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डायबिटीज मरीजों के लिए खुशखबरी, मिलेगा रोजाना इंसुलिन से छुटकारा

Diabetes: हर किसी के शरीर में शुगर और बीपी की मात्रा होती है मगर किसी के शरीर में ज्यादा होती है तो किसी शरीर में कम होती हैं, ऐसे में देखा जाएं तो दोनों स्थिति शरीर के लिए खतरनाक मानी गई हैं इसलिए शरीर में इन दोनों का बैलेंस होना बेहद जरूरी हैं। वहीं कुछ लोग बीपी, शुगर के ईलाज के लिए दवाई का सेवन करते है तो कुछ लोग योगा का सहारा भी लेते हैं। वहीं कई ऐसे मरीज है जो रोजाना इंसुलिन का सहारा लेते हैं। वहीं अब उन मरीजों को राहत मिलने की खबर आई है जो रोजाना इंसुलिन लेते हैं। तो आईये जानते है पूरा मामला…

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भारत में मिलेगी जल्द रोजाना इंसुलिन से छुटकारा

आपको बतादें कि डायबिटीज के मरीज को अब रोजाना इंसुलिन लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। क्योंकि डेनमार्क की कंपनी Novo Nordisk ने एक ऐसी वैक्सीन तैयार की है जिसे हफ्ते में सिर्फ एक बार लगाने से ही डायबिटीज मरीज को आराम मिल जाएगा। फिलहाल अभी ये वैक्सीन इंडिया नहीं आई है, वहीं अनुमान यह भी लगाया गया हैं कि अगर वैक्सीन इंडिया आती है तो शुगर के मरीजों को रोज इंसुलिन लगाने के झंझट से मुक्ति मिल जाएगी। वहीं आसार लगाया गया है कि भारतीय मार्केट में इस वैक्सीन को जल्दी लाया जा सकता है। इसके साथ ही भारत की एक मेडिकल संस्था ने इस वैक्सीन को भारत में बेचने की सिफारिश की है। इस वैक्सीन का नाम इंसुलिन आईकोडेक (Insulin Icodec) है।

जानें वैक्सीन की पूरी जानकारी

बताते चले कि इस वैक्सीन का नाम इंसुलिन आईकोडेक है, इसे यूरोपियन मेडिसिन्स एजेंसी यानि EMA की ओर से बेचने की अनुमति मिल चुकी है। वैक्सीन बनाने वाली Novo Nordisk कंपनी ने भारत से की गई मांग को अप्रूवल देदी है। ताकि वो इस वैक्सीन के तीनों वेरिएंट को भारत में भी बेच सके। इसके साथ ही भारत के ड्रग कंट्रोलर के अंतर्गत काम करने वाली संस्था सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी यानि SEC ने कहा है कि इस वैक्सीन को बेचने से पहले कंपनी को भारत में एक पोस्ट मार्केटिंग सर्विलांस स्टडी करनी होगी। संस्था सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी (SEC) ने सिफारिश की है कि इस वैक्सीन को भारत में इंपोर्ट किया जाए और बेचा जाए।

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यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी से उठाई मांग

यह वैक्सीन तीन वेरिएंट में है। इसमें 700 U-ml, 1050 U/1.5ml और 2100 U/3ml हैं। इसे यूरोपियन मेडिसिन्स एजेंसी (EMA) की ओर से बेचने की अनुमति मिल चुकी है। इसी प्रकार की अनुमति के लिए Novo Nordisk ने भारत से अप्रूवल मांगा है। अप्रूवल की मांग तीनों वेरिएंट को बेचने के लिए की है। इस बारे में SEC का कहना है कि इस वैक्सीन को बेचने से पहले कंपनी को भारत में एक पोस्ट मार्केटिंग सर्विलांस (PMS) स्टडी करनी होगी।

3 महीने का दिया समय

संस्था सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी (SEC) ने कंपनी से कहा- वह 3 महीने में PMS स्टडी की रिपोर्ट पेश करे ताकि कंपनी को मार्केटिंग के अधिकार दिए जा सकें। साथ उसे इस वैक्सीन के पैकेज इंसर्ट को संशोधित करना होगा। इसके बाद ही कंपनी को Central Drugs Standard Control Organization (CDSCO) से अप्रूवल दिया जाएगा। माना जा रहा है कि Novo Nordisk इन सभी प्रक्रिया को 3 महीने में पूरी कर लेगी और इसके बाद यह वैक्सीन मार्केट में आ जाएगी। वहीं ICMR के मुताबिक भारत में इस वक्त करीब 10 करोड़ लोग डाटबिटीज से पीड़ित हैं। वहीं य़े वैक्सीन भारत में अगर आती है तो करोंड़ों मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी। 
 

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