गुरुवार का ज्ञान: गुरु शिक्षा से खुद का जीवन बनाए ऊंचा
गुरु शिक्षा: गुरु प्रसाद में आज का विषय गुरु खोज इसमें गुरु को शिष्य खोजता या गुरु…जाने एक कहानी से गाय के थन में जब दुग्ध आ जाता है वह जंगल से घर की ओर आती है। ऐसे में कभी-कभी दुग्ध थन से चुने लगता है पर वह घर आकर अपने बच्चे को पिलाती हैं।

गुरु शिष्य का संबंध
इसी प्रकार गुरु को जब गुरुत्व की प्राप्ति हो जाती है तब वह शिष्य को खोजता है अपने ज्ञान की शक्ति देना चाहता है पर किसी योग्य पात्र को देता है जो उस शक्ति का उपयोग कर सकता है। रामायण में विश्वामित्र ने राम और लक्ष्मण को चुना बला अतिबला विद्या के लिए, वहीं समर्थ राम दास ने शिवाजी को चुना, राम कृष्ण ने विवेकानन्द को चुना।

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जब गुरु शिष्य को पहचान लेता है उसकी पात्रता तब अपनी शक्ति का ट्रांसफर कर देता हैं। फिर जो काम गुरु का अधूरा होता है उसको शिष्य पूरा करता है, जैसे जब एक पिता अपने पुत्र को मेला दिखाने अपने कंधे पर पुत्र को बिठा कर मेला दिखाता तब पिता से ज्यादा ऊपर बैठा पुत्र मेला देखता है।
नर से नारायण का सफर
इसी प्रकार गुरु की शक्ति पाकर शिष्य तुच्छ से महान हो जाता है, नर से नारायण हो जाता है। फिर शिष्य गुरु की गौरव गाथा को पूरी दुनिया में फैलाता है। धन्य है ऐसे गुरु जो अपने शिष्य को पहचान कर ऊंचा उठाते, उस गुरु को बारम बार प्रणाम…

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