कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 के लिए ऑनलाइन आवेदन शुरू, जरूरी जानकारी पढ़ें
Kailash Manasarovar Yatra 2025: कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 करने के लिए बहुत बड़ी खबर सामने आ रही हैं। ऐसे में जो शिव भक्त कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते है, क्योंकि ऑनलाइन आवेदन शुरू हो गया है। वहीं विदेश मंत्रालय ने घोषणा की है कि कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 जून से अगस्त के बीच आयोजित होगी।

कैलाश मानसरोवर यात्रा ऑनलाइन आवेदन शुरू
आपको बताते चले कि विदेश मंत्रालय ने घोषणा की है कि यात्रा जून से अगस्त 2025 के बीच होगी, कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 के लिए ऑनलाइन आवेदन शुरू हो गया है इसका आवेदन kmy.gov.in पर किया जा सकता है। आपको जानकर खुशी होगी 5 साल के लंबे इंतजार के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू हो रही हैं। विदेश मंत्रालय (MEA) ने शनिवार को घोषणा की कि कैलाश मानसरोवर यात्रा इस साल फिर से शुरू होगी, जोकि जून से अगस्त 2025 के बीच कराई जाएगी।

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ऐसे होगी यात्रा
विदेश मंत्रालय ने शनिवार को यह जानकारी दी है। यात्रा के लिए दो रास्ते हैं: लिपुलेख पास, उत्तराखंड और नाथू ला पास, सिक्किम। हर जत्थे में 50 यात्री होंगे। सरकार ने यात्रा के लिए एडवाइजरी जारी की है। यात्रियों को जोखिम की जिम्मेदारी खुद लेनी होगी। इस साल, 5 ग्रुप (हर ग्रुप में 50 यात्री) उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से और 10 ग्रुप (हर ग्रुप में 50 यात्री) सिक्किम के नाथू ला दर्रे से यात्रा करेंगे।
Kailash Manasarovar Yatra, organised by the Ministry of External Affairs, is set to take place from June to August 2025.
— DD News (@DDNewslive) April 26, 2025
5 batches, each consisting of 50 Yatris, and 10 batches, each consisting of 50 Yatris, are scheduled to travel through Uttarakhand State crossing over at… pic.twitter.com/VtXBSTSIsb
ऐसे में आवेदन के लिए वेबसाइट kmy.gov.in खोल दी गई है। यात्रियों का चुनाव कंप्यूटर से, बिना किसी पक्षपात के किया जाएगा। साल 2015 से ही यात्रा का पूरा प्रोसेस, ऑनलाइन आवेदन से लेकर यात्रियों के चुनाव तक, पूरी तरह कंप्यूटर से होता है। इसलिए किसी को चिट्ठी या फैक्स भेजने की जरूरत नहीं है, अगर किसी को कोई जानकारी चाहिए या कोई सुझाव देना हो, तो वेबसाइट पर फीडबैक का ऑप्शन दिया गया है।
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मेडिकल जांच जरूरी

मंत्रालय ने इच्छुक यात्रियों को सलाह दी है कि वे वेबसाइट पर जाकर जल्दी से जल्दी आवेदन कर दें। कैलाश मानसरोवर यात्रा का इलाका काफी कठिन और मौसम भी चुनौतीपूर्ण होता है, इसलिए चुने गए यात्रियों को यात्रा से पहले अनिवार्य ब्रीफिंग और मेडिकल फिटनेस टेस्ट से गुजरना होगा। लेटेस्ट अपडेट्स और निर्देशों के लिए यात्रियों को नियमित रूप से kmy.gov.in वेबसाइट पर विजिट करने की सलाह दी गई है।

इस यात्रा में प्रतिकूल हालात, अत्यंत खराब मौसम में ऊबड़-खाबड़ भू-भाग से होते हुए 19,500 फुट तक की चढ़ाई चढ़नी होती है और यह उन लोगों के लिए जोखिम भरा हो सकता है। सरकार का कहना है कि किसी भी प्राकृतिक आपदा के कारण अथवा किसी भी अन्य कारण से किसी यात्री की मृत्यु अथवा उसके जख्मी होने अथवा उसकी संपत्ति के खोने अथवा क्षतिग्रस्त होने के लिए किसी भी तरह से वो जिम्मेदार नहीं होगी। किसी तीर्थयात्री की सीमा पार मृत्यु हो जाने पर सरकार की उसके पार्थिव शरीर को दाह-संस्कार के लिए भारत लाने की किसी तरह की बाध्यता नहीं होगी। लिहाजा मृत्यु के मामले में चीन में पार्थिव शरीर के अंतिम संस्कार के लिए सभी तीर्थ यात्रियों को एक सहमति प्रपत्र पर हस्ताक्षर करना होता है। यह सभी जानकारी विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर दी गई है।
कहां से शुरू होगी यात्रा
यह यात्रा उत्तराखंड, दिल्ली और सिक्किम राज्य की सरकारों और भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के सहयोग से आयोजित की जाती है। कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) और सिक्किम पर्यटन विकास निगम (एसटीडीसी) और उनके संबद्ध संगठन भारत में यात्रियों के हर जत्थे के लिए सम्भारगत सहायता और सुविधाएं मुहैया कराते हैं। दिल्ली हार्ट एवं लंग इंस्टीट्यूट (डीएचएलआई) इस यात्रा के लिए आवेदकों के स्वास्थ्य स्तरों के निर्धारण के लिए चिकित्सा जांच करता है।

मानसरोवर का अर्थ और इसका इतिहास
मानसरोवर को बहुत ही पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि यह झील ब्रह्म मुहूर्त में देवताओं के स्नान का स्थान है, कहा जाता है कि इस झील की रचना सबसे पहले भगवान ब्रह्मा ने अपने मन में की थी इसलिए इसका नाम पड़ा “मानसरोवर”- “मानस” यानी मन और “सरोवर” यानी झील…

मान्यता है कि भगवान कैलाश-मानसरोवर क्षेत्र में निवास और तपस्या करते हैं। इस जगह की विशेषता ही इसे बाकी जगहों से अलग बनाती है। शांत पानी और मजबूत पहाड़ों की तरह यह झील देवताओं के मन की तरह शांति और स्थिरता का प्रतीक है। कैलाश मानसरोवर यात्रा अपने धार्मिक मूल्य और सांस्कृतिक महत्व के लिए जानी जाती है, भगवान शिव के निवास के रूप में हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण तो है ही, यह जैन और बौद्धों के लिए भी धार्मिक महत्व रखती है।