अजमेर शरीफ दरगाह को हिंदू मंदिर बताने वाली याचिका को कोर्ट में मिली मंजूरी
याचिका में अजमेर शरीफ दरगाह को हिंदू मंदिर बताया गया है। इसमें कहा गया है कि यहां पहले एक शिव मंदिर था।
Ajmer Sharif Dargah: ज्ञानवापी के विवाद के बाद अब राजस्थान के अजमेर स्थित ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती दरगाह (Ajmer dargah) को हिंदू मंदिर बताने वाली याचिका पर 27 नवंबर को कोर्ट में सुनवाई हुई। वहीं याचिका को निचली अदालत ने हिंदू पक्ष की उस स्वीकार कर लिया है। इस याचिका में अजमेर शरीफ दरगाह को हिंदू मंदिर बताया गया है। इसमें कहा गया है कि यहां पहले एक शिव मंदिर था। बताते चले कि याचिका हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से दायर की गई थी।
अजमेर दरगाह की याचिका दायर
आपको बतादें कि यूपी की संभल मस्जिद का बीते दिन सर्वे के दौरान हुए पत्थरबाजी का विवाद अभी थमा भी नहीं था कि अदालत में अजमेर शरीफ दरगाह के सर्वे कराए जाने की मांग की गई थी जिसकी याचिका एक अदालत ने स्वीकार कर ली हैं। इस दायर याचिका में अजमेर दरगाह को हिंदू मंदिर बताया गया है साथ ही याचिका में दावा किया गया है कि दरगाह में पहले शिव मंदिर था। वहीं कोर्ट ने हिंदू सेना की याचिका स्वीकार की है, मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी, साथ ही कोर्ट ने मामले से जुड़े सभी पक्षकारों को नोटिस जारी करते हुए 5 दिसंबर को अगली सुनवाई की तारीख दी है। यह मामला अजमेर ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे से जुड़ा है।
Read More: राष्ट्रपति मुर्मू ने संविधान के 75वें वर्ष पर ₹75 का सिक्का और डाक टिकट जारी किया
याचिका पर हुई अहम
बताते चले सुनवाई कोर्ट ने हिंदू सेना की याचिका स्वीकार की है और अजमेर के ख्वाजा गरीब नवाज हसन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे से जुड़ी याचिका पर बुधवार को अजमेर पश्चिम सिविल जज सीनियर डिविजन मनमोहन चंदेल की कोर्ट ने सुनवाई करते हुए वादी विष्णु गुप्ता की याचिका पर अहम फैसला सुनाया। न्यायाधीश मनमोहन चंदेल ने दरगाह कमेटी,अल्पसंख्यक मामला, कार्यालय भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण धरहर भवन नई दिल्ली को समन नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं।
Read More: संसद में अरुण गोविल ने उठाया OTT प्लेटफॉर्म का मुद्दा, केंद्रीय IT मंत्री बोले...
अजमेर की सिविल कोर्ट में इस याचिका को हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दायर किया था, याचिका में भगवान महादेव का मंदिर होने का दावा किया गया है। उनका कहना है कि अजमेर शरीफ दरगाह को भगवान श्री संकटमोचन महादेव विराजमान मंदिर घोषित किया जाए, साथ ही दरगाह समिति के अनाधिकृत अवैध कब्जे को हटाया जाए। हिंदुओं को पूजा का अधिकार दिया जाए और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को उस स्थान का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया जाए। विष्णु गुप्ता के वकील शशिरंजन के मुताबिक वादी ने दो साल तक इस पर शोध किया है और जिस पर निष्कर्ष निकला है कि वहां एक शिव मंदिर था जिसे 'मुस्लिम आक्रमणकारियों' ने नष्ट कर दिया था और फिर एक दरगाह बनाई गई थी।
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह को जानें
आईये जानते है ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती फारसी मूल के सुन्नी मुस्लिम दार्शनिक और धार्मिक विद्वान थे। उन्हें गरीब नवाज और सुल्तान-हिंद के नाम से भी जाना जाता था। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती 13वीं शताब्दी में भारतीय उपमहाद्वीप में आए और राजस्थान के अजमेर में बस गए। उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप में सुन्नी इस्लाम के चिश्ती आदेश की स्थापना की और उसका प्रसार किया। यह एक रहस्यमय सूफी सिलसिला था। उनकी खानकाह अजमेर में है, जो ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह है। इस दरगाह की वास्तुकला इंडो-इस्लामिक है।
-
Tags :
- desh
- The Voice Of Hind