मित्र ग्रह से देखा जाता है तो यह हठी जिद्दी तेजस्वी और लड़ाकू होता है सेना में ब्रिगेडियर पुलिस विभाग में उच्च पद पर रहता या खिलाड़ी भी होता राज्य का मंत्री नेतृत्व की गजब क्षमता होती हैं। वहीं नीच का कर्क राशि में होता जबकि मित्र चंद्रमा का घर होता चंद्रमा मन का कारक होता तो वहीं मंगल विचारों का बिखराव करता अनिद्रा भय तनाव रक्त चाप आदि रोगी बनाता डिप्रेशन का शिकार होता है।
चंद्रमा ग्रह
चंद्रमा वृष राशि में उच्च का होता वृश्चिक राशि में नीच का होता शुक्र के घर में चंद्रमा कलात्मक सौंदर्य विलासिता युक्त जीवन जीता है कल्पना जगत में जीता रहता हैं। वहीं चंद्रमा जब चंद्रमा के घर में नीच राशि का होता है अस्त और कमजोर अंश का तो मनुष्य डिप्रेशन का शिकार उन्माद जीवन जीता है, भगवान शिव के कृपा से या गुरु के कृपा से उसका जीवन उज्जवल होता है संसार का वैभव भोगकर जीवन लक्ष्य को प्राप्त करता है।
